बदायूं में चूहे को नाले में डुबोकर मारा, FIR दर्ज, अब पोस्टमॉर्टम की तैयारी 

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Vivek Sharma
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बदायूं में चूहे को नाले में डुबोकर मारा, FIR दर्ज, अब पोस्टमॉर्टम की तैयारी 

Badaun. उत्तर प्रदेश के जनपद बदायूं के सदर कोतवाली क्षेत्र में शुक्रवार को एक चूहे को डुबोकर मारने के आरोप में एक युवक के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई है। शिकायत के बाद आरोपी लगभग 10 घंटे पुलिस की हिरासत में रहा।  पुलिस ने मृत चूहे का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। ‘पीपल फॉर एनिमल’ के जिला अध्यक्ष विकेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने रास्ते में देखा कि एक युवक ने चूहे को पकड़ने के बाद उसकी पूंछ में पत्थर का टुकड़ा बांधकर उसे नाले में फेंक दिया. इस पर शर्मा ने नाले में कूदकर चूहे को बाहर निकाला, लेकिन कुछ देर में उसकी मौत हो गई। 

पुलिस सूत्रों के अनुसार विकेंद्र ने सदर कोतवाली पुलिस को पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एक तहरीर दी है। इसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि शुक्रवार दोपहर में शहर के गांधी ग्राउंड चौराहे के पास से वह गुजर रहे थे, तो मनोज कुमार नाम का एक युवक चूहे की पूछ में पत्थर बांधकर उसे वहां मौजूद नाले में फेंकता दिखा।



आरोपी युवक से कई गई पूछताछ



बताया जा रहा है कि विकेंद्र ने तत्काल ही नाले में कूदकर चूहे को बाहर निकाला, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी. बिकेंद्र शर्मा की तहरीर पर सदर कोतवाली पुलिस ने शव को सील कर बदायूं के पशु चिकित्सालय में भिजवाया, लेकिन वहां के कर्मचारियों ने संसाधनों के अभाव में पोस्टमॉर्टम करने से इंकार कर दिया। 



आईवीआरआई में होगा पोस्टमॉर्टम



वादी के प्रार्थना पत्र पर पुलिस ने बरेली स्थित आईवीआरआई में चूहे के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया है.बदायूं नगर के पुलिस उपाधीक्षक आलोक मिश्रा ने बताया की चूहे को नाले में डुबोकर मारने का शिकायती पत्र आया था जिस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी मनोज कुमार को थाने बुलाकर पूछताछ की गई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आरोपी के खिलाफ विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पुलिस उपाधीक्षक आलोक मिश्र ने बताया कि चूहा पशु की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए पशु क्रूरता अधिनियम लागू नहीं होगा.



पशुओं के साथ क्रूरता न करना नागरिकों का मूल कर्तव्य



हमारे संविधान में हर नागरिक के लिए अधिकारों के साथ कुछ मूल कर्तव्य भी बताए गए हैं। इन्हीं कर्तव्यों में से एक है पशुओं के साथ पशुता ना करना। संविधान के अनुच्छेद 51(A) के तहत हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। भारतीय वन संरक्षण अधिनियम 1971 के मुताबिक पशुओं का शिकार करना, उनसे करतब कराना या देखना, उनकी निर्मम हत्या करना जघन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं। ऐसा करने के आरोपी को 3 साल की जेल और ₹10 हजार का जुर्माना देने का प्रावधान है। साथ ही, IPC की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी व्यक्ति ने जानवर को जहर दिया या किसी अन्य तरीके से हत्या की, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।


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