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New Delhi. मध्यप्रदेश सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले को लेकर समस्त 66 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की अर्जी दाखिल कर चुकी है, जिस पर आज सुनवाई हुई। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस असाउद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में हुई सुनवाई के दौरान मप्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने पक्ष रखा। जिसके बाद शीर्ष कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 मई को नियत की गई है। जिसमें यह तय होगा कि समस्त 66 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट सुनेगी या नहीं।
बता दें कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ऑलरेडी 4 याचिकाएं लंबित हैं, जिसके चलते मध्यप्रदेश हाईकोर्ट प्रदेश सरकार को कई मर्तबा यह कह चुका है कि सरकार पहले सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिकाओं का निराकरण कराए, उसके बाद ही हाईकोर्ट में दायर 66 याचिकाओं पर सुनवाई होगी। उच्च न्यायालय के इस निर्देश के बाद भी जब सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं निराकृत नहीं हुईं तो हाईकोर्ट ने बारी-बारी से समस्त 66 याचिकाओं की सुनवाई करने के बाद प्रदेश सरकार का पक्ष सुनने का निर्णय लिया था।
परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में लंबित समस्त 66 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए एक याचिका दाखिल कर दी। इसके पीछे मंशा यह बताई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं पर सुनवाई हो जाए ताकि इस विवादित मुद्दे का निपटारा हो जाए।
सरकार चाहती है ओबीसी को मिले 27 फीसदी आरक्षण
दरअसल सरकार प्रदेश की सरकारी भर्तियों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना चाहती है, लेकिन 27 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाई गई है। वहीं 9 जजों की बेंच द्वारा इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ केस के निर्णय में यह व्यवस्था दी गई है कि यदि आरक्षण की सीमा किसी राज्य में 50 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा बढ़ाई जाती है तो उसकी न्यायिक समीक्षा का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को होगा, इसी बिंदु को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह ट्रांसफर याचिका 19 अप्रैल को दायर की थी।