Gen Z Workplace Behavior को लेकर हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। यह जनरेशन, जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई है, आजकल कंपनियों की प्राथमिकता में पीछे होती जा रही है। एजुकेशन और करियर कंसल्टेंसी प्लेटफॉर्म द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, हर छह में से एक कंपनी Gen Z युवाओं को नौकरी देने से बच रही है।
क्यों हो रही हैं समस्याएं?
Gen Z को लेकर कंपनियों की मुख्य समस्या उनकी परफॉर्मेंस और वर्किंग स्टाइल से जुड़ी है। सर्वे में पाया गया कि यह पीढ़ी जल्दी नाराज हो जाती है और काम के दौरान आने वाली चुनौतियों को सही तरीके से संभाल नहीं पाती। 50% से ज्यादा हायरिंग मैनेजर्स का मानना है कि इस जनरेशन में मेहनत करने का जज्बा कम और अवास्तविक अपेक्षाएं अधिक हैं।
वर्कप्लेस पर चुनौतियां
यह पीढ़ी अक्सर उन नौकरियों का चुनाव करती है, जो उनकी क्षमताओं से मेल नहीं खातीं। सही कम्युनिकेशन स्किल्स की कमी और टीमवर्क में असमर्थता, इन्हें अन्य जनरेशंस से अलग करती है। इसके अलावा, जेन-जी वर्कप्लेस और बॉस से बहुत अधिक उम्मीदें रखती है, जो अक्सर पूरी नहीं हो पातीं।
नौकरी पाने के लिए जरूरी टिप्स
विशेषज्ञों का मानना है कि Gen Z को नौकरी पाने के लिए कंपनियों की जरूरतों को समझना चाहिए। पॉजिटिव एटीट्यूड, समय की पाबंदी और नई चीजें सीखने की इच्छा उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं। साथ ही, सोशल मीडिया और पॉलिटिक्स से दूरी बनाकर रखना भी एक बड़ा प्लस पॉइंट है।
भविष्य की चुनौतियां
इंडीड और नैसकॉम की 'फ्यूचर ऑफ वर्क 2024' रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक 30 करोड़ से ज्यादा जेन अल्फा युवा वर्कफोर्स का हिस्सा बनेंगे। इसका मतलब है कि Gen Z को अपनी स्किल्स को सुधारने और प्रोफेशनल माहौल के साथ एडजस्ट करने की जरूरत होगी।
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