आम चुनाव की तैयारी में बीजेपी कर रही छोटे दलों से गठबंधन के प्रयास, ''बड़ा है तो बेहतर है'' से उलट, ''छोटा है-एडजस्टेबल है'' की सोच

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Rajeev Upadhyay
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आम चुनाव की तैयारी में बीजेपी कर रही छोटे दलों से गठबंधन के प्रयास, ''बड़ा है तो बेहतर है'' से उलट, ''छोटा है-एडजस्टेबल है'' की सोच

New Delhi. बात यदि 2019 के आम चुनावों की हो तो बीजेपी ने अकेले की दम पर 303 का आंकड़ा छू लिया था लेकिन 2024 आते-आते परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं। भले ही बीजेपी राज्य दर राज्य चुनाव जीतती जा रही हो लेकिन पार्टी का कोर ग्रुप आम चुनावों को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। लिहाजा एनडीए के कुनबे को बढ़ाने की कवायद चल रही है, जो लोग छोड़ कर जा चुके हैं, उन्हें मनाने से लेकर ऐसे छोटे दल जिनका दायरा सीमित भी हो उन्हें भी बीजेपी एनडीए में शामिल करने तोरणद्वार बंधवा रही है। बीजेपी की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में वह चुनाव मैदान में उतरे तो उसके साथ लोक जनशक्ति पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ-साथ हाल ही में अस्तित्व में आई टिपरा मोथा पार्टी के रथ भी रणक्षेत्र में उसकी ओर खड़े रहें। 



19 के बाद इतनों ने छोड़ा साथ



साल 2019 में मिली जीत के बाद एनडीए से बिछड़ने वालों में रामविलास पासवान के निधन के बाद लोकजनशक्ति पार्टी, महाराष्ट्र में शिवसेना (हालांकि शिंदे गुट के रूप में काफी बड़ा हिस्सा एनडीए में आ चुका है), बिहार में साल दो साल में साथी बदलने वाली जनता दल यूनाइटेड, बंगाल में गोरखालैंड की मांग करने वाली गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, राजस्थान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, तमिलनाडु में एआईडीएमके, गोवा में गोवा फॉरवर्ड पार्टी एनडीए से दूरी बना चुके हैं। पार्टी अब इन साथियों या फिर उनकी जगह दूसरे छोटे दलों से बातचीत में जुटी हुई है। 




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    एनडीए को छोड़कर जाने वाले इन दलों में से दो पार्टियों में फूट पड़ गई। शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी, शिवसेना की बात की जाए तो दो तिहाई विधायक और सांसद पुनः एनडीए में बीजेपी के साथ खड़े हैं, वहीं लोकजनशक्ति पार्टी में रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस अपने साथियों के साथ एनडीए के छत्र के नीचे खड़े हुए हैं।



    यूपी में निषाद पार्टी पर नजर



    उत्तर प्रदेश में बीजेपी की स्थिति भले ही मजबूत हो लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। उत्तरप्रदेश देश का प्रधानमंत्री तय करता है यह सभी जानते हैं। लिहाजा बीजेपी निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से भी बातचीत में लगी हुई है। 



    नॉर्थ ईस्ट की बात की जाए तो बीजेपी ने यहां अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है। अब बीजेपी एनडीए के कुनबे में टिपरा मोथा को लाना चाहती है। नगालैंड और मेघालय में उसके पास पहले से ही साथी मौजूद है। दक्षिण की बात की जाए तो बीजेपी केरल में बीडीजेएस, एआईएडीएमके, जेआरएस, केरल कांग्रेस, केकेसी, एसजेडी के साथ दोस्ती बरकरार रखना चाहती है। 




     


    NDA's effort to grow family talks with small parties efforts to accept the old ways NDA का कुनबा बढ़ने की कवायद छोटे दलों से हो रही बातचीत रूठों को मानाने का भी प्रयास