महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले चुनावों के चलते सत्ताधारी पार्टियों ने जनता को लुभाने के लिए कई स्कीमों का ऐलान किया है। इनमें महिलाओं को हर महीने 2000 रुपए की नगद योजना और टोल टैक्स में छूट की घोषणा भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने इन घोषणाओं को चुनौती देते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। मांग की गई है कि चुनाव से ठीक पहले मुफ्त स्कीमों की घोषणा को रिश्वत घोषित करना चाहिए। जो वोटर को एक तरह से रिश्वत का झांसा देता है। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर रोक लगा दी जानी चाहिए। यह रोक सिर्फ सरकार पर नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों पर भी लागू होनी चाहिए।
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चुनावों में लुभावनी योजनाओं की रहती है भरमार
चुनावों के दौर में महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक ऐसी लुभावनी योजनाओं की भरमार देखी जा सकती है। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में प्रवेश करने वाले सभी टोल टैक्स के लिए माफी मांगी। लड़की-बहिन योजना का ऐलान भी किया है। केंद्र ने भी OBC आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर बढ़ाने की सिफारिश की है। झारखंड में भी ऐसी कई योजनाओं का ऐलान किया है। इसके अलावा हरियाणा में भी चुनाव से पहले ऐसी कई घोषणाएं की थीं, जिनमें अब शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की गई है।
कौन है याचिकाकर्ता?
कर्नाटक के रहने वाले शशांक जे श्रीधर ने दायर की गई अपनी याचिका में कहा कि चुनाव से ठीक पहले फ्री वाली स्कीमों के ऐलान को रिश्वत घोषित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा गया कि फ्री की योजनाओं से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। राजनीतिक पार्टियां इस तरह की मुफ्त योजनाओं की घोषणा कर देती हैं पर यह नहीं बताती कि वह इनको पूरा कैसे करेंगे। ऐसे वादों से वोटरों के साथ धोखाधड़ी होती है।
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