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हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में आश्रित पेंशन के लिए सालों से लड़ाई लड़ रहीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विधवा बर्फी देवी (95 साल) का 8 नवंबर को निधन हो गया। बर्फी देवी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से स्वतंत्रता सेनानी आश्रित पेंशन पाने के लिए 12 सालों तक संघर्ष किया। पेंशन के लिए केंद्र सरकार और हाई कोर्ट तक लड़ाई लड़ी, लेकिन पेंशन की आस में 13 दिसंबर को मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन उससे पहले ही स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बर्फी देवी दुनिया से चल बसीं।
जानें पूरा मामला
बर्फी देवी को पेंशन के लिए यह लंबा इंतजार नौकरशाही की लापरवाही और दस्तावेजों में विसंगतियों के कारण करना पड़ा। इससे पहले उन्होंने कई बार पेंशन को लेकर संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के पूर्ण पात्रता स्वीकार किए जाने के बाद भी पेंशन में देरी हुई। MHA ने हरियाणा सरकार से रिकॉर्ड पर स्पष्टता मांगने के बाद भी पेंशन देने में समय लगा दिया, इस बीच कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण काम प्रभावित होने से पेंशन के मामले में और देरी हो गई। इसके बाद उनके और उनके पति के नाम की स्पेलिंग में विसंगतियों ने पेंशन के इंतजार को और बढ़ा दिया। 12 साल की लंबी लड़ाई के बावजूद वह पेंशन प्राप्त नहीं कर सकीं।
नामों में विसंगतियों ने बढ़ाई परेशानी
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने नामों में भिन्नताओं के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या बर्फी देवी और बरफी देवी एक ही व्यक्ति हैं। इसके साथ ही, मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट करने की आवश्यकता जताई कि उनके दिवंगत पति का नाम सुल्तान सिंह था या सुल्तान राम, क्योंकि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए बैंक पासबुक और पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों में यह जानकारी भिन्न पाई गई है।
2011 तक सुल्तान राम नाम से पेंशन
बर्फी देवी के पति सुल्तान राम को साल 1972 से 2011 तक स्वतंत्रता सेनानी पेंशन दी मिलती रही, लेकिन 2011 में उनका जीवन प्रमाण पत्र के अपडेट नहीं किए के बाद पेंशन बंद कर दी गई। इसके साल 2012 में स्वतंत्रता सेनानी सुल्तान राम की मृत्यु हो गई। पति के निधन के बाद विधवा बर्फी देवी ने नियमों के अनुसार स्वतंत्रता सेनानी आश्रित पेंशन के लिए मामला आगे बढ़ाया।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में लगाई याचिका
महेंद्रगढ़ में डिप्टी कमिश्नर (डीसी) कार्यालय ने भी बर्फी देवी के दावों की पुष्टि करने के बाद केंद्र सरकार को उनके मामले की सिफारिश की थी। सितंबर 2023 में उन्होंने पेंशन पाने के लिए निर्देश मांगने के लिए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में जवाब दाखिल न करने पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार पर दो बार जुर्माना लगाया।
हाई कोर्ट ने मामले में जवाब नहीं देने पर केंद्र पर 15,000 रुपए का जुर्माना 24 अप्रैल को लगाया और फिर 25,000 रुपए का जुर्माना 24 जुलाई को लगाया। हाई कोर्ट की चेतावनी के बाद केंद्र सरकार ने अपना जवाब पेश किया और मामले में सुनवाई के लिए 13 दिसंबर को सुनवाई तय की गई। लेकिन पेंशन का इंतजार कर रहीं बर्फी देवी न्याय मिलने से एक महीने पहले ही दुनिया छोड़ चली गई।
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