जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें भारत में रह रहे एक परिवार के 6 सदस्यों को पाकिस्तान वापस भेजने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है।
यह मामला अहमद तारिक बट्ट नामक व्यक्ति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद सामने आया। याचिका में कहा गया कि उनके परिवार के पास भारतीय पासपोर्ट (Indian Passport) और आधार कार्ड (Aadhaar Card) जैसे वैध दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें अवैध रूप से देश से निकाले जाने की कोशिश की जा रही है।
भारतीय नागरिक होने के प्रमाण
याचिकाकर्ता अहमद तारिक बट्ट ने अपने वकील नंद किशोर के माध्यम से अदालत में बताया कि वह और उनका परिवार 2000 से भारत में रह रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी मां श्रीनगर में जन्मी हैं और पिता मीरपुर (पाक अधिकृत कश्मीर) से हैं। अहमद खुद केरल के कोझिकोड स्थित IIM से पढ़ाई कर चुके हैं और वर्तमान में बेंगलुरू की एक आईटी कंपनी में कार्यरत हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पास विदेश मंत्रालय द्वारा जारी वैध पासपोर्ट हैं और आधार कार्ड भी मौजूद है। परिवार में उनकी बहन आयशा तारिक, भाई अबुबकर और उमर तारिक बट्ट भी शामिल हैं।
पासपोर्ट पर ‘जन्म स्थान - श्रीनगर’ दर्ज
याचिका में उल्लेख किया गया है कि परिवार भले ही मीरपुर में रहा हो, लेकिन पासपोर्ट पर जन्म स्थान श्रीनगर अंकित है। इसका मतलब है कि उन्हें भारतीय नागरिकता मिल चुकी है। फिर भी उन्हें बिना कानूनी प्रक्रिया के देश से बाहर भेजा जा रहा है।
सक्षम प्राधिकरण तय करें
सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में संबंधित अथॉरिटी को निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने भी इसी आधार पर याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी बात उचित अधिकारी के समक्ष रखें।
याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें नोटिस देकर वाघा बॉर्डर पर भेजा गया और जबरन देश से बाहर निकाले जाने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को निर्देशित किया कि मामला हल्के में न लिया जाए।