NEW DELHI. मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार (4 अगस्त) को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में राहुल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि जब तक अपील लंबित है, तब तक सजा पर अंतरिम रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं होते हैं, सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि राहुल को अधिक सावधानी रखनी चाहिए थी।
सत्यम ज्यते, नफरत की दुकान पर मोहब्बत की दुकान जी जीत, सावरकर नही गांधी हूं, झुक नही सकता झूट के सामने
— Rahul Gandhi (@Standwithtrut14) August 4, 2023
कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
राहुल के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि उन्हें सजा पर रोक के लिए आज एक असाधारण मामला बनाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच कहा कि वे जानना चाहता है कि राहुल को अधिकतम सजा क्यों दी गई। कोर्ट ने कहा कि अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी अयोग्य नहीं ठहराए जाते। कोर्ट की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले राहुल गांधी को आगाह किया था जब उन्होंने कहा था कि राफेल मामले में शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है।
राहुल गांधी के केस में सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सख्त सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली सजा के निलंबन की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी के विरोध में दलीलें दे रहे शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि अदालत ने अधिकतम सजा देने के क्या ग्राउंड दिए हैं। कम सजा भी तो दी जा सकती थी। उससे संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार भी बरकरार रहता। राहुल केस की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच कर रही है।
सिंघवी की दलीलें : शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं
राहुल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी। उन्होंने कहा- शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं है। उन्होंने ये सरनेम बाद में अपनाया है। भाषणों में गांधी नाम लिए जाने पर किसी एक भी आदमी ने केस नहीं किया। 13 करोड़ लोगों की यह छोटी सी मोदी कम्युनिटी है। इनमें जो लोग राहुल के बयान पर खफा हैं और केस कर रहे हैं, वो बीजेपी दफ्तर में हैं।
कोर्ट रूम लाइव : राहुल के वकील के तर्क, कोर्ट के सवाल, पूर्णेश मोदी के वकील के जवाब
राहुल के वकील : मानहानि केस के चलते राहुल गांधी को 8 साल के लिए चुप करा दिया गया? लोकतंत्र में मतभेद होते हैं। हिंदी में बोलें तो हम इसे शालीन भाषा कहते हैं। मैं यह समझता हूं और मुझे नहीं लगता कि राहुल गांधी की नीयत किसी को मोदी सरनेम वाले सभी लोगों को नीचा दिखाने की थी। नैतिक पतन की बात आ रही है। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है। यह गंभीर अपराध नहीं है, जमानत दिए जाने वाला केस है। ये ऐसा मामला कैसे बन गया, जिसमें नैतिक पतन शामिल हो? ये कोई गंभीर अपराधी नहीं हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ना जाने कितने केस दर्ज करवाए, लेकिन एक के अलावा कभी कोई सजा नहीं हुई। मोदी कम्युनिटी में जो लोग भी राहुल के बयान से खफा हैं, सिर्फ बीजेपी नेता और कार्यकर्ता हैं। इनके खिलाफ आरोप है ही नहीं। यह एक गंभीर मसला है, क्योंकि एक आदमी डिसक्वालिफिकेशन झेल रहा है।
राहुल के वकील की एक और दलील
मेरी दलीलें खत्म होने के बावजूद अदालत ने 66 दिन तक फैसला रिजर्व रखा। मैंने मई में दलीलें खत्म कीं और फैसला जुलाई में दिया गया। अभी तक केरल की सीट के लिए भी इलेक्शन कमीशन ने नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। उन्हें लगता होगा कि जीत के चांस काफी कम हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल
कोर्ट ने कहा, इस मामले को राजनीतिक मत बनाइए। सिंघवीजी और जेठमलानी जी, आप ये सारी चीजें राज्यसभा के लिए बचाकर रखिए।
फिर राहुल के वकील ने कहा...
इस इवेंट का कोई साक्ष्य ही नहीं है। शिकायतकर्ता को वॉट्सएप पर एक न्यूज पेपर की कटिंग मिली और उसने शिकायत कर दी। उसने नहीं बताया कि उसे यह कटिंग कैसे मिली और किसने उसे भेजी। वास्तव में क्या हुआ, यह एविडेंस एक्ट के तहत साबित ही नहीं हुआ। इसी बीच शिकायतकर्ता हाईकोर्ट जाता है और उसे ट्रायल पर स्टे मिल जाता है ताकि वो और साक्ष्य जुटा सके। एक महीने बाद सजा सुना दी जाती है।
पूर्णेश मोदी के वकील ने रखा अपना पक्ष
महेश जेठमलानी ने कहा- राहुल गांधी ने क्या कहा था? अच्छा एक छोटा सा सवाल, इन सब चोरों का नाम मोदी, मोदी, मोदी कैसे है। ललित मोदी, नीरव मोदी और थोड़ा ढूंढ़ोगे तो और सारे मोदी निकल आएंगे। उनका मकसद मोदी सरनमे वाले हर आदमी का अपमान करना था। सिर्फ इसलिए, क्योंकि यह प्रधानमंत्री के नाम से मिलता है। यह पुरानी दुर्भावना से प्रेरित था। उन्होंन आगे कहा, पूरी स्पीच 50 मिनट से ज्यादा की है। सबूतों की भरमार है। इस भाषण के क्लिपिंग्स इलेक्शन कमीशन के रिकॉर्ड में दर्ज है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा...
कितने राजनेता हैं, जो यह याद रखते हैं कि एक दिन में 15-20 सभाएं की हैं तो उनमें क्या कहा है? हम जानना चाहते हैं कि जज ने अधिकतम सजा क्यों दी। अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी हो ती तो राहुल गांधी को डिसक्वालिफाई नहीं किया जाता।
पूर्णेश मोदी के वकील का जवाब
राहुल गांधी ने जब कहा था कि प्रधानमंत्री पर टॉप कोर्ट में राफेल मामले में आरोप लगा था। इस बयान पर उन्हें चेतावनी दी गई थी, लेकिन उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया।
सुप्रीम कोर्ट: क्या ये बात विचार योग्य नहीं है कि अधिकतम सजा के चलते एक सीट बिना प्रतिनिधित्व के रह जाएगी। यह सिर्फ एक ही व्यक्ति के अधिकार तक ही सीमित रहने वाला मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटरों के अधिकार से भी जुड़ा मसला है।