New Delhi. भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था। 63 साल बाद अब इस समझौते में कई संशोधन की गुंजाइश बन रही है। यही कारण है कि भारत ने पाकिस्तान को इस बाबत नोटिस जारी किया है। यह पहली बार है जब इंडिया ने इस समझौते में संशोधन की मांग उठाई है।
कई बार उठ चुकी है मांग
पाकिस्तान को जारी यह नोटिस इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के विशेषज्ञ कई मर्तबा इस समझौते को रद्द करने की मांग कर चुके हैं। इंडिया भी कई मर्तबा पाक को पानी रोक देने की चेतावनी दे चुका है। पुलवामा हमले के बाद भी तत्कालीन जल संसाधन मिनिस्टर नितिन गडकरी ने पाकिस्तान को चेतावनी दे डाली थी और कहा था कि भारत पाकिस्तान में बहने वाले अपने पानी को रोक सकता है।
क्या होगा यदि की जाए पानी की कटौती
यदि भारत ने पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोक दिया या उसमें कटौती की तो इससे पाकिस्तान में भीषण जलसंकट उत्पन्न हो सकता है। पाक पहले ही भारी महंगाई से जूझ रहा है। ऐसे में इंडिया के नोटिस ने उसे सिर से लेकर पैर तक हिलाकर रख दिया है।
कब जारी हुआ नोटिस
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इंडिया ने पाकिस्तान को 25 जनवरी को यह नोटिस जारी किया है। भारत की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि भारत, पाक के साथ जल संधि पूरी तरह से लागू करने का समर्थक रहा है, लेकिन पाकिस्तान की कार्रवाईयों ने उसे जरूरी नोटिस जारी करने के लिए मजबूर कर दिया है। वैसे नोटिस जारी करने का मुख्य कारण पाकिस्तान को समझौते का उल्लंघन सुधारने के लिए 90 दिनों का वक्त देना है। पाकिस्तान नोटिस रिसीव करने के 3 माह के अंदर आपत्ति भी दर्ज करा सकता है।
क्या था सिंधु जल समझौता
1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अयूब खान के बीच कराची में सिंधु जल समझौता हुआ था। जिसके तहत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से 19.5 फीसद पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान करीब 80 फीसद पानी लेता है।
एक यह कारण भी
पाकिस्तान को इस मुद्दे पर नोटिस जारी करने एक वजह यह भी है किइस समझौते के तहत भारत को पश्चिमी नदियों पर पनबिजली संयत्र स्थापित करने का अधिकार प्राप्त है. भारत कश्मीर में नीलम नदी और रातले नदी पर यह काम करना चाहता है लेकिन पाक इसका विरोध करता चला आ रहा है.