भोपाल. मध्यप्रदेश (MP) के बड़े डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म “द सूत्र” की निष्पक्ष, दबाव मुक्त और धारदार पत्रकारिता के 50 दिन पूरे हो गए हैं। इस दौरान द सूत्र ने अपनी असरदार खबरों के जरिए आम लोगों के जीवन से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ सिस्टम की खामियों को भी उजागर किया। द सूत्र (The Sootr) की टीम ने इन 50 दिनों में ऐसी तीन बड़ी खबरें की हैं, जिन पर सरकार और प्रशासन को एक्शन लेना पड़ा।
सड़कों की बदहाली की खबर पर मुख्यमंत्री ने लिया एक्शन
सबसे पहले बड़ी खबर के रूप में मुद्दा राजधानी भोपाल (Bhopal) की खस्ताहाल सड़कों से जुड़े लोगों के दर्द को बनाया। द सूत्र की रिपोर्टिंग टीम ने शहर के अलग-अलग इलाकों में मौके पर जाकर बताया कि सड़कों में कितने बड़े बड़े गड्ढे हो चुके हैं। इससे लोग किस हद तक परेशान हैं। रिपोर्टर्स ने ऑन स्पॉट खड़े होकर सड़क बनाने वाले विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की तो वे सड़कों के खराब होने का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ते नजर आए। यह भी बताया कि राजधानी में सड़कों के मेंटेनेंस का काम चार अलग-अलग एजेंसियों के पास है। इनमें आपस में कोई तालमेल नहीं है। द सूत्र ने एजेंसियों के बीच समन्वय न होने का मसला जिस प्रमुखता से उठाया उसके बाद खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chouhan) ने भोपाल की सड़कों को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने एजेंसियों की संख्या कम करते हुए राजधानी परियोजना प्रशासन यानी सीपीए को खत्म करने का ऐलान किया।
30 करोड़ का काढ़ा घोटाला किया उजागर, सरकार ने बनाई जांच समिति
द सूत्र ने दूसरी बड़ी खबर के रूप में कोरोना काल में लोगों को बांटे गए त्रिकटु आयुर्वेदिक काढ़े में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया। प्रदेश में लोगों को 30 करोड़ रुपए के आयुर्वेदिक काढ़े के 6 करोड़ पैकेट मुफ्त बांटने के सरकार के दावे की भी पड़ताल की। इस मामले में गोलमाल को साबित करने के लिए सूचना के अधिकार के तहत आयुष विभाग (Ayush Department) से जानकारी निकलवाई गई। विभाग से मिली लिस्ट में बताया गया कि भोपाल जिले में करीब दो लाख परिवारों को निशुल्क काढ़ा बांटा गया है। लिस्ट में दर्ज व्यक्तियों के नाम औऱ फोन नंबर के आधार पर रिपोर्टिंग टीम ने लोगों से व्यक्तिगत संपर्क किया। टीम ने जितने भी लोगों से बात की उनमें सभी ने बताया कि उन्हें काढ़ा नहीं मिला। द सूत्र की इस खबर पर सरकार जागी। उसने मामले की जांच के लिए प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का ऐलान किया। उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष और पूरी पारदर्शिता से जांच होगी।
सीमेंट कंपनी एसीसी के फर्जीवाड़े का खुलासा, सिया ने रद्द की पर्यावरण की अनुमति
तीसरी बड़ी खबर में देश की बड़ी सीमेंट कंपनी एसीसी के फर्जीवाड़े का खुलासा किया गया। दरअसल एसीसी सीमेंट कंपनी (ACC Cement Company) पिछले 9 सालों से कटनी में लाइम स्टोन की खुदाई कर रही थी। लेकिन कंपनी के पास इसके खनन के लिए जरूरी पर्यावरण की अनुमति नहीं थी। कंपनी ने खनिज विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर लंबे समय तक खनन किया। नियम के खिलाफ खनन करने पर निगरानी एजेंसी सिया (State Enviornment Impact Assesment Authority) की तरफ से कंपनी को कई बार नोटिस भेजे गए। लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब द सूत्र ने एसीसी की कारगुजारी की पोल खोली तो सिया ने कंपनी की पर्यावरण अनुमति को रद्द कर दिया। द सूत्र अपने पाठकों को भरोसा दिलाता है कि वो जनहित में ऐसे मामलों को लगातार उठाता रहेगा और जिम्मेदारों को नींद से जगाता रहेगा क्योंकि इसकी एडिटोरियल फिलॉसफी है, "हम सवाल उठाते हैं पालकी नहीं।"