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New Delhi. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने एक मीडिया समूह द्वारा आयोजित कार्यक्रम में खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा सीजेआई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करना भारतीय न्यायपालिका के इतिहास की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। जस्टिस बोबड़े ने कहा कि उन्होंने इस पीसी को रोकने के पूरे प्रयास किए थे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका कभी राजनीति के प्रभाव में नहीं आई है।
अहम मुद्दों पर खुलकर की बातचीत
पूर्व सीजेआई जस्टिस बोबड़े ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर राजनीति के प्रभाव के सवाल पर कहा कि सियासत का शब्द किसी के साथ भी जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कई बड़े फैसलों का जिक्र भी किया और कहा कि राफेल के केस में कुछ भी सियासी नहीं था, वह एक डिफेंस डील थी। अयोध्या का मामला आजादी से पहले का था, उसमें भी कुछ राजनीतिक नहीं था, केवल इतनी सी बात थी कि राजनेता उन मुद्दों पर बात करते हैं।
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अदालत कभी राजनीति में नहीं होती शामिल
पूर्व सीजेआई जस्टिस बोबड़े बोले कि अदालतों के तौर पर हम कभी पॉलिटिक्स में शामिल नहीं होते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत दवे के आरोपों पर भी बातचीत की। बता दें कि दवे यह आरोप लगा चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट पीएम मोदी से डरता है। जस्टिस बोबड़े बोले कि मैं उनके विचारों पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहूंगा।
4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी यह बोले
4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि वह घटना न्यायपालिका के इतिहास में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। उन्होंने कहा कि मैने उसे रोकने की काफी कोशिश की थी। हालांकि कुछ लोगों ने उसमें मेरी कथित भूमिका को लेकर पहले ही लिख दिया है। मैने इसे खुद से नहीं किया होता। दरअसल 12 जनवरी 2018 में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन लोकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए थे। आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा महत्वपूर्ण मामलों को जूनियर जजों को असाइन कर देते थे।
370 और किसान आंदोलन पर भी यह कहा
जस्टिस बोबड़े ने आर्टिकल 370 को हटाने और उसके बाद गिरफ्तार किए गए लोगों के मामले में कहा कि उस केस की फाइलें जानबूझकर नहीं रोकी गई थीं। उस दौरान कोरोन फैला हुआ था, तब हमारे सामने सैकड़ों केस पेंडिंग थे और जज मौजूद नहीं थे। किसान आंदोलन पर उन्होंने कहा कि हमने न्यूज में लोगों और पुलिस को गणतंत्र दिवस पर लालकिले में भिड़ते देखा। मैं तभी सरकार के पास जाने और कृषि कानूनों पर रोक लगाने के बारे में सोच रहा था। मैने अपने सहयोगियों से भी बात की थी और फिर हमने कृषि कानूनों पर रोक लगाने का फैसला किया था, इसमें कुछ भी सियासी नहीं था।