भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हर काम के लिए तत्पर रहते थे। वीपी सिंह शक्की थे। वे हर किसी को संदेह की नजर से देखते थे। वहीं, प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हर किसी की चिंता करते थे। वे अपने साथ काम करने वाले लोगों की परवाह किया करते थे।
यह खुलासा हाल ही में आई किताब 'डिड आई रियली डू ऑल दिस' में किया गया है। यह किताब पूर्व आईपीएस विजय रमन की ऑटो बायोग्राफी है। इसमें उन्होंने देश के प्रमुख प्रधानमंत्रियों के साथ उनके अनुभवों को विस्तार से बताया है। इसमें कई अनसुने किस्से हैं। हालांकि इस किताब का प्रकाशन उनके निधन के बाद हुआ है। किताब में रमन ने राजीव गांधी, वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और चंद्रशेखर के साथ काम करने के अनुसने किस्सों का उल्लेख किया है।
राजीव गांधी के अनसुने किस्से
विजय रमन ने अपनी किताब में लिखा है कि राजीव गांधी बेहद विनम्र और उदार स्वभाव के थे। वे हर काम के लिए हमेशा तैयार रहते थे। अच्छे कार्यों को समझौते का शिकार नहीं होने देते। उन्होंने हमेशा अपने काम को बेहतरीन तरीके से किया। रमन ने लिखा कि उन्होंने कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया, पर राजीव गांधी के व्यक्तित्व की तुलना में कोई नहीं टिक सका। एक घटना का उल्लेख करते हुए, रमन लिखते हैं, पूर्व अमेरिकी राजदूत जॉन केनेथ ने राजीव गांधी की लोकप्रियता की तुलना अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी से की थी।
वीपी सिंह संदेह की नजर से देखते थे
विजय रमन अपनी किताब में लिखते हैं कि वर्ष 1989 में जब राजीव गांधी चुनाव हार गए, तब वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। उनका संबंध एक शाही परिवार से था, लेकिन वे हर व्यक्ति और हर चीज को संदेह की नजर से देखते थे। उनकी इस सोच के कारण एसपीजी अधिकारियों के लिए उनके साथ काम करना मुश्किल और तनावपूर्ण हो जाता था।
नरसिम्हा राव को बताया इंटेलिजेंट पीएम
रमन ने नरसिम्हा राव को इंटेलिजेंट प्रधानमंत्री के रूप में वर्णित किया है। राव खाली समय में किताबें पढ़ते थे और राजनीति व धर्म पर गहन चर्चा करते थे। यही उनके व्यक्तित्व को अनोखा बनाता था। उनकी बाईपास सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उन्हें रोजाना सुबह 6 बजे टहलने की सलाह दी थी। उनकी सुरक्षा के लिए एसपीजी ने रेसकोर्स रोड पर स्थित तीन बंगलों (नंबर 5, 7, और 9) को मिलाकर बड़ा प्रधानमंत्री आवास बनाया और उसमें 1.6 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनवाया, ताकि राव वहां वॉक कर सकें।
चंद्रशेखर हर किसी की परवाह करते थे
अपनी किताब में रमन ने लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को उन्हें अपने साथ काम करने वाले लोगों की बहुत परवाह थी। वे हमेशा इस बात का ध्यान रखते थे कि एसपीजी अधिकारी पहले खाना खाएं। एक बार चंद्रशेखर को बुलेटप्रूफ कार की टेस्ट ड्राइव के लिए ले जाया गया था। उस समय उन्होंने मजाक में कहा था कि इस कार में अगर प्रधानमंत्री बैठेगा, तो उसे मारने की जरूरत नहीं, वो खुद ही मर जाएगा।
रमन ने किए दो स्पेशल एनकाउंटर
रमन ने किताब में लिखा है कि चंबल में कुख्यात डाकू पान सिंह तोमर पुलिस की रणनीतियों को समझने में माहिर था, इसलिए वह कई बार पकड़ में आने से बच गया। हालांकि, एक मुखबिर की सूचना पर हुई मुठभेड़ में पान सिंह मारा गया, जबकि वह पुलिस को ही फंसाने की योजना बना रहा था। अंत में वह खुद ही पुलिस के जाल में फंस गया। इस एनकाउंटर में पान सिंह समेत नौ डकैत मारे गए थे। इस तरह विजय रमन ने इस कुख्यात गिरोह का अंत कर दिया। वहीं, रमन ने श्रीनगर में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड गाजी बाबा को भी मार गिराया था।
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