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Varanasi. वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के दूसरे दिन का सर्वे का काम पूरा हो गया है। दूसरे दिन सर्वे का काम 12 बजे पूरा होना था लेकिन सर्वे निर्धारित समय से अधिक वक्त तक चला। ऐसी खबर आ रही है कि अंदर मलबा ज्यादा होने के कारण सर्वे 100% पूरा नहीं हो सका। इसलिए, अब कल भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। ज्ञानवापी से बाहर आए हिंदू पक्ष के एक व्यक्ति ने कहा कि कल भी सर्वे होगा। हमारा दावा आज और भी मजबूत हुआ है। उधर, वकीलों ने कहा कि सर्वे जब तक पूरा नहीं हो जाता है, इस पर कुछ कमेंट करना उचित नहीं।
दूसरे दिना का सर्वे
ज्ञानवापी के नक्काशीदार गुंबद की ड्रोन से वीडियोग्राफी हुई। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। दूसरे दिन छत, चार कमरों, बाहर की दीवारों, बरामदे, तालाब के आसपास की वीडियोग्राफी-सर्वे हुआ। उधर, मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस फोर्स अलर्ट रही। गलियों में मार्च कर शांति की अपील की गई। पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश ने बताया कि आज सुरक्षा थोड़ी और बढ़ा दी गई थी।
कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ सर्वे
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को देखते हुए पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट था। ज्ञानवापी मस्जिद के आसपास भारी तादाद में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। जगह-जगह बैरिकेडिंग कर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। मीडिया को भी पहले ही रोक दिया गया है। हालांकि, विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं को मंदिर जाने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। सर्वे के पहले दिन परिसर के बाहर 10 लेयर की सिक्योरिटी थी, जिसे रविवार को 12 लेयर का कर दिया गया है।
शनिवार को तहखाने का हुआ था सर्वे
गौरतलब है कि 14 मई को भी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे हुआ था। इस दौरान वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश भी मौजूद थे। डीएम ने सर्वे के बाद दावा किया था कि करीब 50 फीसदी सर्वे हो गया है। उन्होंने 15 मई को भी सुबह 8 बजे से फिर सर्वे कराए जाने की जानकारी दी थी।
क्या दावे किए जा रहे हैं?
वाराणसी का जो काशी विश्वनाथ मंदिर है, उससे बिल्कुल सटी हुई ये ज्ञानवापी मस्जिद है और दावा किया जा रहा है कि प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है. साल 1991 में वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक मुकदमा दायर किया गया. काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास समेत तीन लोगों ने याचिका दायर की. दावा किया गया कि औरंगजेब ने भगवान विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर उस पर मस्जिद बना दी. लिहाजा ये जमीन उन्हें वापस लौटाई जाए. उनके वकील विजय शंकर रस्तोगी थे. उनसे आजतक ने बात की तो उन्होंने जिन सबूतों को रखा था उनमें ये दो नक्शे हैं.
दूसरा नक्शा पूरे ज्ञानवापी परिसर का है, जिसमें मस्जिद के प्रवेश द्वार के बाद चारों ओर हिंदू-देवताओं के मंदिरों का जिक्र है. वहीं इस कोने में विश्वेश्वर मंदिर है. ज्ञानकूप है. बड़े नंदी हैं. यहीं व्यास परिवार का तहखाना है जिसका सर्वे और वीडियोग्राफी कोर्ट कमिश्नर को करना था. इन्हीं दलीलों के आधार पर विजय शंकर रस्तोगी कोर्ट गए थे.
वहीं, मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट पहुंच गया और 1991 के धर्मस्थल कानून का हवाला देकर कहा कि इस विवाद में कोई फैसला नहीं दिया जा सकता है. हाई कोर्ट ने स्टे दे दिया मगर 22 साल बाद वाराणसी की अदालत ने परिसर के सर्वे और वीडियोग्राफी का हुक्म दिया ताकि ये पता लग सके कि ज्ञानवापी परिसर में वाकई मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी थी या मस्जिद का इलाका अलग है?
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