NEW DELHI. गुजरात में दूसरे चरण का मतदान सोमवार को खत्म हो गया। इसी के साथ हिमाचल प्रदेश, गुजरात में विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव के उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। हिमाचल में 68 सीटों पर 12 नवंबर को वोटिंग हुई थी, जबकि गुजरात में 182 सीटों पर दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को वोट डाले गए। इसके नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे। वहीं, MCD के लिए मतदान चार दिसंबर को था, इसके परिणाम सात दिसंबर को आएंगे। आज तक के अनुसार सर्वें के अनुसार गुजरात में बीजेपी को बड़ी जीत मिल सकती है। एजेंसी के अनुसार गुजरात में बीजेपी को 129-151, कांग्रेस को 16-30, आप को 09-21 और अन्य को 2 से 6 सीटें मिल सकती हैं।
गुजरात चुनाव का एग्जिट पोल
- आज तक एग्जिट पोल में बीजेपी को 129-151, कांग्रेस को 16-30, आप को 09-21 और अन्य को 2 से 6 सीटें मिलती दिख रही हैं।
हिमाचल प्रदेश चुनाव का एग्जिट पोल
- इंडिया न्यूज-जन की बात: 32-40 सीटें भारतीय जनता पार्टी को मिलने का अनुमान है। कांग्रेस को 27-34, आम आदमी पार्टी को 0 और अन्य को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान बताया जा रहा है।
गुजरात, हिमाचल में अभी तक ये स्थिति
गुजरात में दूसरे चरण में 61 राजनीतिक दलों के 833 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण में 1 दिसंबर को 89 सीटों पर वोटिंग हुई थी। गुजरात में फर्स्ट फेज में 63.31 फीसदी मतदान हुआ था।
वहीं, हिमाचल प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को वोटिंग हुई थी। हिमाचल में इस बार 75 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को तो हिमाचल विधानसभा का 8 जनवरी 2023 को खत्म हो रहा है।
कैसे कराए जाते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल में एक सर्वे होता है, जिसमें वोटरों से कई सवाल किए जाते हैं। उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया। ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही होता है। सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम पोलिंग बूथ के बाहर वोटरों से सवाल करती है। इसका एनालिसिस किया जाता है और इसके आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। भारत में कई एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती हैं।
तीन तरह के होते हैं चुनावी सर्वे
1. प्री पोल- ये सर्वे चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद और वोटिंग शुरू होने से पहले किए जाते हैं, जैसे राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान 1 अगस्त को हुआ और 15 सितंबर से पहले चरण की वोटिंग शुरू हुई थी तो प्री पोल सर्वे 1 अगस्त के बाद और 15 सितंबर से पहले हो चुके होंगे।
2. एग्जिट पोल- ये सर्वे वोटिंग की तारीख वाले दिन ही होती है। इसमें वोटरों का मन टटोलने की कोशिश की जाती है। हर चरण की वोटिंग वाले दिन ही ये सर्वे होता है। ये पोलिंग बूथ के बाहर किया जाता है और वोट देकर बाहर आने वाले लोगों से सवाल किए जाते हैं।
3. पोस्ट पोल- ये सर्वे वोटिंग खत्म होने के बाद किया जाता है, जैसे 5 दिसंबर को वोटिंग खत्म हो जाएगी। अब कल से या एक-दो दिन बाद से पोस्ट पोल सर्वे शुरू हो जाएगा। इसमें आमतौर पर ये जानने की कोशिश होती है कि किस तरह के वोटर ने किस पार्टी को वोट दिया.
एग्जिट पोल को लेकर गाइडलाइंस
- एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी। 1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था।
गुजरात और हिमाचल दोनों जगह बीजेपी की सरकार
2017 के चुनाव में बीजेपी ने गुजरात विधानसभा की 182 में से 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 77 सीटें हासिल की थीं। चुनाव के बाद बीजेपी ने विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि, सितंबर 2021 में रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। गुजरात में 2017 में 9 दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच वोटिंग हुई थी। 18 दिसंबर को नतीजे आए थे। गुजरात विधानसभा में बहुमत के लिए 92 सीटें चाहिए।
वहीं, हिमाचल विधानसभा की 68 सीटों के लिए 2017 में 9 नवंबर को वोटिंग हुई थी। बीजेपी ने 68 में से 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने 21 सीटें हासिल की थी। जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
हिमाचल में बीजेपी-कांग्रेस में मुकाबला, तो गुजरात में AAP ठोक रही ताल
हिमाचल प्रदेश में इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है तो वहीं, गुजरात में इस बार तमाम बड़े ऐलानों के साथ आम आदमी पार्टी भी मैदान में है। ऐसे में गुजरात में बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
बीजेपी के लिए गुजरात खास क्यों?
गुजरात बीजेपी के लिए काफी मायने रखता है। पहला तो ये कि गुजरात पीएम मोदी का गृह राज्य है। मोदी अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक यहां के मुख्यमंत्री रहे। 1995 से बीजेपी यहां सत्ता पर काबिज है। 1995 में यहां बीजेपी के केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री बने थे। तब से कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए 182 में से 77 सीटों को हथिया लिया।