4 अगस्त दिन रविवार यानी आज हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन स्नान-दान का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली होती है।
इसलिए पुराणों में भी हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाने की परंपरा है। हमारी संस्कृति में वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि हरियाली अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए और स्नान-दान के लिए क्या शुभ मुहूर्त रहेगा।
हरियाली अमावस्या का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन हर व्यक्ति को आज कोई न कोई पौधा आवश्य लगाना चाहिए। अगर इस दिन न लगा सके तो आज से आने वाले आठ दिन तक कभी भी लगा लें। हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से प्यार, पैसा और कामयाबी हासिल होती है। साथ ही इस दिन पितरों के निमित दान-पुण्य का भी बहुत अधिक महत्व है।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त : सावन अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान के कार्य बेहद शुभ माने गए हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त : हरियाली अमावस्या के दिन अभिजीत मुहूर्त में पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दौरान शिवजी की पूजा-आराधना से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
हरियाली अमावस्या पर बन रहा रविपुष्य का योग
ज्योतिष शास्त में रविपुष्य योग को बहुत ही विशेष माना जाता है। जिस तरह गुरुवार का सम्बध देवताओं के गुरु बृहस्पति से माना जाता है, उसी तरह रविवार का सम्बध ग्रहों के राजा सूर्य देव के साथ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र यदि रविवार को होता है, तो इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है, जो काफी शुभ होता है।
ऐसे में हरियाली अमावस्या पर रविपुष्प योग के दौरान शुभ कार्य करना बहुत अधिक फलदायी है। रविपुष्य योग में पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ करना और दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
हरियाली अमावस्या के दिन तांबे के लौटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ, दूब, शहद और फूल डालकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके हाथ में तिल और दूर्वा लेकर अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए पितरों को जल अर्पित करें।
सुहागिनों को सुहागन का सामान दान करें
हरियाली अमावस्या पर महिलाएं व्रत रखती हैं। ऐसे में सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को श्रृंगार सामग्री जैसे हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र, हरी बिंदी और मेंहदी दान कर सकती हैं। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है और पति की उम्र बढ़ती है।
हरियाली अमावस्या पर दीप जलाएं
शाम के समय पांच दीप जलाकर एक दीप भगवान के पास पूजा घर में, दूसरा तुलसी के पास, तीसरा पितरों के लिए घर के बाहर दक्षिण मुंह करके रखें। चौथा दीप घर में जल के स्थान जैसा नल। पांचवां घर के मुख्य द्वार पर रखें। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी। देवी लक्ष्मी का घर में वास होगा और पितर प्रसन्न होकर आपको संतान और उन्नति प्रदान करेंगे।
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