वंदे भारत ''स्लीपर'' के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर भारत-रूस के बीच विवाद क्यों? 30 हजारCr के कॉन्ट्रैक्ट में किस बात पर भड़की रूसी कंपनी 

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Sunil Shukla
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वंदे भारत ''स्लीपर'' के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर भारत-रूस के बीच विवाद क्यों? 30 हजारCr के कॉन्ट्रैक्ट में किस बात पर भड़की रूसी कंपनी 

New Delhi. भारतीय रेलवे की तेज रफ्तार और आधुनिक सुविधाओं वाली वंदे भारत ट्रेन से जुड़े 30 हजार करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर भारत और रूस की कंपनियों के बीच ठन गई है। देश में 120 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और मेंटेनेंस के जाॅइंट कॉन्ट्रैक्ट में हिस्सेदारी के मुद्दे पर विवाद बढ़ गया है। भारतीय कंपनी विकास निगम लिमिटेड (RVNL) चाहती है कि इस प्रोजेक्ट में उसकी हिस्सेदारी ज्यादा हो जबकि रूसी कंपनी मेट्रोवैगनमैश ( Metrowagonmash) इसका विरोध कर रही है।





संयुक्त एजेंसी ने 120 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का लिया कॉन्ट्रैक्ट 





भारत और रूस की कंपनियों की साझेदारी वाली संयुक्त एजेंसी ने 120 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और अगले 35 सालों तक उनके मेंटेनेंस के लिए 30 हजार करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले संयुक्त उद्यम में रूस की कंपनी मेट्रोवैगनमैश (Metrowagonmash) की 80 फीसदी और  भारतीय कंपनी भारतीय कंपनी विकास निगम लिमिटेड (RVNL) की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। 





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रूसी कंपनी Metrowagonmash ट्रांसमैशहोल्डिंग का हिस्सा





रूसी कंपनी Metrowagonmash रूस की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग कंपनी ट्रांसमैशहोल्डिंग (TMH) का हिस्सा है। रूस की इस कंपनी को रेलवे के लिए रोलिंग स्टॉक के विकास, डिजाइन और निर्माण में विशेषज्ञता हासिल है। इस कंपनी ने भारत की सरकारी कंपनी, रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ मिलकर 120 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। भारतीय कंपनी अब चाहती है कि उसे संयुक्त उद्यम में 26 फीसदी नहीं 69 फीसदी की बड़ी हिस्सेदारी मिले और रूसी कंपनी की हिस्सेदारी घटाकर 26 फीसदी कर दी जाए। इस प्रोजेक्ट में  तीसरी भागीदार लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स (LES) को 5 फीसदी की हिस्सेदारी मिले। 





स्लीपर वंदे भारत बनाएगी संयुक्त कंपनी 





बता दें कि भारत में अभी बनाई जा रहीं वंदे भारत के कोच चेयरकार (CC) यानी कुर्सी वाले कोच हैं। आगे स्लीपर कोच वाली लंबी दूरी की वंदे भारत भी चलाई जाने की योजना है। रूसी और भारतीय कंपनी के संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत बड़े पैमाने पर स्लीपर वंदे भारत के निर्माण और इनके कोच का मेंटेनेंस किया जाएगा। TMH-RVNL नामक इस कंपनी ने सबसे कम बोली लगाकर इस प्रोजेक्ट का टेंडर हासिल किया है। बताया जा रहा है कि कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक यह संयुक्त कंपनी एक ट्रेन 120 करोड़ रुपए में बनाकर देगी। इसे वंदे भारत के 120 रैक बनाने का ठेका मिला है।  इनके निर्माण के लिए महाराष्ट्र के लातूर में जरूरी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। रेलवे ने इसके लिए लेटर ऑफ अवॉर्ड (LOA) जारी कर दिया है। 





