जानें गणपति की किस रूप , मुहूर्त और दिशा में स्थापना करना है शुभ... एक खबर में जानिए सबकुछ

गणेश चतुर्थी पर्व के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक उनकी पूजा आराधना करते हैं, लेकिन सभी के मन में सवाल आता है कि गणपति को किस रूप में, किस मुहूर्त में, किस दिशा में बैठना चाहिए।

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Ravi Singh
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Ganesh Chaturthi 2024 : आ रहा है एक विराट उत्सव जिसका इंतजार भक्तों को साल भर रहता है। कब विघ्न विनाशक आएं और उन्हें अपने घर ले जाएं। इस साल गणपति 7 सितंबर विराजने वाले हैं। सभी भक्तों ने इसकी तैयारी भी कर ली है। गणेश चतुर्थी पर्व के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक उनकी पूजा आराधना करते हैं, लेकिन सभी के मन में सवाल आता है कि गणपति को किस रूप में, किस मुहूर्त में, किस दिशा में बैठना चाहिए, जिससे उनकी पूजा का फल मिल जाए।

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

पं.सत्यनारायण भार्गव के अनुसार 7 सितंबर को शाम को 5 बजकर 38 मिनट तक चतुर्थी तिथि है। विधिवत भद्रा समाप्ति के बाद गणेश चतुर्थी मनाई जा सकती है। भद्रा की निवृत्ति शाम 5:38 के बाद ही होगी। उदया तिथि के मुताबिक पूरे दिन चतुर्थी मनाई जाएगी। गणपति की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त अमृत बेला में शाम 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 40 शाम तक है। शुभ की बेला रात को 9 बजकर 07 मिनट से रात 10 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

राशियों के अनुसार गणपति

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों को गणपति जी की गुलाबी या फिर लाल रंग की मूर्ति की स्थापना करना चाहिए। इस दौरान ॐ हीं ग्रीं य सिद्ध मंत्र का जाप करें। इससे आपको विशेष लाभ मिलेगा।

वृषभ राशि

वृषभ राशि वाले ध्यान रखें कि उनको हल्के पीले रंग के गणेश जी स्थापित करने चाहिए। इस दौरान आप ॐ वक्रतुण्डाय हूं सिद्धम मंत्र का जाप करना चाहिए जो आपको लिए लाभकारी होगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों को अपने घर में हल्के हरे रंग के गणपति जी स्थापना करना चाहिए। घर में गणेश जी की स्थापना के दौरान ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करते रहें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर रहेगी।

कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों को गणपति कि सफेद रंग की प्रतिमा लानी चाहिए, जो शुभ मानी जाती है। ऐसे में आप गणेश जी की सफेद रंग की प्रतिमा स्थापित करते समय ॐ वरदाय नमः या ॐ वक्रतुण्डाय हूं मंत्र का जप करते रहें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए सिंदूरी रंग की बप्पा की मूर्ति अपने घर लाना चाहिए। इसके साथ ही स्थापना के दौरान ॐ सुमंगलाये नम: मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

कन्या राशि

कन्या राशि के लोगों को गहरे हरे रंग के गणेश जी घर में स्थापित करने चाहिए। मूर्ति स्थापना से पहले ॐ चिंतामण्ये नम: मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से साधक की सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।

तुला राशि

तुला राशि के लोगों को गणपित जी की हल्के नीले रंग की प्रतिमा घर में स्थापित करने से  शुभ फल मिलेगा। गणेश जी की स्थापना के दौरान आप ॐ वक्रतुण्डाय नमः मंत्र का जाप कर शुभ फलों की प्राप्ति होगी और ऐसा करने से जीवन की समस्याएं दूर होने लगेंगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लोगों को अपने घर पर गहरे लाल रंग की गणेश जी की प्रतिमा ला सकते हैं। इसके साथ ही गणपति स्थापना के दौरान ॐ नमो भगवते गजाननाय अद्य मंत्र का जाप करते रहें। इससे आपको जीवन में बेहतर परिणाम मिलेंगे।

धनु राशि

धनु राशि को पीले रंग के गणपति जी अपने घर में स्थापित करने चाहिए। साथ ही इस राशि के जातकों को गणपति स्थापना से पहले ॐ गं गणपतये मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलेगा और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी। 

मकर राशि

मकर राशि वालों को गणेश उत्सव के खास मौके पर गणेश जी के हल्के नीले रंग की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। इस दौरान आप ॐ गं नमः मंत्र का जाप कर करते रहना चाहिए। इससे भगवान एकदंत आपसे प्रसन्न होंगे।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों को बप्पा की गहरे नीले रंग की प्रतिमा स्थापित करना शुभ माना जाता है। इन जातकों को ॐ गं रोग मुक्तये फट् मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी की स्थापना करनी चाहिए। इससे आपको हर प्रकार की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।

