बढ़ती महंगाई से आम आदमी को राहत, 4 महीने में सबसे निचले स्तर पर

महंगाई के मामलों में थोड़ी गिरावट के बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि फरवरी में RBI के जरिए ब्याज दर में 25 बीपीएस की कटौती की जा सकती है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए उठाया जाएगा।

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भारत में दिसंबर महीने के दौरान खुदरा महंगाई दर में थोड़ी गिरावट देखने को मिली। भारत सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में महंगाई दर घटकर 5.22 फीसदी हो गई, जबकि नवंबर में यह दर 5.48 फीसदी थी। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी की वजह से हुई है। एक सर्वे में अनुमान जताया गया था कि दिसंबर में महंगाई दर 5.3 फीसदी तक गिर सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर आरबीआई द्वारा तय किए गए 4 फीसदी के मध्यम अवधि लक्ष्य तक 2026 के दूसरे हिस्से से पहले नहीं पहुंचेगी।

ग्रामीण और शहरी महंगाई दर में गिरावट

दिसंबर में ग्रामीण महंगाई दर में गिरावट होने से यह 5.76 फीसदी रह गई है। इससे पहले नवंबर में 9.10 फीसदी थी। वहीं, शहरी महंगाई दर भी कम होकर 4.58 फीसदी पर आ गई है। जो नवंबर में 8.74 फीसदी थी। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य महंगाई में कमी के कारण आई है।

खाद्य महंगाई में भी आई कमी

भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के तहत खाद्य महंगाई का बड़ा हिस्सा होता है, जो करीब आधे हिस्से का योगदान करता है। दिसंबर में खाद्य महंगाई घटकर 8.39 फीसदी पर आ गई है, जबकि नवंबर में यह 9.04 फीसदी थी। खासकर सब्जियों की कीमतों में थोड़ी कमी आई है, जो नवंबर में 29.33 फीसदी से घटकर दिसंबर में 26.56 फीसदी रही। हालांकि, अनाज और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर में अनाज की महंगाई दर 9.67 फीसदी रही, जो नवंबर में 6.88 फीसदी थी, जबकि दालों की महंगाई दर 3.83 फीसदी रही, जो नवंबर में 5.41 फीसदी थी।

आरबीआई गवर्नर का अनुमान

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले ही दिसंबर में यह संकेत दिया था कि खाद्य महंगाई वित्तीय वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही तक बढ़ी रह सकती है, लेकिन चौथी तिमाही में इसमें गिरावट आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा था कि महंगाई उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे उनकी खरीदारी क्षमता प्रभावित होती है।

ब्याज दर में कटौती की संभावना

महंगाई के मामलों में थोड़ी गिरावट के बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि फरवरी में RBI के जरिए ब्याज दर में 25 बीपीएस की कटौती की जा सकती है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए उठाया जाएगा, क्योंकि 2023 की जुलाई-सितंबर तिमाही में विकास दर सिर्फ 5 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रही थी।

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