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बीते एक दशक में भारत ने डिजिटल पहुंच के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। मोबाइल फोन अब देश के कोने-कोने में और लगभग 80 फीसदी लोगों के हाथ में पहुंच चुका है। वहीं इंटरनेट का जाल भी गांवों तक फैल चुका है। लेकिन इन संसाधनों के उपयोग के लिए आवश्यक डिजिटल या ICT कौशल यानी वह स्किल अब भी देश के बहुत लोगों के लिए चुनौती बना हुआ है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत 2030 तक ICT स्किल्स को बढ़ाने का संकल्प लिया है। इस दिशा में NSSO द्वारा किए गए CAMS 2022-23 सर्वेक्षण ने भारत में डिजिटल साक्षरता की जमीनी तस्वीर सामने रखी है।
NSSO CAMS का 1 करोड़ लोगों पर सर्वे
NSSO के Comprehensive Annual Modular Survey (CAMS) 2022-23 में देशभर से एक करोड़ से अधिक लोगों से डेटा लिया गया। इसका उद्देश्य यह समझना था कि देश की जनता किस स्तर तक सूचना और संचार तकनीक (ICT) का उपयोग कर पा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि 50% से ज्यादा युवा व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मैसेज भेज सकते हैं, लेकिन ईमेल भेजने में केवल एक चौथाई यानी 25 प्रतिशत लोग ही सक्षम हैं। यहीं से डिजिटल समझ का असली अंतर झलकता है।
ईमेल,कॉपी-पेस्ट में अव्वल पर कोडिंग जैसी चीजों से अनजान
जिन तकनीकी कार्यों को आम तौर पर बुनियादी माना जाता है, जैसे कंप्यूटर पर डॉक्यूमेंट या डाटा कॉपी-पेस्ट करना, ईमेल भेजना, उसमें लगभग आधे यानी 50 फीसदी सक्षम पाए गए। वहीं सॉफ्टवेय या हार्डवेयर इंस्टॉल करने जैसे काम केवल हर पांच में से एक व्यक्ति को ही आता है।
डिजिटल टूल नहीं यूज कर पाते लोग
स्थिति तब और स्पष्ट होती है जब बात पेशेवर डिजिटल टूल्स की आती है जेसे स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन तैयार करने में केवल दस में से एक व्यक्ति को ही आता है। कोडिंग यानी प्रोग्रामिंग करने में तो हालत और खराब है यानी केवल 1% लोग ही इस काम को करने में सक्षम हैं। यह बताता है कि कंप्यूटर ज्ञान (technical skill) की वास्तविक समझ अब भी सीमित है।
युवाओं में ICT स्किल्स बेहतर
रिपोर्ट में पाया गया कि ICT कौशल के मामले में सबसे बेहतर प्रदर्शन 20 से 29 वर्ष के युवाओं का है। इसके बाद किशोर वर्ग आता है, जिनमें भी डिजिटल स्किल्स (Digital Skills) का स्तर बेहतर है। हालांकि ये स्किल्स रूस, ब्राजील और बांग्लादेश जैसे देशों के मुकाबले अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन जापान और कनाडा जैसे विकसित देशों के सामने फीकी है। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों की बात करें तो, उनमें ICT स्किल्स की भारी कमी है। इस आयु वर्ग में केवल 10% लोग ही ईमेल भेजना जानते हैं।
शहरों में तकनीक की पकड़ मजबूत, गांवों में अब भी दूरी
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शहरी इलाकों में रहने वाले लोग ग्रामीण इलाकों के मुकाबले 50 फीसदी से ज्यादा डिजिटल रूप से सक्षम हैं। खासकर ईमेल भेजने जैसे सामान्य काम में। जैसे-जैसे काम तकनीकी रूप से कठिन होते जाते हैं, यह अंतर और गहराता चला जाता है। यानी की जब कुछ नई तकनीक आती है तब ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग काफी देर से इसे समझ पाते हैं और उपयोग केवल कुछ ही लोग कर पाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि डिजिटल साक्षरता केवल संसाधनों की उपलब्धता पर नहीं, बल्कि उस क्षेत्र की तकनीकी शिक्षा (Technology knowledge) और वातावरण पर भी निर्भर करती है।
लैंगिक असमानता: पुरुष आगे, महिलाएं पीछे
NSSO की रिपोर्ट में लिंग आधारित अंतर भी प्रमुखता से सामने आया। पुरुषों में ICT स्किल्स होने की संभावना महिलाओं की तुलना में लगभग दोगुनी यानी 50 फीसदी ज्यादा है। चाहे वह ईमेल भेजना हो, डॉक्यूमेंट एडिट करना हो, कॉपी पेस्ट करना हो,या कोई अन्य डिजिटल काम, महिलाएं अभी भी इस क्षेत्र में पिछड़ रही हैं। यह डिजिटल खाई न केवल रोजगार के अवसरों को प्रभावित करती है, बल्कि सामाजिक समावेश के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
CAMS सर्वे यह दर्शाता है कि भारत में तकनीकी संसाधनों की पहुंच तो तेजी से बढ़ी है, लेकिन उनके प्रभावी उपयोग के लिए जरूरी ICT कौशल का विकास उतनी तेजी से नहीं हुआ। 2023 की यह रिपोर्ट देश के लिए एक चेतावनी और अवसर दोनों है। जहां डिजिटल भारत का सपना साकार करने के लिए अब कौशल विकास को प्राथमिकता देना ज़रूरी हो गया है।
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