GST में रजिस्टर्ड हैं 12500 फर्जी कंपनियां, बायोमेट्रिक का इस्तेमाल कर पता लगाएगी सीबीआईसी 

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Pratibha Rana
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GST में रजिस्टर्ड हैं 12500 फर्जी कंपनियां, बायोमेट्रिक का इस्तेमाल कर पता लगाएगी सीबीआईसी 

New Delhi. वस्तु और सेवा कर (GST) के तहत पंजीकृत फर्जी कंपनियों का पता लगाने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण पर विचार कर रहा है। इसका उद्देश्य ऐसे फर्जी व्यवसायियों पर नकेल कसना है, जो जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने के लिए अन्य लोगों के पैन और आधार का दुरुपयोग कर रहे हैं। जीएसटी अधिकारियों ने लगभग 12,500 फर्जी संस्थाओं की पहचान कर ली है। ऐसे फर्जी रजिस्ट्रेशन और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट को रोकने के लिए अब बड़ा कदम उठाया जा रहा है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के दायरे को सीमित करने के लिए जीएसटी रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस में कुछ और सख्ती की जाएगी। जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक 11 जुलाई को होने वाली है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में फर्जी रजिस्ट्रेशन और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट को रोकने के लिए नई योजना पर मुहर लगा सकती है। 





जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में और सख्ती होगी





केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावे पर लगाम लगाने के लिए कर अधिकारी जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में कुछ और सख्ती करने पर भी विचार कर रहे हैं। CBIC प्रमुख ने कहा कि फर्जी पंजीकरण के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान अधिकारियों ने लगभग 12,500 कंपनियों की पहचान की है। इनका इस्तेमाल फर्जी ITC का दावा करने के लिए किया जाता है। 





बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का होगा इस्तेमाल





सीबीआईसी के चेयरमैन जोहरी ने बताया कि कोई भी कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधियों या निदेशकों या भागीदारों का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण द्वारा नया पंजीकरण होगा। अगर जीएसटी के तहत पंजीकृत में शामिल है तब उन पर कार्रवाई हो सकती है। अगर कर अधिकारियों को संदेह होता है कि ये आवेदन आईटीसी का फर्जी दावा करने के लिए किया जा रहा है तो इसके लिए जांच के बाद कड़ी कार्रवाई हो सकती है। 





सभी संस्थाओं की जियो-टैगिंग की योजना





केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अधिकारियों द्वारा सभी संस्थाओं की जियो-टैगिंग की योजना भी बनाई जा रही है। इससे यह प्रमाणित किया जा सकता है कि  जीएसटी पंजीकरण के दौरान प्रदान की गई जानकारी सही है या नहीं। अभी तक बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और जियो-टैगिंग देश के कुछ कुछ राज्यों में चल रहा है। जल्द ही इसे पूरे भारत में लॉन्च किया जाएगा।





12500 फर्जी संस्थाओं की पहचान, सबसे ज्यादा दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में 





सीबीआईसी प्रमुख ने बताया कि फर्जी पंजीकरण के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान, जीएसटी अधिकारियों ने लगभग 12,500 फर्जी संस्थाओं की पहचान की है। ये फर्जी आईटीसी का दावा करने और सरकारी खजाने को धोखा देने के लिए किया जाता था। दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान जैसे कुछ स्थान हैं जहां फर्जी संस्थाएं बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। इसी के साथ गुजरात, नोएडा, कोलकाता, असम, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी जीएसटी पंजीकरण के साथ नकली व्यवसाय चल रहे हैं। मेटल या प्लास्टिक स्क्रैप और बेकार कागज से संबंधित व्यवसाय में फर्जी जीएसटी का ज्यादा मामले शामिल हैं।





रिटर्न प्रोसेस हुआ सख्त





नकली आईटीसी दावों को नियंत्रित करने के लिए कर अधिकारियों ने रिटर्न प्रॉसेस को सख्त बनाने  की योजना कर रहे हैं। अभी करदाताओं को छूट दी गई है वे जीएसटीआर -2 ए में कितना आईटीसी का दावा कर पाएंगे। ये छूट इसलिए दी गई है क्योंकि कई व्यपारी इसको लेकर चिंता व्यक्त कर रहे थे।





अनुमान : 2017 से अब तक करीब तीन लाख करोड़ रुपए की कर चोरी 





जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक फर्जी तरीकों से करीब तीन लाख करोड़ रुपए की कर चोरी होने का अनुमान है। इसमें से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक कर चोरी पिछले वित्त साल 2022-23 में ही की गई है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि जीएसटी प्रणाली में सबसे जरूरी सुधार इसके नेटवर्क को उन्नत करने का है ताकि नकली आपूर्ति और आईटीसी के फर्जी दावों को रोका जा सके।





जीएसटी... 2017 से अब तक





देशव्यापी एकसमान कर प्रणाली के रूप में जीएसटी एक जुलाई 2017 को लागू की गई थी। इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट और 13 उपकर जैसे 17 स्थानीय शुल्क शामिल थे। जीएसटी लागू होने के छह साल के भीतर मासिक कर राजस्व बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपए के पार जा पहुंचा है। अप्रैल 2023 में राजस्व 1.87 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। वहीं शुरुआती दौर में औसत मासिक राजस्व 85,000-95,000 करोड़ रुपये हुआ करता था। मासिक राजस्व में लगातार वृद्धि के साथ, जीएसटी अधिकारी अब धोखेबाजों को पकड़ने और कर चोरी पर अंकुश लगाने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।



 



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