NEW DELHI. तुर्किये और सीरिया में आए भूकंप में मारे गए लोगों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शोक जताया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भावुक भी हो गए और 2001 में गुजरात के भुज में आए भूकंप की त्रासदी को याद किया। प्रधानमंत्री दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि 2001 में जब भुज में भूकंप आया था, तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उस दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। प्रधानमंत्री ने तुर्किये और सीरिया के लिए मानवीय आधार पर हर संभव मदद भेजने की बात भी कही। उन्होंने कहा, मुझे अहसास है कि इस वक्त तुर्किये में क्या हालत है और वहां के लोग किन मुश्किलों से गुजर रहे हैं। भारत के कच्छ भुज में 26 जनवरी 2001 को आए भूकंप ने काफी तबाही मचाई थी। इस भूकंप की तीव्रता 7.7 थी। इसने गुजरात में भयंकर तबाही मचाई थी। कच्छ और भुज में 30 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीं डेढ़ लाख से ज्यादा लोग घायल हुए थे। भूकंप के चलते पूरे गुजरात में चार लाख से ज्यादा घर ढह गए थे। इसका असर पाकिस्तान में भी देखने को मिला था।
एडवोकेट विक्टोरिया गौरी के खिलाफ लगी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट विक्टोरिया गौरी मामले में याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। 7 फरवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को रद्द करने की मांग की थी और कहा कि शपथ लेने वाले जजों को संविधान में आस्था रखनी चाहिए लेकिन जिनके नाम की अनुशंसा की गई है, उनके सार्वजनिक बयानों के चलते उनके नाम की सिफारिश को रद्द करना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने कहा- कॉलेजियम से सिफारिश पर पुनर्विचार के लिए नहीं कह सकते हैं। उधर, विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में 7 फरवरी को शपथ ले ली। इसके लिए मद्रास हाईकोर्ट का सर्कुलर पहले ही जारी हो गया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए, जिनमें एडिशनल जज को स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति नहीं मिली, क्योंकि उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां खास राजनीतिक जुड़ाव वाले लोगों को नियुक्ति मिली है। जो तथ्य पेश किए गए, वे 2018 में दिए एक भाषण के हैं। हमें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी विक्टोरिया गौरी के नाम की सिफारिश करने से पहले इन्हें देखा होगा। वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि कोर्ट में जज बनने से पहले मेरा भी राजनीतिक जुड़ाव रहा है। मैं 20 सालों से जज हूं और मेरा राजनीतिक जुड़ाव मेरे काम के आड़े नहीं आया।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया था। विक्टोरिया गौरी को एडिशनल जज बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया था। मद्रास हाईकोर्ट बार काउंसिल से जुड़े कुछ लोगों का कहना था कि विक्टोरिया गौरी का बीजेपी से जुड़ाव रहा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गौरी की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने एक अपुष्ट अकाउंट से 2019 में किए गए ट्वीट का भी हवाला दिया था और दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रही हैं। साथ ही गौरी पर ईसाई और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित टिप्पणियां करने का भी आरोप लगाया गया था।
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