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NEW DELHI/AHMEDABAD. पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मोरबी जाकर स्थिति का जायजा लिया। पीएम ने घायलों से मुलाकात की और हालचाल जाना। इससे पहले उन्होंने कल अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की थी। जानकारी के मुताबिक, हादसे में जान गंवाने वाले 134 लोगों में से 47 बच्चे थे। 100 से ज्यादा घायलों का इलाज चल रहा है और इनमें से कई मोरबी के सिविल अस्पताल में एडमिट हैं।
पीएम के लिए अस्पताल में देर रात हुआ रेनोवेशन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्पताल की कुछ दीवारों और छत के कुछ हिस्सों को दोबारा से पेंट किया गया और नए वॉटर कूलर लगाए गए। दो वॉर्डों में बिस्तरों की चादरें भी बदली गईं, जहां पुल हादसे के करीब 13 घायल भर्ती हैं। 31 अक्टूबर की देर रात कई लोगों को पूरे परिसर में झाड़ू लगाते भी देखा गया। अस्पताल के कायापलट के दौरान दिख रहे पुराने कूलर, क्षतिग्रस्त दीवारें और छत असलियत का बयां कर रही थीं।
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विपक्ष के निशाने पर पीएम का दौरा
त्रासदी का इवेंट
कल PM मोदी मोरबी के सिविल अस्पताल जाएंगे। उससे पहले वहां रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। चमचमाती टाइल्स लगाई जा रही हैं।
PM मोदी की तस्वीर में कोई कमी न रहे, इसका सारा प्रबंध हो रहा है।
इन्हें शर्म नहीं आती! इतने लोग मर गए और ये इवेंटबाजी में लगे हैं। pic.twitter.com/MHYAUsfaoC
— Congress (@INCIndia) October 31, 2022
Morbi Civil Hospital का दृश्य...
कल प्रधानमंत्री के Photoshoot में कोई कमी ना रह जाए इसलिए अस्पताल की मरम्मत की जा रही है।
अगर भाजपा ने 27 वर्षों में काम किया होता तो आधी रात को अस्पताल को चमकाने की जरूरत न पड़ती।#BJPCheatsGujarat pic.twitter.com/h83iUmPzKA
— AAP (@AamAadmiParty) October 31, 2022
आरजेडी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा- आज उसी अस्पताल को सजाया-संवारा जा रहा है, जहां वो खानापूर्ति करने जा रहे है। अस्पताल के अंदर सैकड़ों लाशों का ढेर है। पूरा देश गुजरात हादसे से गमजदा है, लेकिन एक विशेष शख्स ड्रेस बदलने व फोटो खिंचवाने में मस्त और व्यस्त है। जहां लाशें पड़ी हो, वहां कोई रंगाई पुताई करवाता है क्या?
सिर्फ छोटों पर तलवार चली, हादसे के असल जिम्मेदार पकड़ से दूर
पुलिस ने इस केस में जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें ओरेवा के दो मैनेजर, दो मजदूर, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं। पुलिस की एफआईआर में ना तो पुल को ऑपरेट करके पैसे कमाने वाली ओरेवा कंपनी का जिक्र है और ना ही रिनोवेशन का काम करने वाली देवप्रकाश सॉल्यूशन का। पुल की निगरानी के लिए जिम्मेदार मोरबी नगर पालिका के इंजीनियरों का भी नाम इसमें नहीं है। यानी केवल छोटे कर्मचारियों को हादसे का जिम्मेदार ठहराकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।
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