हनुमान जयंती आज , इस शुभ मुहूर्त में करें संकट मोचन का पूजन, जानें विधि और उपाय

भगवान राम और सीता के प्रति अपनी अटूट भक्ति वाले हनुमान जी को अंजनेय भी कहा जाता है. हनुमान को उनकी अपार शक्ति और ताकत के लिए पूजा जाता है। हनुमान को विभिन्न नामों से जाना जाता है...

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Sandeep Kumar
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BHOPAL.सनातन धर्म में हनुमान जयंती ( Hanuman Jayanti ) बहुत ही खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हनुमान जयंती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल यानी आज मनाई जा रही है। अंजना और केसरी के पुत्र हनुमान जी को वानर देवता, बजरंगबली और वायु देव भी कहा जाता है। कहा जाता है इसी दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। ऐसे में बजरंगबली के भक्त इस दिन को बेहद ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं। एक बार भगवान राम की लंबी उम्र की कामना करते हुए हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था। कहा जाता है तब से ही भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

हनुमान जयंती शुभ योग 

चित्रा नक्षत्र- चित्रा नक्षत्र 22 अप्रैल यानी कल रात 8 बजे शुरू हो चुका है और समापन 23 अप्रैल यानी आज रात 10 बजकर 32 मिनट पर होगा।

वज्र योग- वज्र योग 23 अप्रैल आज सुबह 4 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगा और समापन 24 अप्रैल यानी कल सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर होगा।   

कैसे करें हनुमान जी की पूजा

पहले श्रीराम के मंत्र 'ऊं राम रामाय नम:' का जाप करें, फिर हनुमान जी के मंत्र 'ऊं हं हनुमते नम:' का जाप करें...

हनुमान जयंती पूजन विधि 

उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा रखें।  फिर उसके बाद हनुमान जी के साथ श्रीराम के चित्र की स्थापना करें, साथ ही हनुमान जी को लाल और श्रीराम को पीले फूल चढ़ाएं। हनुमान जी को लड्डुओं का भोग लगाएं और तुलसी भी अर्पित करें।

क्यों हनुमान जी को अंजनेय भी कहा

भगवान राम और सीता के प्रति अपनी अटूट भक्ति वाले हनुमान जी को अंजनेय भी कहा जाता है।  हनुमान को उनकी अपार शक्ति और ताकत के लिए पूजा जाता है। हनुमान को विभिन्न नामों से जाना जाता है जिनमें मारुति नंदन, बजरंगबली, पवन पुत्र, वीर हनुमान, सुंदर और संकट मोचन, जो अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर करते हैं।

हनुमान जयंती 2024 शुभ मुहूर्त 

हनुमान जयंती की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल यानी आज सुबह 3 बजकर 25 मिनट से शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 24 अप्रैल यानी कल सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, हनुमान जयंती इस बार 23 अप्रैल यानी आज ही मनाई जा रही है। ज्योतिषियों की मानें तो, हनुमान जयंती की पूजा अभिजीत मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

हनुमान जयंती पूजन मुहूर्त  

हनुमान जयंती का पहला मुहूर्त- आज सुबह 4 बजकर 20 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
दूसरा मुहूर्त- सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
तीसरा मुहूर्त रात में होगा- रात 8 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

हनुमान जयंती के खास उपाय 

1. हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान के सामने घी या फिर सरसों का दीपक जला दें और 5-11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे जीवन की हर एक परेशानी से निजात मिलेगा। 

2. व्यापार संबंधी समस्या के लिए हनुमान जयंती को सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमानजी को पहनाइ। 

3. हनुमान मंदिर जाकर इस दिन भगवान की विधि विधान से पूजा करने के साथ वहीं बजरंग बाण का पाठ करें। 

4. सेहत संबंधी समस्या हो तो हनुमान जयंती के दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें, हनुमान जी को सिंदूर, लाल फूल और मिठाई अर्पित करें।  इसके बाद हनुमान जी के सामने हनुमान बाहुक का पाठ करें, सेहत की बेहतरी के लिए भी प्रार्थना करें। 

हनुमान जी की आरती 

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके। 
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। 

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए। 
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। 

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। 
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे। 
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। 

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें। 
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। 

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई। 
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

 

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