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अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस का नाम इन दिनों भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के बीच कथित संबंधों का आरोप लगाया है।बीजेपी ने यह आरोप लगाया है कि जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन से कांग्रेस को विदेशी फंडिंग मिल रही है और इस कारण भारत में संसद सत्र के दौरान कुछ विवादित घटनाएं हो रही हैं। बीजेपी के आरोपों के बीच, कांग्रेस ने इन आरोपों को झूठा और बिना आधार के बताया है। आइए जानते हैं आखिर जार्ज सोरोस कौन हैं...
कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। ब्रिटेन में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तरह जाना जाता है। जिसने साल 1992 में शॉर्ट सेलिंग से बैंक ऑफ़ इंग्लैंड को बर्बादी की हद तक हिला दिया था। उनका जन्म हंगरी में एक यहूदी परिवार में हुआ था। हिटलर के नाज़ी जर्मनी में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तो वो किसी तरह सुरक्षित बच गए. दूसरे विश्व युद्ध के बाद हंगरी कम्युनिस्ट देश बन गया। बाद में वे निकलकर पश्चिमी देश आ गए थे। शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले सोरोस ने शेयर बाज़ार से क़रीब 44 अरब डॉलर कमाए। इस पैसे से उन्होंने हज़ारों स्कूल, अस्पताल बनवाए। सोरोस ने लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए लड़ने वाले संगठनों की मदद की। साल 1979 में सोरोस ने ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन की स्थापना की जो अब क़रीब 120 देशों में काम करती है। उनके इस काम की वजह से वो हमेशा दक्षिणपंथियों के निशाने पर भी रहते हैं। उन्होंने साल 2003 के इराक़ युद्ध की आलोचना की थी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को लाखों डॉलर दान में दिए थे. इसके बाद से उनपर अमेरिकी दक्षिणपंथियों के हमले और तेज़ होने लगे।
सोरोस पर लगे ये आरोप
साल 2019 में ट्रंप ने एक वीडियो को रिट्वीट करते हुए दावा किया था कि होन्डुरास से हज़ारों शरणार्थियों को अमेरिकी सीमा पार करके दाख़िल होने के लिए सोरोस ने पैसे दिए थे। जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या इसके पीछे सोरोस हैं तो ट्रंप का जवाब था बहुत से लोग ऐसा ही कहते हैं और अगर ऐसा है तो वो भी इससे हैरान नहीं होंगे। बाद में पता चला कि सोरोस ने किसी को कोई पैसे नहीं दिए थे और ट्रंप ने जो वीडियो शेयर किया था वो भी फेक था।
सोरोस के खिलाफ रहे हैं कई देश
अक्टूबर 2018 में एक अमेरिकी श्वेत श्रेष्ठतावादी ने सिनागॉग में गोलीबारी कर 11 यहूदियों को मार दिया था। गोलीबारी करने वाले रॉबर्ट बोवर्स की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से कई बातें पता चलीं। वो मानते थे कि उनकी जैसी विचारधारा रखने वाले श्वेत श्रेष्ठतावादियों के नरसंहार का षडयंत्र रचा जा रहा है। उसे लगता था कि इसके पीछे जॉर्ज सोरोस हैं। लेकिन अमेरिका ही नहीं जॉर्ज सोरोस के ख़िलाफ़ आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस और फ़िलीपींस में भी अभियान चलाए जाते हैं। तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप अर्दोआन तक ने कहा था कि सोरोस उस यहूदी साज़िश के केंद्र में हैं जो तुर्की को आपस में बांट कर बर्बाद करना चाहता है। सोरोस के जन्मस्थान हंगरी की सरकार भी उन्हें अपना दुश्मन मानती है और साल 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने सोरोस पर ख़ूब निशाना साधा। उन चुनावों में ऑर्बन की जीत हुई और सोरोस समर्थित संस्थाओं पर सरकारी हमले इतने बढ़ गए कि सोरोस की संस्था ने हंगरी में काम करना बंद कर दिया।
जॉर्ज सोरोस के विवादित बयान
जॉर्ज, जिनका नाम इन दिनों भारतीय राजनीति में गूंज रहा है, एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। वे अपनी शॉर्ट सेलिंग से प्रसिद्ध हुए थे, जिसने 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को हिला दिया था। सोरोस का ओपन सोसाइटी फाउंडेशन लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए काम करता है, लेकिन उनका यह काम दक्षिणपंथियों के निशाने पर भी रहता है। उन्होंने कई देशों में सरकारी नीति का विरोध किया है, जिनमें भारत, तुर्की और हंगरी शामिल हैं।
बीजेपी ने लगाया ये आरोप
बीजेपी ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के बीच एक गहरे संबंध हैं। बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने यह आरोप राज्यसभा में और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी लगाए। उनका कहना था कि जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन से विदेशों से फंडिंग हो रही है, जो भारत में संसद सत्र के दौरान विवादों को बढ़ा रही है।
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