Jaipur. राजस्थान में अक्टूबर-नवंबर माह में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं वहीं पार्टी के युवा तुरुप और गुर्जर नेता सचिन पायलट लगातार बागी तेवर अपनाए हुए हैं। सीएम अशोक गहलोत से उनके संबंध सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे। संबंध सुधरें भी तो कैसे एक समय उन्हे निकम्मा और नालायक कहने वाले अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी सीएम की कुर्सी के लिए ठुकरा चुके हैं। राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंघावा भी सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा पर तंज कस चुके हैं। ऐसे में कहा जा रहा है चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
गहलोत-पायलट के साथ समझौते की आखिरी कोशिश
कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोंविद सिंह डोटासरा के साथ अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली तलब किया है। माना जा रहा है कि दोनों कांग्रेसी दिग्गजों के बीच सुलह की हाईकमान की यह आखिरी कोशिश होगी। यहां मीटिंग में दोनों की राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के सामने बातचीत कराई जाएगी।
हालांकि, मीटिंग से पहले सुखजिंदर रंधावा ने सब कुछ सही होने की उम्मीद जताई है।
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सीएम पद की डिमांड करेंगे पायलट
माना जा रहा है कि सचिन पायलट मीटिंग में सीएम बदलने की अपनी पुरानी मांग पर अड़ सकते हैं। इससे पहले पायलट ने सरकार के सामने 3 शर्तें रख दी थीं। जिस पर गहलोत असहज थे। बता दें कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच 30 माह से तलवारें खिंची हुई हैं। इस लड़ाई को सुलझाने में कांग्रेस के दो महासचिव अपनी कुर्सी गवां चुके हैं।
नफे नुकसान का गणित
ऐसे में पार्टी का एक धड़ा यह हिसाब लगाने में भी जुटा हुआ है कि सचिन पायलट के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस को कितनी सीटों पर सीधा-सीधा नुकसान होगा। माना जा रहा है कि अगर आज सचिन पायलट कांग्रेस का हाथ छोड़ दें तो उसके गुर्जर वोट किनारा कर सकते हैं। 2018 के चुनाव में बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक गुर्जर समुदाय ने जमकर कांग्रेस के पक्ष में वोट दिए थे। राजस्थान में 30 से 40 सीटों पर गुर्जर समुदाय निर्णायक स्थिति में है। जो कि 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा के लिए काफी बड़ा नंबर है।
हर बार सरकार बदलती है राजस्थान की जनता
कांग्रेस के सामने एक बड़ी पसोपेश यह भी है कि राजस्थान की जनता अब तक के विधानसभा चुनाव में एक पैटर्न पर चलती है। यहां हर 5 साल में सरकार बदलने की रवायत है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है। एक चर्चा यह भी है कि यदि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बनाते हैं तो ऐसे में वे करीब-करीब 58 सीटों पर बीजेपी को सीधी टक्कर देने का दम रखते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस समझौते का हरसंभव प्रयास करने में जुटी हुई है। लेकिन सचिन पायलट के तेवर इस बार समझौते वाले लग नहीं रहे।