NEW DELHI. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने कार्यकाल के दौरान तीन दिन के लिए असम दौरे पर गए थे। इस दौरान कोविंद काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी गए थे। यहां उनकी मेजबानी इंतजामों के लिए सरकार ने 1.1 करोड़ रुपये बाघ संरक्षण निधि और 51 लाख रुपये उद्यान के एक अन्य वन्यजीव कोष से लिए थे। ये सभी जानकारियों का खुलासा एक RTI से हुआ है।
सीएम शर्मा के निमंत्रण पर आए थे राष्ट्रपति
जुलाई 2021 में असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद को असम आने का निमंत्रण देने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। सीएम के इस निमंत्रण को राष्ट्रपति ने स्वीकार किया था। राष्ट्रपति के इस दौरे पर हुए खर्च को जानने के लिए राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र निदेशक कार्यालय में RTI के तहत एक आवेदन लगाया गया, आवेदन के बदले में मिला जानकारी ने चौंका दिया है। दरअसल सूचना के अधिकार के तहत लगाए आवेदन के जवाब में यह पता चला है कि इसके प्रधान वन संरक्षक और राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन एमके यादव ने राष्ट्रीय उद्यान के एक अन्य वन्यजीव कोष से 51 लाख रुपए जारी किए, इन रुपयों से अतिथियों के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया था। सूचना के अधिकार के तहत लगाए गए आवेदन के जवाब में फील्ड डायरेक्टर द्वारा अनुसार, पार्क अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीवों की रक्षा के लिए निर्धारित मद से 1 करोड़ 64 लाख 16 हजार रुपए राष्ट्रपति और उनके काफिले के उद्यान में आराम से रहने के इंतजामों के लिए खर्च किए गए थे।
राज्य सूचना आयोग में अपील के बाद मिली जानकारी
आरटीआई दायर करने वाले शख्स का नाम रोहित चौधरी है जिसने पिछले साल 18 मई को ये जानना चाहा था कि तब के राष्ट्रपति के असम दौरे के दौरान कितने रुपए खर्च किए गए थे। अब उस सवाल के जवाब में काजीरंगा फील्ड डायरेक्टर ऑफिस ने बताया कि जब वे नेशनल पार्क आए थे, तब उनकी यात्रा को लेकर 1.6 करोड़ रुपए खर्ज किए गए थे। ये रुपए खाने, कारपेट, और मोमेंटों देने में खर्च किए गए। इसके अलावा फंड के एक हिस्से का इस्तेमाल कन्वेंशन हॉल की मरम्मत, पेंटिंग-पुताई और दूसरी सुविधाओं पर भी खर्च किया गया है।
नियमों के फेर में खर्च को जायज ठहराने की कोशिश
काजीरंगा बाघ संरक्षण फाउंडेशन जीप और हाथी सफारी से पार्क को होने वाली कमाई से वित्त पोषित है। मानस और नामेरी रिजर्व में राज्य के ऐसे दो अन्य फाउंडेशन हैं। ये फाउंडेशन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38x के तहत स्थापित किए गए थे। खर्च को सही ठहराने के लिए पार्क अधिकारीयों ने जिस नियम 25 (बी) (2) का हवाला दिया है, उसमें कहा गया है, ‘पर्यटक प्रवेश शुल्क और अन्य शुल्क आदि के माध्यम से प्राप्त धन का 90 प्रतिशत नीचे उल्लिखित गतिविधियों में उपयोग किया जाएगा और फंड का 10 प्रतिशत सोसाइटी फंड के रूप में फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जाएगा। हालांकि, नियमों के बारे में जानने में ये बात जानकारी में आई कि धन का उपयोग केवल बाघ संरक्षण को बढ़ाने और स्थानीय लोगों की भागीदारी के माध्यम से पर्यावरण-विकास पहल और संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जाना है। नियमों में बताई गई गतिविधियों में कहीं भी ‘किसी गणमान्य व्यक्ति के दौरे की लागत को पूरा करने के लिए फाउंडेशन से धन लेने’ की बात शामिल नहीं है।
एक दिन का भोजन खर्च 2.43 लाख, चाय पर 50 हजार
रिपोर्ट के अनुसार, 20 फरवरी को पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के दौरे के दौरान भोजन पर कुल 2,43,768 रुपए खर्च किए गए। आरटीआई का जवाब दिखाता है कि 26 फरवरी को चाय के लिए 50,000 रुपए खर्च किए गए। एक एयर प्यूरिफायर खरीदने के लिए 97,940 रुपए खर्च किए गए, जबकि पूर्व राष्ट्रपति के लिए एक रेट्रोरिफ्लेक्टिव बोर्ड और भेंट में दी गई मेमेंटो की कीमत 6.2 लाख रुपए दर्शाई गई।
वन मंत्री ने को नहीं मामले की जानकारी
कोविंद की यात्रा के दौरान पार्क अधिकारियों द्वारा बाघ संरक्षण कोष के दुरुपयोग के बारे में पूछे जाने पर राज्य के वन मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने असमिया मीडिया से कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। वह इससे अनभिज्ञ हैं और इसकी जांच करेंगे।‘काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक (स्थानीय मीडिया को) बाघ संरक्षण फाउंडेशन के धन को खर्च करने के लिए ऊपर के आदेशों का हवाला दिया था, जो वास्तविक नहीं लगता। जब वह ‘ऊपरी ताकत की बात कर रहे हैं, मैं बस उम्मीद करता हूं कि उनका मतलब दैवीय शक्तियों से नहीं है।’काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत में रॉयल बंगाल टाइगर और तेंदुओं के लिए विशेष प्रजनन क्षेत्रों में से एक माना जाता है। 2006 में पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था और माना जाता है कि यह दुनिया में बाघों के उच्चतम घनत्व वाले क्षेत्रों में से एक है। 2022 की जनगणना के अनुसार, पार्क में 124 बाघ हैं।