हाथरस भगदड़ के मामले में लगातार खुलासे हो रहे है। हाथरस में जो बाबा सत्संग करता था उसको लेकर अब एक और नया खुलासा हुआ हैं। बाबा को लेकर अब ये बात सामने आई है कि सत्संग में बाबा हमेशा कुंवारी लड़कियों से घिरा रहता था। महिलाओं ने बताया कि लड़कियां वहीं पोशाक पहनकर सत्संग में जाती और नृत्य करती थीं जो उनको कहा जाता था। सत्संग के दौरान बाबा हमेशा काला चश्मा पहना करता था। उन लड़कियों को सूरज पाल के चश्मे में भगवान का रूप दिखता था।
बाबा को लाल रंग पसंद
सूरजपाल के सत्संग में जाने वाली महिला ने बताया कि बाबा को लाल रंग पसंद था। इसीलिए कुंवारी लड़कियां लाल पोशाक पहनती थीं। गहनों के अलावा श्रृंगार करके वे सत्संग में बाबा के पास और उनके इर्द-गिर्द नाचती थीं। यह विशेष पोशाक सत्संग समिति की ओर से कुंवारी कन्याओं को दी गई थी। डांस करने के बाद लड़कियां अपनी ड्रेस बदल लेती थीं। ये सब काम तो सत्संग के दौरान ही चलता था।
लड़कियों को बाबा से विशेष दीक्षा लेनी पड़ती थी
इसके अलावा सूरज पाला के एक अनुयायी ने बताया कि बाबा के आश्रम और संस्थान में महिलाओं की अलग-अलग श्रेणियां तय थीं। कुंवारी लड़कियां ही सूरजपाल की शिष्याएं थीं। इसके लिए लड़कियों को बाबा से विशेष दीक्षा लेनी पड़ती थी। वहीं सुहागिन महिलाओं को सूरजपाल में भोले बाबा के दर्शन होते थे। उन्हें सूरज पाल से दूर रखा जाता था, वह शादीशुदा महिलाओं को अपने पास नहीं आने देता था।
बाबा का पूरा कामकाज देखती थीं लड़कियां
बाबा के आश्रम के आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों ने बताया कि उसका पूरा कामकाज लड़कियां संभालती थीं। बाबा लड़कियों द्वारा तैयार किए गए विशेष नीम के पानी से स्नान करते थे। पानी में गुलाब की पंखुड़ियां, खुशबू, परफ्यूम आदि कई चीजें मिलाई जाती थीं। इतना ही नहीं, लड़कियां हमेशा बाबा को खाना खिलाती थीं और उनके आसपास ही रहती थीं।
हाथरस भगदड़ हादसे में हुई थी 123 की
भगदड़ और इसमें हुई 123 मौतों की जांच के लिए यूपी सरकार ने तीन सदस्यीय जिस जांच कमेटी का गठन किया है, उसकी शुरुआती जांच में ही कुछ सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस खुलासे के मुताबिक, इस भगदड़ की वजह कोई और नहीं, बल्कि खुद भोले बाबा और उसका एक ऐलान था। 2 जुलाई के दोपहर 1.30 बजे तक सब कुछ शांत था। 2 लाख से ज्यादा की भीड़ अपनी-अपनी जगह पर बैठी पूरी शांति और भक्ति भाव के साथ भोले बाबा का प्रवचन सुन रही थी। अमूमन बाबा सत्संग के दौरान डेढ़ दो घंटे तक प्रवचन देते हैं।
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