New Delhi. पर्यावरण संरक्षण को लेकर आपकी सतर्कता जेब के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को गति देने के लिए बड़ी पहल की है। पर्यावरण मंत्रालय ने ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के क्रियान्वयन नियम 2023’ का मसौदा जारी किया है। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए लोगों को ग्रीन क्रेडिट दिया जाएगा। इस ग्रीन क्रेडिट को बेचना संभव होगा। मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के माध्यम से निजी क्षेत्र के उद्योगों और कंपनियों के साथ-साथ अन्य लोगों को ऐसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा, जिससे कार्बन उत्सर्जन नियंत्रित होता है। इसका अहम उद्देश्य इस दिशा में एक बाजार आधारित व्यवस्था तैयार करना है।
कैसे मिलेगा ग्रीन क्रेडिट
व्यक्तिगत स्तर पर, एफपीओ, सहकारी संगठन, शहरी और ग्रामीण निकायों, प्राइवेट सेक्टर और उद्योगों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अच्छे प्रयासों के लिए ग्रीन क्रेडिट प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रोग्राम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। पहले चरण में दो-तीन ऐसी गतिविधियों को शामिल किया जाएगा, जिनके बदले ग्रीन क्रेडिट मिलेगा। धीरे-धीरे इसमें पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी अधिकतम गतिविधियों को शामिल कर लिया जाएगा। ग्रीन क्रेडिट को बेचना और खरीदना संभव होगा।
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उदाहरण के साथ समझें ग्रीन क्रेडिट की व्यवस्था
1997 में क्योटो प्रोटोकाल के तहत ग्रीन क्रेडिट की अवधारणा सामने आई थी। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। दो कंपनियां हैं ए और बी। उनके काम के प्रकार और राष्ट्रीय स्तर पर तय व्यवस्था के तहत उन कंपनियों की पूरी प्रक्रिया में अधिकतम कार्बन उत्सर्जन की सीमा तय होती है। सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जन पर उन्हें जुर्माना देना होगा। कंपनी ए पेड़ लगाने, ग्रीन टेक्नोलाजी और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग जैसे कदमों के माध्यम से उत्सर्जन स्तर को तय सीमा से कम कर लेती है। उसे इसके बदले ग्रीन क्रेडिट मिलेगा। वहीं कंपनी बी ज्यादा उत्सर्जन करती है। उसके पास विकल्प होगा कि वह या तो जुर्माना भरे या कंपनी ए से ग्रीन क्रेडिट खरीद ले। भारत सरकार इसी व्यवस्था को मूर्तरूप देने का प्रयास कर रही है।