मीन राशि

मीन राशि वालों को गणेश उत्सव के मौके पर पीले रंग की गणपति जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। मूर्ति स्थापना के दौरान ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा मंत्र का जाप करने से आपके सभी कष्ट दूर हो होंगे।

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मूर्ति खरीदते समय रखें ध्यान

मूर्तिकारों ने प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। बाजार में आपको मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) दोनों से बनी प्रतिमाएं मिल जाएंगी। अगर आप मूर्ति लेने जा रहे हैं, तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि कौन सी मूर्ति आपके लिए अच्छी होगी।

मिट्टी की मूर्ति खरीदें

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अगर आप गणपति की स्थापना करना चाहते हैं तो आप बाजार से मिट्टी से बनी मूर्ति लेकर आएं। मिट्टी से बनी मूर्ति के कई फायदे हैं, एक तो इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, साथ ही मिट्टी की मूर्ति पूजा अर्चना के बाद विसर्जन के दो से ढाई घंटे में ही पानी में घुल जाएगी। नदियों या तालाबों में इन मूर्तियों के विसर्जन करने से जलीय जीव जंतुओं को भी कोई नुकसान नहीं होता है।

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पीओपी की मूर्ति नहीं खरीदें

गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियां केमिकल से बनती हैं और जब उनको विसर्जित होती हैं तो यह मूर्तियां लंबे समय तक गलती नहीं हैं।  केमिकल युक्त होने से जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंचती है, साथ ही पानी में बहकर नदियों के किनारे आने से मूर्तियां कचरे में शामिल हो जाती हैं, जिससे लोगों की भावनाएं भी आहत होती है।

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गणपति की स्थापना कैसे करें

पं.सत्यनारायण भार्गव का कहना है कि गणेश चतुर्थी की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर में 3:01 से शुरू हो जाएगी और 7 सितंबर को शाम 5:37 पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के मुताबिक गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन आप अपने घर और चौक चौराहा में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान गणेश जी की प्रतिमा लेकर आएं। उनका स्वागत खूब गाजे बाजे के साथ करें और उनकी आंखों में लाल कपड़ा जरुर बांध दें, इसके बाद उनका स्वागत करें। घर में प्रवेश करते समय पुष्प की वर्षा करें और गणेशजी का जयकारे लगाते रहें।

किस दिशा में बप्पा की सूंड

पं.हरिवल्लभ शर्मा के अनुसार कि जब भी आप बप्पा की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि बप्पा की मूर्ति में मूषक की सवारी अवश्य होना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि मूर्ति का एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में हो और दूसरे हाथ में मोदक या फिर लड्डू हो तो शुभ माना जाता है। सबसे अहम बात ये कि मूर्ति में बप्पा की सूंड बाईं ओर झुकी होना चाहिए। गणेश जी की सूंड जिस मूर्ति में दाहिनी और झुकी होती है, माना जाता है कि उस मूर्ति में तंत्र की पूजा होती है.

स्थापना के समय इन बातों का रखें ध्यान

भगवान गणेश के स्वरूप की बैठी हुई मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें, जिसकी सूंड दाईं ओर हो, मूषक हो और जनेऊधारी हो।

शुभ मुहूर्त में ही स्थापित करें, खासकर मध्यान्ह काल में।

श्री गणेश मूर्ति को घर की उत्तर दिशा या ईशान कोण में स्थापित करें। वह जगह शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।

गणेशजी की मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।

लकड़ी के पाट पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर ही भगवान को स्थापित करें।

एक बार गणेश मूर्ति को वहां स्थापित करें, फिर वहां से विसर्जन के समय तक हिलाएं नहीं।

गणपति स्थापना के दौरान मन में बुरे भाव न लाएं और न ही कोई बुरा कार्य करें।

स्थापना के दौरान घर में तामसिक भोजन न बनाएं, केवल सात्विक भोजन करें।

गणेशजी की स्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा करें और भोग लगाएं।

स्थापना के बाद विधि-विधान से पूजा-आरती करें और फिर प्रसाद वितरण करें।

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गणेश जी स्थापना इस दिशा में करें

पं. राजेंद्र दीक्षित के अनुसार घर में हर चीज को रखने के लिए दिशा का विशेष महत्व है इसी तरह गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते समय दिशा का ध्यान रखना चाहिए, यदि आप विघ्नहर्ता की मूर्ति लाएं तो पश्चिम, उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थापित करें ये दोनों दिशाएं सबसे शुभ मानी जाती हैं। ऐसा करने से गणेश जी की कृपा आप पर बनी रहेगी।

