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भारत के पूर्व में स्थित अरुणाचल प्रदेश में हर सुबह सूर्य सबसे पहले दर्शन देता है। इसके करीब 2 घंटे बाद सूर्य का उदय गुजरात के सौराष्ट्र में होता है। इस अंतर के बावजूद भारत विश्व के सिर्फ कुछ ही देशों में से है जहां सिर्फ एक टाइम जोन चलता है। करीब 3,000 किलोमीटर की लंबाई कवर करने वाले देश के लिए सिर्फ एक टाइम जोन का होना आश्चर्य की बात है। यह एक टाइम जोन आश्चर्य के अलावा कई बार भारतीय वैज्ञानिकों और ज्योतिषों में विवाद भी उत्पन्न कर देता है। ऐसे में आज बताते हैं देश के समय में अंतर होने के बावजूद भारत में एक टाइम जोन कैसे है -
भारत का सिंगल टाइम जोन ( Indias Single Time Zone ) न्यूयॉर्क से 9:30 घंटे आगे, लंदन से 5:30 घंटे आगे और टोक्यो से 3:30 घंटे पीछे चलता है। एक सदी से भी अधिक समय के लिए भारत दूसरे देशों के साथ समय के अंतर का निर्धारण करने में विफल रहा। इतना ही नहीं भारत एक ऐसा देश भी है जो ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) में 30 मिनट का अंतर साझा करता है। टाइम जोन के लिए मानक माने जाने वाले इस GMT के साथ म्यांमार, ईरान और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से ही 30 मिनट का अंतर साझा करते हैं।
टाइम जोन को लेकर वैज्ञानिकों और ज्योतिषों में बहस
एक समय में भारत में तीन टाइम जोन्स का प्रचलन था। यह बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास का टाइम जोन थे। अंग्रेजों के आने के बाद उन्होंने मद्रास के टाइम जोन को भारत का मानक आधार बनाया। इसके बाद विश्व भर में टाइम जोन स्थापित करने के लिए 1884 में वॉशिंगटन डीसी में चर्चा हुई। यह चर्चा समुद्री नेविगेशन और ट्रेन ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय टाइम जोन की स्थापना के संबंध में थी। दुनिया भर के देशों में इसी चर्चा के बाद टाइमजोन निर्धारित हुए। इसी समय Greenwich Mean Time (GMT) एक अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड टाइम जोन की तरह आया। हालांकि इसे अपनाना एक धीमी प्रक्रिया थी।
इसी के चलते भारत में एक टाइम जोन आया। इस एक टाइम जोन के चलते वैज्ञानिकों और ज्योतिषों में बहस छिड़ी रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्योतिषों की घड़ी सूर्य के हिसाब से चलती है। ऐसे में वे भारत के अलग-अलग हिस्सों के समय में अंतर मानते हैं। वैज्ञानिक पूरे देश के समय को एक ही घड़ी से देखते हैं।
1906 में भारत का सिंगल टाइम जोन बना
20वीं सदी में भारत के स्टैंडर्ड टाइम जोन को ग्रीनविच मीन टाइम ( GMT ) के अनुरूप करने की बाते होने लगी। इस दौरान लंदन की रॉयल सोसायटी ने भारत के लिए 2 टाइम जोन रखने का सुझाव दिया। यह सुझाव पूर्व और पश्चिम में सूर्योदय में होने वाले 2 घंटे के अंतर के कारण दिया गया। देश के पश्चिमी हिस्से के लिए जीएमटी से 5 घंटे आगे का और पूर्वी हिस्से के लिए जीएमटी से 6 घंटे आगे का स्टैंडर्ड समय सुझाया गया। हालांकि अंग्रेजी सरकार ने पूरे देश के लिए एक ही स्टैंडर्ड टाइम सेट करने का निर्णय लिया। ऐसे 1906 में भारत के लिए जीएमटी से 5:30 घंटे आगे का स्टैंडर्ड टाइम चुना गया।