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गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार, 12 जून को एयर इंडिया का एक बोइंग ड्रीमलाइनर 787 विमान क्रैश हो गया, जिसकी तस्वीरें डरावनी और चौंकाने वाली सामने आई हैं।
यह विमान अहमदाबाद के मेघानीनगर इलाके में गिरा, जहां बड़े पैमाने पर आग की लपटें और काले धुएं का गुबार देखा गया। इस विमान में कुल 242 यात्री सवार थे और फिलहाल सभी की मौत की आशंका जताई जा रही है।
यह विमान लंदन के लिए उड़ान भरने वाला था, लेकिन अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेकऑफ करते समय विमान किसी आसपास की इमारत या दीवार से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
यह हादसा कैसे हुआ इसका पता लगाने में सबसे अहम रोल एअरप्लेन के कॉकपिट में लगा हुआ ब्लैक बॉक्स निभाएगा। किसी भी एअरप्लेन हादसे में ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड हुए डाटा से घटना के कारण का पता लगाया जाता है।
क्या होता है ब्लैक बॉक्स ?
ब्लैक बॉक्स विमान का एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है, जो विमान की उड़ान के दौरान सभी डेटा और कॉकपिट की बातचीत रिकॉर्ड करता है।
इसमें दो प्रमुख रिकॉर्डर होते हैं: फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR), जो उड़ान से जुड़ी तकनीकी जानकारी रिकॉर्ड करता है, और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR), जो पायलटों के संवाद को दर्ज करता है।
यह उपकरण विमान दुर्घटनाओं की जांच में मदद करता है और सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाता है।
ब्लैक बॉक्स क्यों है जरूरी ?
जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो ब्लैक बॉक्स से प्राप्त जानकारी हादसे के कारण का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ब्लैक बॉक्स दो प्रमुख रिकॉर्डर्स का संयोजन होता है:
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फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान के सभी महत्वपूर्ण तकनीकी डेटा को रिकॉर्ड करता है, जैसे गति, ऊंचाई, दिशा, ईंधन स्तर, और विमान के अन्य महत्वपूर्ण मापदंड। इस डेटा से यह पता चलता है कि विमान ने टेकऑफ के दौरान कैसी स्थिति में उड़ान भरी थी और दुर्घटना के समय क्या हो रहा था।
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कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह रिकॉर्डर कॉकपिट के अंदर के संवादों को रिकॉर्ड करता है, जिसमें पायलट और सहायक पायलट के बीच बातचीत, अलार्म की आवाज़ें, और अन्य महत्वपूर्ण संकेत होते हैं। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि पायलट ने क्या निर्णय लिया और यदि कोई तकनीकी समस्या उत्पन्न हुई थी, तो उसने उस पर कैसे प्रतिक्रिया दी।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना और ब्लैक बॉक्स से संभावित जानकारी
अहमदाबाद में हुए इस क्रैश में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि विमान की दुर्घटना का कारण क्या था। जबकि प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, विमान के टेकऑफ के दौरान आसपास की किसी इमारत या दीवार से टकराने की बात सामने आई है, ब्लैक बॉक्स से मिलने वाली जानकारी इस घटना की पूरी सच्चाई को उजागर कर सकती है।
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फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से प्राप्त डेटा यह बताएगा कि क्या विमान की गति, ऊंचाई और दिशा में कोई असामान्य बदलाव आया था। क्या पायलट ने किसी प्रकार की तकनीकी समस्या का सामना किया था? क्या विमान की नियंत्रण प्रणालियों में कोई दोष था? इन सवालों का जवाब फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से मिलेगा।
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कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की मदद से यह पता चल सकता है कि पायलट और सहायक पायलट के बीच संवाद में क्या हुआ था। क्या पायलट ने किसी आपातकालीन स्थिति का सामना किया था? क्या वह अपने फैसले में किसी प्रकार की दबाव में था? या फिर, क्या कोई अन्य तकनीकी खराबी थी, जिसका कोई संकेत कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से मिल सकता है?
ब्लैक बॉक्स की भूमिका
ब्लैक बॉक्स विमान सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है। यह न केवल दुर्घटनाओं के कारण का पता लगाने में मदद करता है, बल्कि इससे विमान कंपनियां और सरकारें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठा सकती हैं।
यदि विमान का ब्लैक बॉक्स जल्दी से प्राप्त कर लिया जाता है, तो दुर्घटना के कारणों की जांच में तेजी लाई जा सकती है, जिससे भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।
अहमदाबाद में हुए इस दर्दनाक विमान हादसे में ब्लैक बॉक्स से मिलने वाली जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह हमें यह समझने में मदद करेगी कि आखिरकार विमान क्यों दुर्घटनाग्रस्त हुआ। क्या यह एक तकनीकी समस्या थी, या पायलट की मानव त्रुटि का परिणाम था? यह सभी सवाल ब्लैक बॉक्स की जानकारी से सुलझ सकते हैं, जिससे हम भविष्य में विमान सुरक्षा को और भी बेहतर बना सकें।
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