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देश दुनिया न्यूज: दुनिया भर में कहा जाता है कि सबसे ज्यादा बातूनी और सोशल मीडिया पर समय बिताती हैं। हाल में जारी टाइम यूज सर्वे 2024 की रिपोर्ट ने इस बात को कहीं न कहीं खारिज किया है। रिर्पोट के मुताबिक भारतीय नागरिकों के समय खर्च करने के तरीके में पिछले पांच वर्षों में बड़ा बदलाव आया है।
इस रिपोर्ट में यह बताया गया कि लोग अब किस प्रकार अपने समय का उपयोग (social media debate) कर रहे हैं। खासकर सामाजिक गतिविधियों, सोशल मीडिया और घरेलू कार्यों में। दिलचस्प बात ये है कि अब पुरुष और महिलाएं बराबरी से वक्त बिता रहे हैं।
समय खर्च करने के तरीके में बदलाव
सोशलाइजिंग और सोशल मीडिया पर समय बिताना
पारंपरिक रूप से महिलाओं को अधिक बातूनी माना जाता था। लेकिन 2024 की रिपोर्ट में अलग ही आंकड़ा सामने आया है। इसके मुताबिक, पुरुष भी अब सोशलाइजिंग (Instagram) में महिलाओं से पीछे नहीं हैं।
महिलाएं औसतन 229 मिनट (3.8 घंटे) प्रति दिन दोस्तों के साथ बातचीत या सोशल मीडिया पर समय बिताती हैं। वहीं पुरुष 224 मिनट इस प्रकार की गतिविधियों में खर्च करते हैं। इस तरह से समय बिताने का तरीका पिछले पांच वर्षों में काफी बढ़ा है। ये आंकड़े सामाजिक व्यवहार में बदलाव को दर्शाते हैं।
सीखने में समय बिताना
रिपोर्ट यह भी बताती है कि अब बच्चों का ध्यान शिक्षा पर भी बढ़ रहा है। 14 साल से छोटे बच्चे औसतन 5.4 घंटे अपना समय शिक्षा (Facebook) के अलावा खेल, कला, संगीत और अन्य कामों में बिता रहे हैं। ये बच्चे अब भी 8 घंटे से अधिक समय आराम और सोने में बिताते हैं, जो उनके लिए एक स्वस्थ जीवनशैली का प्रतीक है।
पुरुष और महिलाओं का समय खर्च (मिनट में)
यहां पुरुषों और महिलाओं के समय खर्च की तुलना की गई है:
पुरुषों का टाइम यूज (मिनट में)
अन्य गतिविधियां: 532
बिना सैलरी के काम: 83
सामाजिक मेल-मिलाप और बातचीत: 38
खुद की देखभाल: 704
सीखना: 90
दिए गए सैलरी का काम: 243
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महिलाओं का टाइम यूज (मिनट में)
अन्य गतिविधियां: 550
बिना सैलरी के काम: 365
परिवार और देखभाल: 294
खुद की देखभाल: 705
सीखना: 71
दिए गए सैलरी का काम: 79
जैसा कि देखा जा सकता है, महिलाएं अधिक समय घरेलू कार्य और परिवार की देखभाल में बिताती हैं, जबकि पुरुष इसके मुकाबले कम समय देते हैं।
रिपोर्ट में दिखे ये बदलाव
2019 में लोग औसतन 243 मिनट दिए गए सैलरी के काम में बिताते थे, जो अब तक स्थिर रहा है। हालांकि, बिना सैलरी के काम और सोशल मीडिया पर बिताए गए समय में वृद्धि हुई है।
इस सर्वेक्षण में 83,247 ग्रामीण और 56,240 शहरी परिवारों को शामिल किया गया।
परिवार और बच्चों की देखभाल में समय खर्च
हालांकि सामाजिक व्यवहार में कुछ बदलाव आए हैं, फिर भी पारंपरिक लिंग भूमिकाएं (whatsapp) अभी भी बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, महिलाएं 153 मिनट परिवार के कार्यों और जिम्मेदारियों में बिताती हैं, जबकि पुरुष केवल 46 मिनट ही इसमें खर्च करते हैं।
इसी प्रकार, महिलाओं द्वारा बच्चों की देखभाल में 140 मिनट बिताए जाते हैं, जबकि पुरुषों द्वारा यह समय सिर्फ 71 मिनट होता है। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि परिवार और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी अब भी महिलाओं पर है, जो लिंग असमानता का संकेत है।
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