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पहलगाम हत्याकांड के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव जोरों पर रहा। इधर आप और हम क्या कर रहे थे? Google ने बताया कि हमारे मोबाइल फोंस पर गलत और भ्रामक सूचनाओं की बाढ़ आ गई। डेटा से पता चलता है कि चिंतित भारतीय युद्ध से संबंधित समाचारों की खोज जुटे रहे।
लोगों में बढ़ी चिंता
गूगल सर्च में पिछले कुछ हफ्तों में 'युद्ध' और 'पाकिस्तान' जैसे शब्दों की खोज में अचानक तेजी आई है। लोग परमाणु और ड्रोन जैसे शब्दों के बारे में भी ज्यादा जानने की कोशिश कर रहे हैं। यह इस बात को दिखाता है कि तनाव बढ़ने के बाद लोग चिंता और उत्सुकता दोनों महसूस कर रहे हैं।
पिछले दो हफ्तों में, युद्ध से जुड़े विषयों में लोगों की दिलचस्पी सबसे ज़्यादा रही (ग्राफ देखिए)। युद्ध और पाकिस्तान जैसे शब्दों के लिए गूगल सर्च पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा रहा। परमाणु और ड्रोन शब्दों के लिए भी सर्च में तेजी देखी गई। यह दिखाता है कि तनाव बढ़ने के साथ ही उत्सुकता और चिंता दोनों में तेजी आई है।
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फेक न्यूज की बाढ़ ने किया कन्फ्यूज
भारत और पाकिस्तान के बीच क्या हुआ इससे भी ज्यादा लोगों को परेशान किया फेक न्यूज की बाढ़ ने। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई सनसनीखेज सूचनाओं को फेक्ट चेकर्स ने खारिज किया। इसका एक प्रमुख उदाहरण 'कराची बंदरगाह के विनाश' के बारे में वायरल फर्जी खबर थी, जिसे एक्स पर एक यूजर द्वारा साझा किया गया था और 2.5 मिलियन से अधिक बार देखा गया। जबकि यह तस्वीर वास्तव में गाजा में राफा पर एक इजरायली हवाई हमले की थी। एक अन्य भड़काऊ पोस्ट ने दावा किया कि एक भारतीय ड्रोन ने इस्लामाबाद में एक मस्जिद के पास एक क्षेत्र पर हमला किया था; लेकिन यह वास्तव में पिछले वर्ष की एक आग दुर्घटना थी।
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युद्ध की चिंता का असर हथियार खरीदी पर
पिछले तीन दशकों में, भारत लगातार दुनिया के शीर्ष हथियार आयातकों में शामिल रहा है। साल 2000 से भारत शीर्ष पांच हथियार आयातकों की सूची में शामिल है। 1991 के बाद से भारत केवल एक बार 1993 में शीर्ष 10 हथियार आयातकों की सूची में नहीं था। हथियारों के आयात के अलावा, भारत हथियारों के निर्माण और सशस्त्र बलों के रख- रखाव पर भी काफी राशि खर्च करता है।
युद्ध का सीधा असर जीडीपी पर
युद्ध किसी देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ डालता है और व्यापार को भी बाधित करता है। युद्धरत देशों पर प्रतिबंध अक्सर वित्तीय मंदी को बढ़ावा देते हैं। वर्तमान में युद्ध में शामिल देशों के आंकड़ों पर नज़र डालने से पता चलता है कि संघर्ष के दौरान उनकी जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आई थी।
ग्राफ से पता चलता है कि रूस ने 2021 में 5.6% जीडीपी वृद्धि के साथ कोविड-19 महामारी से उबर लिया, लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद 2022 में इसकी जीडीपी गिरकर -2.1% हो गई।
इसी तरह, 2020 के महामारी वर्ष को छोड़कर, 2016 से ब्रिटेन की जीडीपी सालाना लगभग 2-3% की दर से लगातार बढ़ रही थी। लेकिन 2022 में युद्ध छिड़ने के कारण ब्रिटेन की जीडीपी अभूतपूर्व रूप से -28.8% तक गिर गई।
इजराइल, जो 2023 से हमास के साथ युद्ध में है, ने भी 2023 में लगभग आठ वर्षों में अपनी सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर्ज की (महामारी वर्ष 2020 को छोड़कर)।
निष्कर्ष
युद्ध केवल सैनिकों की जान नहीं लेता, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था और नागरिकों की जिंदगी पर भी गहरा असर पड़ता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम गलत सूचनाओं से बचें और सही जानकारी पर ध्यान दें।
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