जीएसटी घटेगा... सिनेमाघर में मिलने वाला खाने-पीने का सामान हो सकता है सस्ता, जानें...

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BP Shrivastava
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जीएसटी घटेगा... सिनेमाघर में मिलने वाला खाने-पीने का सामान हो सकता है सस्ता, जानें...

NEW DELHI. जीएसटी में फिर कुछ मामलों में राहत देने की तैयारी शुरू हो गई है। जीएसटी परिषद की 11 जुलाई को होने वाली बैठक में कैंसर के इलाज में उपयोगी व्यक्तिगत रूप से आयातित दवा डिनुटूक्सिमैब को कर से छूट दे सकती है। साथ ही सिनेमाघरों में परोसे जाने वाले भोजन या पेय पदार्थों पर जीएसटी कम करने के बारे में फैसला ले सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली परिषद निजी कंपनियों की तरफ से दी जाने वाली उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं को लेकर जीएसटी छूट पर भी निर्णय कर सकती है। इसके अलावा, 22 प्रतिशत उपकर लगाने के लिए उपयोगी वाहनों की परिभाषा भी स्पष्ट की जा सकती है। कर निर्धारण से संबद्ध फिटमेंट समिति ने परिषद को 11 जुलाई को होने वाली 50वीं बैठक में इन मामलों में चीजें स्पष्ट करने की सलाह दी है।





किन सिफारिशों पर होगा विचार





समिति की सिफारिशों के अलावा, परिषद आनलाइन गेमिंग पर मंत्री समूह की रिपोर्ट पर भी विचार करेगी। साथ ही अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप देगी और बजटीय समर्थन की योजना के तहत 11 पहाड़ी राज्यों में पूर्ण रूप से केंद्रीय जीएसटी और 50 प्रतिशत एकीकृत जीएसटी की भरपाई करने के लिए उद्योग की मांग पर भी विचार करेगी। 





रजिस्ट्रेशन के नियम होंगे सख्त





जीएसटी परिषद फर्जी रजिस्ट्रेशन पर लगाम लगाने के लिए नियमों को कड़ा कर सकती है। इसके तहत रजिस्ट्रेशन चाहने वाले व्यक्ति के पैन से जुड़े बैंक खाते का ब्योरा कर अधिकारियों के पास जमा करने को लेकर समय अवधि मौजूदा 45 दिनों से घटाकर 30 दिन की जा सकती है। परिषद 11 जुलाई को अपनी बैठक में जीएसटी पंजीकरण देने से पहले ‘उच्च जोखिम’ वाले आवेदकों के कारोबारी परिसर के अनिवार्य रूप से भौतिक सत्यापन का भी प्रावधान कर सकती है। साथ ही, जीएसटी नियमों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि जिस व्यक्ति के व्यावसायिक परिसर का सत्यापन किया जा रहा है, उसे उस दौरान मौके पर मौजूद नहीं रहना चाहिए।





GOM ऑनलाइन गेमिंग और कसीनो पर 28% GST लगाने पर सहमत





मंत्रियों का समूह (GOM) ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो पर 28 प्रतिशत की दर से GST लगाने पर सहमत है। हालांकि ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्स को लेकर गोवा सहमत नहीं है। गोवा ने प्लेटफॉर्म शुल्क पर 18 प्रतिशत GST लगाने का सुझाव दिया है।  GST काउंसिल की 11 जुलाई को होने वाली बैठक में इस पर भी विचार किया जाएगा कि क्या टैक्स कुल गेमिंग राजस्व (GGR) या प्लेटफार्म द्वारा लिए जाने वाले शुल्क पर लगना चाहिए। साथ ही परिषद इस बात पर भी चर्चा करेगी कि ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ या कसीनो में खिलाड़ियों द्वारा लगाए जाने वाले पूरे दांव पर टैक्स लगाया जाना चाहिए। वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद को यह भी फैसला लेना है कि क्या ये तीनों गतिविधियां सट्टेबाजी या जुए के तहत कार्रवाई योग्य श्रेणी में आती हैं या नहीं? 





राज्यों से क्या मिले सुझाव





जीएसटी काउंसिल में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की अगुआई वाले मंत्री समूह में आठ राज्यों- बंगाल, उत्तर प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सदस्य हैं। बंगाल और उत्तर प्रदेश का विचार था कि लगाए गए दांव के पूर्ण अंकित मूल्य पर 28 प्रतिशत GST लगाया जाना चाहिए, जबकि गुजरात का कहना था कि प्लेटफॉर्म शुल्क पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिए। मेघालय का विचार था कि कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़दौड़ द्वारा लिए जाने वाले GGR या प्लेटफार्म शुल्क या कमीशन पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिए। गोवा ने कसीनो के कुल गेमिंग राजस्व पर 28 प्रतिशत कर लगाने का सुझाव दिया। 





पहाड़ी राज्यों की पूर्ण CGST वापसी की मांग पर होगा विचार 





GST परिषद 11 हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थित औद्योगिक इकाइयों की पूर्ण केंद्रीय जीएसटी (CGST) और शुद्ध एकीकृत जीएसटी (IGST) भुगतान के 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की मांग पर चर्चा कर सकती है। अभी केंद्र अक्टूबर, 2017 में अधिसूचित की गई अपनी ‘बजटीय सहायता योजना’ के तहत CGST का 58 प्रतिशत और IGST का 29 प्रतिशत वापस करता है। दरअसल, हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थित औद्योगिक इकाइयां उनके द्वारा नकद में किए गए भुगतान में CGST के शेष 42 प्रतिशत और IGST के 21 प्रतिशत की उचित ब्याज के साथ वापसी के लिए एक व्यवस्था के क्रियान्वयन की मांग कर रही हैं। हालांकि, ये राज्य राजस्व वृद्धि संतोषजनक नहीं रहने की वजह से कर बंटवारे में उनको मिले सीजीएसटी और आईजीएसटी के हिस्से की प्रतिपूर्ति के पक्ष में नहीं हैं। जीएसटी से पहले उत्पाद शुल्क के दौर में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को छूट मिली हुई थी।



 



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