World Press Freedom Index : क्या आपको पता है, कैसे तय होता है कि किसी देश की प्रेस कितनी स्वतंत्र है?

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) पत्रकारों को उत्पीड़न से बचाने, मीडिया स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और नागरिकों तक आवश्यक जानकारी तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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CHAKRESH
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विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) को रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा हर साल प्रकाशित किया जाता है। RSF ही 180 देशों में प्रेस स्वतंत्रता के स्तर का तुलनात्मक मूल्यांकन करता है। यह सूचकांक 0 से 100 के पैमाने पर स्कोर देता है, जहां 0 सबसे खराब और 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेस स्वतंत्रता को दर्शाता है। चलिए पहले समझते हैं कि आखिर रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) क्या है?

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी और गैर-सरकारी संगठन ( NGO) है जो सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार पर काम करती है। RSF का काम दुनिया भर में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह संगठन पत्रकारों को उत्पीड़न से बचाने, मीडिया स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और नागरिकों को सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • इसकी स्थापना 1985 में फ्रांस के मॉनपेलियर शहर में रॉबर्ट मेनार्ड द्वारा की गई थी।
  • RSF का मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है और यह 130 से अधिक देशों में 25 ब्यूरो के साथ काम करता है।

कुछ जरूरी links

वेबसाइट: https://rsf.org/en

ट्विटर: https://rsf.org/en

फेसबुक: https://www.facebook.com/RSFUSA/

RSF के काम

  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक: यह रिपोर्ट हर साल प्रकाशित होती है और 180 देशों में प्रेस स्वतंत्रता का तुलनात्मक मूल्यांकन करती है।
  • अनुसंधान और रिपोर्टिंग: RSF सरकारों और निजी कंपनियों द्वारा प्रेस स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाली गतिविधियों पर शोध और रिपोर्ट करता है।
  • वकालत: RSF सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए नीतिगत बदलाव करने का आग्रह करता है।
  • सहायता: RSF उत्पीड़ित पत्रकारों को कानूनी, वित्तीय और व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है।

कैसे तय होता है कि किसी देश की प्रेस कितनी स्वतंत्र

इसके लिए मूल्यांकन के लिए 5 मुख्य फैक्टरों का उपयोग किया जाता है:

  1. राजनीतिक संदर्भ: रिपोर्ट में यह देखा जाता है किखबरों में सरकार कितना हस्तक्षेप करती है। मीडिया पर किस तरह के राजनीतिक दबाव सरकार की ओर से आते हैं।
  2. कानूनी ढांचा: इसमें मीडिया कानूनों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्तर और पत्रकारों की सुरक्षा शामिल है। 
  3. आर्थिक संदर्भ: इसमें मीडिया स्वामित्व की संरचना, मीडिया आउटलेट्स की वित्तीय स्थिति और पत्रकारों पर आर्थिक दबाव शामिल है।
  4. सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ: इसमें मीडिया के प्रति समाज का दृष्टिकोण, धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतिबंध और पत्रकारों के खिलाफ हिंसा शामिल है।
  5. सुरक्षा: इसमें पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, हत्या, अपहरण, धमकी और उत्पीड़न का स्तर शामिल है।

RSF इन संकेतकों का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न स्रोतों से डेटा का उपयोग करता है, जिसमें पत्रकारों, मीडिया विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और कानूनी पेशेवरों से सर्वेक्षण, साक्षात्कार और डेटा शामिल हैं।

जरूरी नहीं कि रिपोर्ट एकदम सही ही हो

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक एकदम सही नहीं है। इसकी आलोचना कई आधारों पर की गई है। कुछ का आरोप हैं कि यह पश्चिमी देशों के पक्ष में है, जबकि अन्य का कहना है कि इसकी reporting methodology में कई कमियां हैं। फिर भी, यह सूचकांक प्रेस स्वतंत्रता की वैश्विक स्थिति का एक महत्वपूर्ण मापदंड है और यह समझने में मदद करता है कि विभिन्न देशों में पत्रकारों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

RSF की रिपोर्ट में भारत की स्थिति कहां

2023 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 161वें स्थान पर है। यह पिछले साल की तुलना में 11 स्थानों की गिरावट है।

RSF ने भारत में प्रेस स्वतंत्रता में गिरावट के लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया है। जिनमें पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा, सरकार द्वारा मीडिया पर बढ़ता नियंत्रण और सोशल मीडिया पर गलत सूचना का प्रसार शामिल है।

कुछ जरूरी Links 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023: https://rsf.org/en/index

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स: https://rsf.org/en

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक World Press Freedom Index