BHOPAL. SARS-COV2 के JN.1 वैरिएंट के बढ़ते संक्रमण ने देश में एक बार फिर से चिंता बढ़ा दी है। बता दें कि कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों में सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया है। साथ ही वायरस के जीनोम अनुक्रमण के लिए सभी कोविड-19 परीक्षण स्वैब के नमूने भेजने का निर्देश दिया है। भारत के केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा, पुडुचेरी, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में लगातार केसों में बढ़ोतरी हो रही है। इन सबको ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों ने अपनी तैयारियां बढ़ा दी हैं और एहतियात के तौर पर निगरानी के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
नए वैरिएंट JN.1 में तेजी से फैलने की क्षमता
कोविड-19 के नए वैरिएंट JN.1 पर एम्स के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इसमें संक्रमित करने की क्षमता अधिक है। ये अधिक तेजी से फैल रहा है, साथ ही ये भी बताया कि ये धीरे-धीरे एक प्रमुख वैरिएंट बनता जा रहा है। हालांकि उन्होंने इसे गंभीर संक्रमण नहीं बताया है। इसके अधिकांश लक्षण मुख्य रूप से बुखार, खांसी, सर्दी, गले में खराश, नाक बहना और शरीर दर्द जैसे हैं।
मौजूदा वैक्सीन गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में सक्षम
रिपोर्ट के अनुसार संक्रमित लोगों में से लगभग 93% में हल्के लक्षण हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश भर के विभिन्न अस्पतालों में जिन लोगों का इलाज चल रहा है, उनमें से केवल 0.1% वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। वहीं 1.2% आईसीयू में भर्ती हैं और 0.6% ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जेएन.1 वर्तमान में अन्य वेरिएंट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ा रहा है। वहीं संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निकाय का कहना है कि उपलब्ध साक्ष्य से पता चलता है कि मौजूदा वैक्सीन गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में सक्षम है।
नए वैरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं
देश के कई रोज्यों में लोग इस नए वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन मरीजों में किसी तरह के गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले हैं। एम्स दिल्ली में मेडिसिन विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल का कहना है कि इस वैरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है।