ये कैसी चैरेटी : देश की विकास परियोजनाओं में रुकावट डालने वाले 5 NGOs पर आईटी का शिकंजा, अडानी हैं निशाना

आयकर विभाग का आरोप है कि NGOs ने पर्यावरण संरक्षण का इस्तेमाल हथियार की तरह किया है। ताकि भारतीय अदालतों में मुकदमे दायर कर देश की इन विकास परियोजनाओं को रोका जा सके। इनमें विदेशी फंडिंग का उपयोग भी किया गया है...

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Sandeep Kumar
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भारत के विकास में बाधा डालने वाले कई गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) पर आयकर (IT) विभाग ने शिकंजा कसा है। इन एनजीओ ने पर्यावरण संरक्षण (environmental protection ) और कानूनी चुनौतियों के नाम पर देश की महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं में रुकावट डालने का प्रयास किया है। अब इनके विदेशी फंडिंग के नेटवर्क और अभियानों के पीछे के सच को इनकम टैक्स ने उजागर किया है। आईटी विभाग ने पाया है कि ये एनजीओ (NGO ) अडानी और जेएसडब्ल्यू की परियोजनाओं को कानूनी और अन्य तरीके से रोकने का प्रयास कर रहे हैं।

इन NGOs को विदेशों से आई फंडिंग

आयकर विभाग की जांच ने पांच प्रमुख एनजीओ ऑक्सफैम, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर), एनवायरोनिक्स ट्रस्ट, लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट (लाइफ) और केयर इंडिया सॉल्यूशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (CISSD) है। इन NGOs की विदेशी फंडिंग होती है। इसके साथ ही इनके अभियानों के बीच संबंधों को उजागर किया है। पिछले पांच सालो में चार एनजीओ की 75 प्रतिशत से अधिक फंडिंग विदेश से आई है जो उनके कामकाज को प्रभावित कर रही है। 

देश की ऊर्जा और विकास में रुकावट डालने का प्रयास

प्रगतिशील देश की ऊर्जा जरूरतों के लिए कोयला और पॉवर प्लांट की उपयोगिता महत्वपूर्ण है। यह भी पाया गया है कि ये एनजीओ विदेशी स्वार्थों को साधने के लिए देश की ऊर्जा परियोजनाओं को पर्यावरण संरक्षण के बहाने रोकने का प्रयास कर रहे हैं। आदिवासियों के जीवन और रोजगार में सुधार के लिए चल रही योजनाओं को भी प्रभावित कर रहे हैं। इन एनजीओ के खिलाफ आयकर विभाग की जांच सितंबर 2022 में ऑक्सफैम, सीपीआर, एनवायरोनिक्स ट्रस्ट, लाइफ और सीआईएसएसडी के परिसरों पर छापेमारी से शुरू हुई थी। जांच में यह सामने आया कि इन एनजीओ के उद्देश्य चैरिटी और सामाजिक कार्यों के नाम पर होते हुए भी देश की औद्योगिक परियोजनाओं को रोकना था। 

अडानी और जेएसडब्ल्यू के परियोजनाओं पर निशाना

एनजीओ ने विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल अडानी और जेएसडब्ल्यू जैसी कंपनियों के खिलाफ कानूनी अभियानों में किया। आयकर विभाग ने पाया कि 2015-2021 के बीच केयर इंडिया की 92%, एनवायरोनिक्स ट्रस्ट की 95%, और लाइफ की 86% फंडिंग विदेश से प्राप्त हुई थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि इनका उद्देश्य भारत की आर्थिक प्रगति को धीमा करने का था। आयकर विभाग ने यह भी खुलासा किया कि एनजीओ के प्रमुख अधिकारी आपस में जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए, सीपीआर की पूर्व अध्यक्ष यामिनी अय्यर, केयर इंडिया की शेयरधारक भी हैं। इन एनजीओ के फंडिंग पैटर्न और आपसी संबंधों ने इनके विदेशी हितों को पूरा करने के प्रयासों का पर्दाफाश किया है।

चैरिटी के नाम पर विकास विरोधी कार्य

आयकर विभाग का आरोप है कि पर्यावरण संरक्षण का इस्तेमाल हथियार की तरह किया गया ताकि भारतीय अदालतों में मुकदमे दायर कर इन परियोजनाओं को रोका जा सके। इनमें विदेशी फंडिंग का उपयोग किया गया।

एनजीओ देश की आर्थिक तरक्की में बाधा

इस प्रकार की गतिविधियों से यह साफ हो गया है कि यह एनजीओ (NGO) देश की आर्थिक तरक्की के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। देश के आदिवासी समुदायों के रोजगार को छीनने की कोशिश कर रहे हैं। आयकर विभाग ने इन एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, इन पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है। इस प्रकार, यह साफ हो चुका है कि ये एनजीओ विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग कर देश के विकास को अवरुद्ध करने के प्रयास में जुटे हैं।

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