ऐसी होगी स्लीपर वंदे भारत





स्लीपर वंदे भारत में एक फर्स्ट एसी, 3 सेकंड एसी और 11 थर्ड एसी वाले कोच लगाए जाएंगे। ट्रेन का पहला और आखिरी डिब्बा दिव्यांगों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा ताकि उन्हें ट्रेन में चढ़ने और उतरने में कोई परेशानी ना हो। हालांकि, अभी इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है कि पहली स्लीपर वंदे भारत कब तक बनकर तैयार होगी। इसे बनाने का टेंडर हासिल करने वाली कंपनी ने इसके लिए 200 करोड़ रुपए गारंटी बॉन्ड के तौर पर जमा कर दिए हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत करीब 30 हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। कंपनी ट्रेन के स्लीपर कोच बनाने के साथ 35 साल तक उनके मेंटेनेंस भी करेगी। 





RVNL ने रूसी कंपनी को लिखा ये पत्र





25 अप्रैल, 2023 को रूसी कंपनी को लिखे एक पत्र में, RVNL ने बताया कि उसने Kinet Railway Solutions Ltd (KRSL) नाम की एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी को खुद में शामिल किया है। ये कंपनी एसपीवी (Special Purpose Vehicle) के रूप में काम करेगी। यह रेल मंत्रालय के साथ मैन्यूफैक्चरिंग कम मेंटेनेंस एग्रीमेंट (MCMA) प्रोजेक्ट पर समझौता करेगी और फिर बाद में उसे लागू करेगी। RVNL ने तर्क दिया है कि चूंकि वह भारत की सरकारी कंपनी है, इस नाते सरकार से प्रोजेक्ट के लिए जरूरी मंजूरियां हासिल करने में उसे आसानी होगी। साथ ही स्थानीय कामगारों को रेल निर्माण प्रोजेक्ट में शामिल करने जैसे मुद्दों को भी वो अच्छे से हैंडल कर सकती है। 





RVNL की बड़ी भूमिका सभी भागीदारों के लिए फायदेमंद 





पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ का हवाला देते हुए लिखा है कि वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति और इस फैक्ट को देखते हुए कि RVNL एक भरोसेमंद सरकारी कपंनी है, जिसके सरकारी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ मजबूत संबंध हैं। इस लिहाज से उसके लिए घरेलू बाजार से कम दरों पर पैसा जुटाना आसान होगा। कंपनी ने कहा- यदि RVNL इस पहल में अग्रणी भूमिका निभाता है तो यह सभी भागीदारों के लिए फायदेमंद होगा। 





रूसी कंपनी RVNL की हिस्सेदारी बढ़ाने का कर रही विरोध





RVNL ने लिखा है कि उसने संयुक्त प्रोजेक्ट में अपने लिए जितनी हिस्सेदारी की मांग की है और दूसरे भागीदारों के लिए जितनी हिस्सेदारी का सुझाव दिया है, Metrowagonmash उस पर अपनी सहमति दे। लेकिन रूसी कंपनी ने भारतीय सरकारी कंपनी के प्रस्ताव का विरोध करते हुए अब इस मामले को रूसी सरकार के के सामने उठाया है। रूस के व्यापार प्रतिनिधि ने 8 मई को भारत सरकार को एक पत्र लिखकर कहा कि वो RVNL को मूल कॉन्ट्रैक्ट पर टिके रहने का निर्देश दे। इस मामले को लेकर दोनों कंपनियों के बीच खींचतान जारी है और अब ऐसी संभावना है कि भारत और रूस शीर्ष स्तर पर इस मामले को सुलझाएंगे। 





 सबसे तेज और आधुनिक सुविधाओं वाली ट्रेन है वंदे भारत





देश में अभी 10 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। ये ट्रेनें भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन मानी जाती है। जिसकी अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे हैं। इस सेमी-हाई स्पीड ट्रेन में 16 ऑटोमैटिक कोच शामिल हैं। भारत की इस आधुनिक ट्रेन में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। इसमें जीपीएस आधारित सूचना सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे, वैक्यूम आधारित बायो टॉयलेट, ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर जैसी कई सुविधाएं हैं। भारत सरकार ने 2021-22 के बजट में 2024-25 के अंत तक भारत में 400 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का लक्ष्य रखा है।



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