BHOPAL. मध्य प्रदेश के मंत्रालय में किस तरह से काम होता है और आदेशों जारी करने को लेकर कितनी गंभीरता बरती जाती है, इसका उदाहरण एक हाल का आदेश बन गया है। यह आदेश मुरैना के कलेक्टर के छुट्टी पर जाने और उनका प्रभार दूसरे अफसर को देने को लेकर जारी किया गया था। आदेश जीएडी के बाबू से लेकर पीएस तक उसी गलती के साथ बढ़ता रहा। फिर सीएस के दफ्तर से भी आदेश मूल गलती के साथ ही जारी कर दिया गया।
प्रभार सौंपने का आदेश
मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना के 8 दिन छुट्टी पर जाने के बाद जूनियर एडिशनल कलेक्टर इच्छित गढ़पाले को कलेक्टर का प्रभार सौंपा गया। इच्छित 2008 बैच के अफसर हैं। लेकिन, आदेश में उन्हें 2006 बैच का अफसर बताकर प्रभार दे दिया गया। जबकि 2008 बैच में उनसे सीनियर नरोत्तम भार्गव को दरकिनार कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि जीएडी के अफसरों ने कलेक्टर की छुट्टी की फाइल और उनका प्रभार लेने वाले अफसरों के नाम भेजे थे। उसमें इच्छित का बैच 2008 की जगह 2006 लिखा गया। इसके चलते चीफ सेक्रेटरी ने सीनियारिटी के आधर पर इच्छित को 7 दिन का प्रभारी कलेक्टर बनाने के आदेश जारी कर दिए।
कैसे चली फाइल
जीएडी के बाबू द्वारा तैयार अफसरों के नाम की फाइल डिप्टी सेक्रेटरी, सेक्रेटरी और विभाग की पीएस दीप्ती गौड़ मुखर्जी के पास पहुंची। तीनों अधिकारियों ने इस फाइल को गलती के साथ ही आगे बढ़ा दिया। इसके बाद यह फाइल अपने फाइनल डेस्टिनेशन चीफ सेक्रेटरी के दफ्तर पहुंची। यहां भी उसे बिना जांचे ही उसका अनुमोदन हो गया।