गणेश चतुर्थी के दिन गणपति का पूजन करते हैं और यह सिलसिला अनंत चतुर्दशी तक चलता है। चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही चतुर्थी का चांद देखा जा सकता है. चतुर्थी का चांद देखने से अपयश मिलता है, वहीं दूसरी बात जब चंद्रमा उदित होता है तो गणपति की स्थापना होती है, इसलिए भगवान गणपति की पूजा सभी प्रकार के कष्टों और दुखों को दूर करने के लिए ही होती है, इसलिए गणेश के व्रत को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।

गणपति को लगाएं भोग

भक्त भोग लगाते समय ध्यान रखें कि भगवान गणेश को चावल व गेहूं के आटे से बने लड्डू और मोदक, गुड़ और नारियल से भरे मीठे पकोड़े अच्छे लगते हैं। इस दौरान बप्पा को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के मोदक और लड्डू जरूर बनाएं और उन्हें प्रसाद के रूप में चढ़ाए। साथ ही बप्पा को 21 अलग-अलग मिठाइयों को प्रसाद के रूप में अर्पित करना चाहिए। भोग लगाते समय इदं नानाविधि नैवेद्याने ऊं गं गणपतये समर्पयामि इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

अगर आप गणपति जी को घर में स्थापित कर रहे हैं तो 10 दिन तक रोज सुबह और शाम उन्हें भोग लगाएं और आरती करे। मूर्ति के पास अंधेरा नहीं होना चाहिए। घर को सूना न करें।

पूजा सामग्री

गणपति को सिंदूर, दूर्वा और मोदक जरुर चढ़ाएं लेकिन भूलकर भी बप्पा की पूजा में केतकी के फूल, तुलसी का इस्तेमाल न करें।

आरती के समय रखें ध्यान

गणेश जी की जब भी आरती करें तो भक्त इस बात का ध्यान रखें की आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाएं। शंख बजाते समय मुंह उपर की तरफ हो शंख को धीमे स्वर में शुरू करते हुए धीरे-धीरे बढ़ाएं। आरती करते हुए ताली बजाएं। घंटी एक लय में बजाएं और आरती भी सूर और लय का ध्यान रखते हुए गाएं। इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम आदी वाद्य यंत्र भी बजाते रहें। आरती गाते समय शुद्ध उच्चरण करना चाहिए। आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती हो। तेल की बत्ती का उपयोग करने से बचना चाहिए। कपूर से आरती भी कर सकते हैं। बत्तियों की की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस होना चाहिए। आरती लेफ्त से राइट की और करना चाहिए।

 विसर्जन करते समय ध्यान रखें

पं.हरिवल्लभ शर्मा के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन से पहले भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करें, साथ ही गणेश चालीसा का पाठ भी करें। पूजा करने के बाद एक लकड़ी के पाटे को लाकर उसे गंगाजल से शुद्ध करके स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद लाल रंग का कपड़ा बिछा दें और चारों कोनों पर पूजा की सुपारी रखें। जहां गणेशजी की मूर्ति रखी हुई है, वहां से उसे जयघोष के साथ उठाकर उस लकड़ी के पाट पर विराजमान कर दें। इसके बाद गणेशजी के सामने नए फूल, फल, मोदक रखकर एक बार फिर नए वस्त्र अर्पित करके आरती करें।

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अनजाने में हुई गलती के लिए माफी मांगे

इसके बाद पास रखी सभी चीजों की पोटली बनाकर गणेशजी के पास ही रख दें। आरती के बाद गणेशजी से 10 दिन पूजा के दौरान अनजाने में हुई गलती की माफी मांगे और अगले साल जल्दी आने की कामना करें। इसके बाद गणपति बप्पा मोरिया के नारे लगाते हुए बप्पा को पाट सहित उठाकर अपने सिर या कंधे पर रख लें और जयकारे के साथ घर से विदा करें। साथ ही बप्पा को पूरे घर में ले जाएं और घर की चौखट से निकलते वक्त बप्पा का मुख घर की तरफ रखें और पीठ बाहर की तरफ होना चाहिए। इसके बाद बप्पा को विसर्जन स्थान पर ले जाने के बाद एक बार फिर कपूर से आरती करें और बप्पा के पास रखी पोटली को फेंके नहीं बल्कि मान सम्मान के साथ सभी को गणेशजी के साथ नदी, तलाब में विसर्जित करें।

घर में भी कर सकते हैं विसर्जन

अगर आप नदी या तलाब में बप्पा का विसर्जन नहीं कर सकते तो आप घर में ही विसर्जन कर सकते हैं। घर में किसी प्लास्टिक के टब या होद में गणेश विसर्जन कर सकते हैं, फिर उस पानी और मिट्टी को घर के गमले या गार्डन में विसर्जन कर दें। इसके बाद भगवान गणेश से  सभी कष्टों को दूर करने की कामना करें।

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