The Sootr Fact Check
BHOPAL. कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो देश में हिंदुओं की हालत बद से बदतर हो जाएगी। ये हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा कहना है सोशल मीडिया यूजर्स का। देश में आम चुनाव की गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर सियासी बयानबाजी और शेयरिंग-पोस्टिंग का दौर जारी है। पुरानी तस्वीरों, वीडियो और दस्तावेज के जरिए राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर निशाना साध रही हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से जुड़ा एक आदेश खूब वायरल हो रहा है, जिसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस ने हमेशा मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की है और अगर वो फिर से सत्ता में आई तो हिंदुओं की हालत बेहद खराब हो जाएगी। हम आपको इस वायरल पोस्ट की पूरी सच्चाई बता रहे हैं।
ये है वायरल आदेश
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कलेक्टर के नाम जारी इस आदेश में 2020 के कोरोना काल का जिक्र है। इसमें लिखा है कि कलेक्टर अपने अधिकार क्षेत्र में स्थापित क्वारंटाइन सेंटर्स में भर्ती मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए रोजा इफ्तार और सहरी की बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। मध्यप्रदेश कांग्रेस में जारी भारी उठापटक के बीच सोशल मीडिया पर ये सरकारी डॉक्यूमेंट खूब वायरल हो रहा है, जिसे कमलनाथ सरकार के कार्यकाल का बेहद अहम आदेश बताकर कांग्रेस को जमकर कोसा जा रहा है।
आदेश वायरल होने के बाद आरोप
कांग्रेस सरकार पर यूजर्स आरोप लगा रहे हैं कि जब कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती सभी मुसलमानों को रमजान के मद्देनजर अच्छा भोजन और बेहतर माहौल उपलब्ध कराने का आदेश दिया था, लेकिन हिंदुओं के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। इस डॉक्यूमेंट को पोस्ट कर कई यूजर्स ने ये तक कह डाला कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो इसी तरह हिंदुओं को नजरअंदाज कर मुस्लिमों को फायदा पहुंचाती रहेगी। कई यूजर्स ने कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठाए और जमकर खरीखोटी सुनाई।
फैक्ट चेक में चौंकाने वाला खुलासा
द सूत्र ने वायरल पोस्ट की पड़ताल की तो बेहद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। हमें पता चला कि ये आदेश कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने नहीं, बल्कि बीजेपी की शिवराज सरकार के कार्यकाल में रायसेन जिले के कलेक्टर ने जारी किया था। हालांकि अगले ही दिन एक नया और संशोधित आदेश भी जारी हुआ था, जिसमें लिखा था कि रमजान के दौरान भी क्वारंटाइन सेंटर्स में भर्ती मुस्लिम मरीजों के खानपान की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकॉल के हिसाब से होगी। उनके लिए अलग से कोई इंतजाम नहीं किए जाएंगे।
बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान जारी हुआ था आदेश
फैक्ट चैक के दौरान आदेश जारी करने वाले रायसेन के तत्कालीन कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने खुद इस बात की तस्दीक की है। हमने और गहराई में जाकर फैक्ट चैक किया तो पता चला कि वायरल डॉक्यूमेंट में 22 अप्रैल 2020 की तारीख लिखी है। फिर हमने मध्यप्रदेश विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट खंगाली जिसके मुताबिक कमलनाथ 20 मार्च 2020 तक ही प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस में जारी भारी उठापटक के बीच 20 मार्च 2020 को ही नाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। फिर 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। यानी जाहिर है कि 22 अप्रैल 2020, यानी जिस दिन ये आदेश जारी हुआ। उस वक्त प्रदेश में बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी, न कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार।
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सोशल मीडिया पर जबरन निशाना बन रही कांग्रेस
लोकसभा चुनाव के दौरान इस आदेश को सोशल मीडिया पर वायरल कर जबरन कांग्रेस को निशाने पर लिया जा रहा है। हमारी पड़ताल यहां से भी आगे बढ़ी और जब हमने आदेश से जुड़े रिवर्स की-वर्ड सर्च किया तो पता चला कि 2020 में इस पोस्ट को शेयर कर कई यूजर्स ने शिवराज सरकार को भी आड़े हाथों लिया था और बीजेपी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाए थे। 25 अप्रैल 2020 'संस्कृति बचाओ मंच' नाम की संस्था ने बीजेपी सरकार के आदेश का विरोध किया था। फिर दावा किया गया कि विरोध के चलते सरकार ने फैसला वापस ले लिया था। यानी हमने हर स्तर पर जांच की, जिसमें पता चला कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में जारी एक आदेश को कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का बताकर वायरल किया जा रहा है।
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