NEW DELHI. गौतम अडाणी पिछले एक माह से अधिक समय से सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। वे इस बार बीते साल की तरह ज्यादा कमाई के मामले में नहीं, बल्कि एक महीने में ही सबसे ज्यादा दौलत गवांने के मामले में। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पिछले माह 24 जनवरी 2023 को जारी हुई थी और इसके अगले दिन से ही अडाणी की कंपनियों के शेयरों में ऐसी गिरावट आई कि अडाणी ग्रुप मार्केट कैप 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा घटकर 100 अरब डॉलर के नीचे आ गया। इस दौरान अडाणी ग्रुप की हर कंपनी के शेयर बुरी तरह टूटे, लेकिन सबसे कम असर अडाणी पोर्ट्स के शेयरों पर पड़ा।
प्लास्टिक बिजनेस से चमकी किस्मत
अडाणी पोर्ट्स, अडाणी ग्रुप की तमाम कंपनियों में कमाई कराने के मामले में सबसे आगे रही है। 90 के दशक में अडाणी साम्राज्य को विस्तार देने का श्रेय भी अडाणी पोर्ट्स को ही जाता है। अभी बुरे दौर से गुजर रहे 60 वर्षीय उद्योगपति गौतम अडाणी अपने परिवार की पहली पीढ़ी के कारोबारी हैं। पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्होंने परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए कारोबारी दुनिया में कदम रख दिया था। सबसे पहले उन्होंने 1978 में हीरा कारोबार में हाथ आजमाया था, लेकिन उनकी किस्मत चमकी साल 1981 से, जब उन्होंने बड़े भाई के प्लास्टिक कारोबार में एंट्री मारी। इसके बाद 1988 में अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड अस्तित्व में आई।
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पोर्ट का बादशाह बनने का सफर ऐसे शुरू हुआ
अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के बाद साल 1991 में प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में जब फाइनेंस मिनिस्टर मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए। उदारीकरण की शुरुआत हो चुकी थी और कारोबार को आसान बनाने के लिए गुजरात की चिमनभाई पटेल सरकार ने निजी कंपनियों को बंदरगाह आवंटित करने की शुरुआत कर दी थी। उस समय सरकार ने निजी हाथों में देने के लिए 10 बंदरगाहों की लिस्ट तैयार की थी, जिनमें से एक मुंद्रा पोर्ट भी था। 1995 में गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी पोर्ट्स को 8000 हेक्टेयर में फैले इसी मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ था।