हिंडनबर्ग रिपोर्ट से भारतीय शेयर बाजार पर कोई असर नहीं, डीप स्टेट की साजिश विफल

हिंडनबर्ग ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को निशाना बनाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय मध्य वर्ग के निवेशकों ने इसे नकार दिया। सूत्रों का मानना है कि यह डीप स्टेट की साजिश है जो अपने मकसद में असफल रही।

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Amresh Kushwaha
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट
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अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ( Hindenburg Research ) ने पिछले साल भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इससे हिंडनबर्ग को दो तरह से फायदा हुआ। एक तरफ उसने अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कमाया। तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी। ऐसे में हिंडनबर्ग ने हाल ही में एक और रिपोर्ट प्रकाशित की। लेकिन इस बार उन्हें निराशा हाथ लगी। शेयर बाजार में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।

हिंडनबर्ग की रणनीति से लगता है कि वे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। देश के कई संस्थानों और उद्योग जगत के सूत्रों का मानना है कि यह सब डीप स्टेट की साजिश है, जो अपने मकसद में असफल रहा। भारतीय शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की वजह से हो रही तेजी से डीप स्टेट को बड़ा झटका लगा होगा।

भारत के खिलाफ रची साजिश

भारत में संचालित रूसी न्यूज वेबसाइट स्पूतनिक से बातचीत में सूत्रों ने बताया कि कुछ ताकतवर देश भारत के खिलाफ साजिशों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका कारण भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने वाला रुपया, और विदेश नीति में स्वायत्तता की प्राथमिकता है। हाल की रिपोर्ट के प्रभाव के बाद, इन देशों में भारत विरोधी डीप स्टेट की हताशा बढ़ गई होगी।

सूत्रों ने कहा कि यह भारत की सार्वजनिक संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास है, जिसमें सेबी की विश्वसनीयता पर हमला किया गया है। इससे पहले, उनकी पहली रिपोर्ट ने एलआईसी, एसबीआई जैसे बड़े सरकारी बैंकों को प्रभावित किया था, जो अडानी ग्रुप में हितधारक थे।

हिंडनबर्ग का उद्देश्य

भारत की जीडीपी के अनुपात में शेयर बाजार 2019 में 77% से बढ़कर 2023-24 में 124% तक पहुंच गया है। सूत्रों का कहना है कि हिंडनबर्ग का उद्देश्य मध्य वर्ग के लाखों भारतीयों का शेयर बाजार से विश्वास तोड़ना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे एलआईसी ने हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप में निवेश बढ़ा दिया।

सूत्रों ने बताया कि हिंडनबर्ग ने पिछले साल भारतीय शेयर बाजार को हिलाने की साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि माना जाता है कि करीब 200 अमेरिकी शेयर दलालों और बिचौलियों को हिंडनबर्ग रिपोर्ट की कॉपी प्रकाशन से पहले दे दी गई थी। इससे सबकुछ नियोजित तरीके से किया गया और भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट आई।

हिंडनबर्ग ने सेबी को बानाया निशाना

सेबी ने हिंडनबर्ग को नोटिस भेजकर पूछा कि क्या उन्होंने अडानी के शेयरों की शॉर्टिंग से मुनाफा कमाया था? लेकिन हिंडनबर्ग ने इसका जवाब देने के बजाय सेबी को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। अपनी दूसरी रिपोर्ट में सेबी चीफ माधबी बुच और उनके पति धवल बुच को निशाना बनाने से हिंडनबर्ग की नीयत साफ झलकती है।

भारतीयों का मिल रहा समर्थन

सूत्रों ने चिंता जताई कि डीप स्टेट ऐक्टर्स को कुछ भारतीयों का समर्थन मिल रहा है। इनमें विपक्षी दलों के नेता, प्रतिस्पर्धी उद्योगपति और सरकार में बैठे कुछ लोग शामिल हैं। ये लोग व्यापक भू-राजनैतिक चालों को नजरअंदाज करके तात्कालिक राजनीतिक और आर्थिक हित देख रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि अगर भारत से समर्थन नहीं मिलता तो हिंडनबर्ग इतने दस्तावेज नहीं जुटा पाती।
अमेरिकी शासन का एक हिस्सा और जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपतियों का खड़ा किए गए डीप स्टेट के भारत में कई हितैषी हैं जो फ्रंट फुट पर आकर खेलते हैं।

सेबी करे IOSCO में हिंडनबर्ग की शिकायत

एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को हिंडनबर्ग को इतनी आजादी नहीं देनी चाहिए। हिंडनबर्ग द्वारा सेबी पर किए गए हमले को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि सेबी को इंटरनैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ सेक्युरिटीज कमीशंस (IOSCO) में हिंडनबर्ग की शिकायत करनी चाहिए।

IOSCO दुनियाभर के शेयर बाजारों की निगरानी करता है और हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता की जांच कर सकता है। साथ ही उनसे सवाल कर सकता है। अरुण केजरीवाल ने भी कहा है कि अब जब हिंडनबर्ग ने सीधे सेबी जैसे संस्थान को निशाना बनाया है तो उन्हें सेबी और सरकार से जवाबदेही लेनी चाहिए।

छोटे निवेशकों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की लगाई वाट

भारतीय मध्य वर्ग के छोटे निवेश ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट 2.0 को नकार दिया है। म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश करने वाले मध्य वर्ग की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार, बीते आठ वर्षों में म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेश में 320% की वृद्धि हुई है।

वित्त वर्ष 2016-17 में म्यूचुअल फंड एसआईपी इन्फ्लो 43 हजार 921 करोड़ रुपए था। जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपए हो गया है। पिछले महीने के आंकड़ों के अनुसार, म्यूचुअल फंड में 9.34 करोड़ एसआईपी अकाउंट्स हैं।

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