NEW DELHI. जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने ट्विटर पर अपने पिता के निधन की जानकारी साझा की। सुभाषिनी ने लिखा कि पापा नहीं रहे। शरद यादव ने बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई थी। उनकी समाजवाद वाली राजनीति ने उन्हें लोकप्रिय बनाया था।
पापा नहीं रहे ????
— Subhashini Sharad Yadav (@Subhashini_12b) January 12, 2023
पिछले कई दिनों से बीमार थे शरद यादव
शरद यादव का गुरुवार रात दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हुआ। शरद पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। देर शाम उनकी तबीयत बेहद ज्यादा बिगड़ गई। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद इलाज के दौरान उन्होंने आखिरी सांस ली।
Family members pay respects to former Union Minister and JDU leader Sharad Yadav at his residence in Delhi's Chhatarpur.
The leader passed away at a private hospital in Gurugram last night. pic.twitter.com/ixkb9B85Wx
— ANI (@ANI) January 13, 2023
शरद यादव के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया
शरद यादव के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया। पीएम ने लिखा कि शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजोकर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।
Pained by the passing away of Shri Sharad Yadav Ji. In his long years in public life, he distinguished himself as MP and Minister. He was greatly inspired by Dr. Lohia’s ideals. I will always cherish our interactions. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2023
लालू और नीतीश दोनों के साथ रहे थे शरद
शरद यादव उन नेताओं में से थे जो लालू और नीतीश दोनों के साथ रहे। शरद यादव को नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता था। नीतीश कुमार से राजनीतिक रिश्ते खराब होने के बाद वे अकेले पड़ गए। वहीं बीमार होने की वजह से वे राजनीति में एक्टिव भी नहीं रहते थे।
मध्यप्रदेश में हुआ था शरद यादव का जन्म
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) के बाबई (अब माखननगर) में हुआ। उनके पिता किसान थे। 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते वक्त उन्हें राजनीति में दिलचस्पी हुई। इसके बाद शरद छात्र संघ से जुड़े। छात्र संघ में जब शरद को अध्यक्ष बनाया गया वहां से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।
राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे शरद यादव
शरद यादव पढ़ने लिखने में तेज थे। शरद ने बीई सिविल में गोल्ड मेडल जीता था। शरद यादव राजनीति में राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी प्रभावित थे। उन्होंने कई बार लोहिया के आंदोलनों में हिस्सा लिया। शरद यादव को कई बार जेल भी जाना पड़ा। मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में शरद यादव की अहम भूमिका रही।
ये खबर भी पढ़िए..
3 राज्यों से लोकसभा पहुंचे शरद यादव
शरद यादव भारत के पहले ऐसे नेता रहे जो 3 राज्यों से लोकसभा का चुनाव जीते। मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार। 1974 में शरद यादव ने मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता था। 1989 में शरद यादव ने यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1991 में बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से शरद यादव सांसद बने। साल 1996 में भी शरद यादव बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से चुनाव जीते। 2004 में शरद यादव दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने। 2009 में शरद यादव सातवीं बार लोकसभा सांसद बने।