जानें कब और किसके खिलाफ लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव

विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ पक्षपाती हैं और उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना है। यह कदम भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार हो सकता है।

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CHAKRESH
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भारत में संसदीय राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम उठाने की योजना बन रही है। विपक्षी दल राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को पद से हटाने के लिए विचार कर रहे हैं। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक (I.N.D.I.A) ने उनके खिलाफ पक्षपाती कार्यवाही का आरोप लगाया है और इसी संदर्भ में अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है। इस प्रस्ताव के बारे में विचार करने के पीछे मुख्य कारण उनकी कार्यशैली में पक्षपाती रवैया है, जिससे कई विपक्षी दल असंतुष्ट हैं।

क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति (Vice President) को केवल एक विशेष प्रक्रिया के तहत हटाया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया जाता है। इस प्रस्ताव को कम से कम 50% सदस्य समर्थन प्रदान करें। यदि यह प्रस्ताव राज्यसभा में पारित हो जाता है, तो उसे लोकसभा में भी बहुमत से पारित करना आवश्यक होता है। इसके बाद, 14 दिन का नोटिस देने की प्रक्रिया होती है।

हालांकि, विपक्षी दलों के पास अभी संख्या बल का कमी है, जिससे यह संभावना कम है कि प्रस्ताव सफल हो सकेगा,  लेकिन यदि यह कदम उठाया जाता है, तो यह भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार होगा जब किसी उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रयास किया जाएगा।

क्या है अनुच्छेद 67(बी)?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। इसके अनुसार, उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा में 50 प्रतिशत से अधिक सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। यदि राज्यसभा से प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो लोकसभा भी उसे बहुमत से पारित करना आवश्यक होता है। इसके बाद, उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है।

क्या यह सिर्फ एक संदेश है या एक वास्तविक प्रयास?

विपक्षी दलों का यह कदम केवल एक संदेश देने के लिए हो सकता है या यह एक वास्तविक प्रयास भी हो सकता है। विपक्षी दलों ने पहले अगस्त के मॉनसून सत्र के दौरान भी यह कदम उठाने का विचार किया था, लेकिन उन्हें इस समय राजनीतिक स्थिति का अवलोकन करने का निर्णय लिया था। अब एक बार फिर से यह मुद्दा गर्मा चुका है।
टीएमसी (TMC), कांग्रेस (Congress), एसपी (SP) और अन्य इंडिया ब्लॉक (I.N.D.I.A) के दलों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, और अब वे इसे लाने के लिए तैयार हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह कदम केवल भा.ज.पा. (BJP) के खिलाफ है और उनकी नीतियों का विरोध किया जा रहा है।

तो फिर अविश्वास प्रस्ताव क्यों

इस प्रस्ताव का परिणाम चाहे जैसा हो, यह भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। अगर यह प्रस्ताव सफल होता है, तो यह भारत के संसदीय इतिहास में एक नई दिशा की शुरुआत कर सकता है, लेकिन इसके लिए विपक्ष को रणनीतिक तरीके से अपनी संख्या पूरी करनी होगी और संविधान द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। अविश्वास प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उपकरण है, जिसे सरकार या किसी भी उच्च पदस्थ व्यक्ति के खिलाफ उठाया जा सकता है। इसका उद्देश्य संसद में सरकार या नेता की कार्यशैली पर सवाल उठाना और उस पर असंतोष व्यक्त करना होता है।

अविश्वास प्रस्ताव क्या है?

अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) एक प्रकार का प्रस्ताव होता है, जिसे संसद के सदस्य किसी सरकार या नेता के खिलाफ प्रस्तुत करते हैं। इसका उद्देश्य यह बताना होता है कि सरकार अब बहुमत खो चुकी है और उसे सत्ता छोड़नी चाहिए। यदि सांसदों का बहुमत इस प्रस्ताव के पक्ष में होता है, तो सरकार को त्याग पत्र देना पड़ता है या सत्ता छोड़नी पड़ती है। यह एक शक्तिशाली तरीका है जिससे सरकार या उच्च पदस्थ व्यक्तियों की जवाबदेही तय की जाती है।

किसके खिलाफ लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव?

प्रधानमंत्री: यदि विपक्षी दलों को लगता है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा नहीं पा रहे, तो वे प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री: किसी केंद्रीय मंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाने के लिए उनके खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

स्पीकर: संसद में स्पीकर का पद भी संवैधानिक महत्व रखता है, और यदि विपक्षी दलों को लगता है कि स्पीकर ने अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई है, तो उनके खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

राज्य सरकारें: केवल केंद्रीय सरकार ही नहीं, राज्य सरकारों के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, यदि राज्य विधानसभाओं में यह आवश्यक हो।

दरअसल अविश्वास प्रस्ताव एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य सरकार या किसी भी उच्च पदस्थ व्यक्ति की जवाबदेही तय करना होता है। इसे किसी भी समय संसद में लाया जा सकता है जब विपक्षी दल यह महसूस करें कि सरकार या संबंधित व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभा रहे हैं।

FAQ

क्या उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए केवल राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करना जरूरी है?
हां, उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए और उसे 50% सदस्य समर्थन प्रदान करें।
उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए लोकसभा का समर्थन क्यों जरूरी है?
संविधान के अनुसार, राज्यसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को लोकसभा में भी बहुमत से पारित करना जरूरी होता है।
क्या विपक्षी दलों के पास पर्याप्त संख्या बल है?
फिलहाल विपक्षी दलों के पास संख्या बल की कमी है, लेकिन वे इसे एक संदेश के रूप में देख रहे हैं।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल होता है, और वे राष्ट्रपति को अपने पद से त्याग पत्र दे सकते हैं।
क्या यह पहली बार होगा जब उपराष्ट्रपति को हटाने की कोशिश की जा रही है?
हां, यदि यह प्रस्ताव सफल होता है, तो यह भारतीय संसदीय इतिहास में पहला प्रयास होगा।

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