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महात्मा गांधी की जीवन यात्रा
गांधी जयंती: गांधी जी ने देश की आजादी के लिए कई बड़े कदम उठाए। हर कदम पर उन्हें सफलता और निराशा, दोनों का सामना करना पड़ा। ( Biography of Mahatma Gandhi) सत्य और अहिंसा का उनका संदेश आज भी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्रोत बना हुआ है।
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दक्षिण अफ्रीका 1893
1893 में डरबन से प्रिटोरिया की यात्रा के दौरान गांधी जी को प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद भी ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। इसकी वजह सिर्फ नस्लीय भेदभाव (रंगभेद) थी।
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1906: सत्याग्रह का पहला कदम
गांधी जी ने 1906 में दक्षिण अफ्रीका में एक अपमानजनक कानून, जिसे 'ब्लैक एक्ट' कहते थे, के विरोध में आवाज उठाई। इसी विरोध में उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध यानी 'सत्याग्रह' का पहला सफल प्रयोग किया।
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गांधी जी की भारत वापसी
दक्षिण अफ्रीका में 21 साल तक संघर्ष करने के बाद गांधी जी जनवरी 1915 में हमेशा के लिए भारत वापस आ गए। महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें 'महात्मा' (महान आत्मा) की उपाधि दी।
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चंपारण: भारत में पहली जीत
1917 में, गांधी जी ने बिहार के उन किसानों के लिए आवाज उठाई जिन पर नील की खेती के लिए अत्याचार हो रहा था। यह भारत में उनका पहला सफल आंदोलन था।
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1920: असहयोग आंदोलन
1920 में गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। यह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारत का पहला बड़ा देशव्यापी आंदोलन था।
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1930: नमक सत्याग्रह
1930 में, Mahatma Gandhi ने ब्रिटिश नमक कानून तोड़ने के लिए साबरमती आश्रम से दांडी तक 24 दिनों की लंबी पैदल यात्रा की, जिसे दांडी मार्च कहते हैं।
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1942: भारत छोड़ो आंदोलन
1942 में शुरू हुआ भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे निर्णायक पड़ाव था। इसी दौरान गांधीजी ने जनता को "करो या मरो" (Do or Die) का प्रसिद्ध नारा दिया।