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गणेश चतुर्थी की शुरुआत
इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी और लालबागचा राजा के दर्शन ने पूरे मुंबई में उत्सव का माहौल बना दिया है। यह सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि मुंबई की आस्था, विश्वास और परंपरा का प्रतीक है।
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मुंबई में गणेशोत्सव की शुरुआत
मुंबई में गणेशोत्सव की शुरुआत लालबागचा राजा के पहले दर्शन से होती है जो भक्तों में अपार उत्साह और श्रद्धा भर देता है। इस साल भी 92वें वर्ष के इस उत्सव में बप्पा की पहली झलक ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। आइए, जानते हैं इस साल के लालबागचा राजा के स्वरूप और समारोह की कुछ खास बातें।
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भव्य दर्शन और शाही भव्यता
लालबागचा राजा 2025 का पहला स्वरूप सामने आया जिसे देखकर भक्त राजा की शाही भव्यता से अभिभूत हो गए। इस भव्य दर्शन के साथ ही 10 दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई है।
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92वें वर्ष का गणेशोत्सव
लालबागचा राजा गणेश मंडल इस साल अपने 92वें वर्ष का गणेशोत्सव मना रहा है (गणेशोत्सव शुरू), जिसकी भव्य शुरुआत हो चुकी है। यह ऐतिहासिक महत्व का उत्सव हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
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नवसाचा गणपती का महत्व
लालबागचा राजा को 'नवसाचा गणपती' (मनोकामना पूरी करने वाला गणपति) भी कहा जाता है। इस बार भी भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर दूर-दूर से आ रहे हैं और घंटों कतार में खड़े होकर दर्शन कर रहे हैं।
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तिरुपति बालाजी की थीम
इस साल का पंडाल भगवान तिरुपति बालाजी की थीम पर सजाया गया है, जो किसी स्वर्ण महल जैसा दिखाई देता है। इस भव्य सजावट ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया है।
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वैशिष्ट्यपूर्ण श्रृंगार
बप्पा को इस साल बैंगनी रंग की धोती, सिर पर आकर्षक मुकुट और हाथ में चक्र अर्पित किया गया है। उनके वस्त्रों और माला की सुंदरता ने उनके स्वरूप को और भी दिव्य बना दिया है।
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भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा
लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंडल ने विशेष व्यवस्था की है। भीड़ प्रबंधन और सेवा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं ताकि भक्तों को असुविधा न हो। इससे भक्तों को सुगम और सुरक्षित तरीके से दर्शन करने में मदद मिल रही है।
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बप्पा का विसर्जन
11 दिनों तक दर्शन देने के बाद, अनंत चतुर्दशी के दिन लालबागचा राजा की प्रतिमा को गिरगांव चौपाटी पर अरब सागर में विसर्जित कर दिया जाता है। यह प्रतिमा मुंबई की आस्था, विश्वास और परंपरा का प्रतीक बन चुकी है।