मार्च 2026 तक भारतीय रेलवे में खत्म होगा वीआईपी कल्चर, अब अफसरों को नहीं मिलेगी खास सुविधा, जानें नई गाइडलाइंस

केंद्र सरकार मार्च 2026 तक रेलवे से वीआईपी कल्चर पूरी तरह खत्म करेगी। इसके बाद बड़े अफसरों और मंत्रियों को मिलने वाले विशेष प्रोटोकॉल और लग्जरी सैलून कोच बंद हो जाएंगे। अब रेलवे के आला अधिकारियों को स्लीपर और थर्ड एसी में सफर करना होगा।

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Kaushiki
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New Delhi. भारतीय रेलवे अब पूरी तरह से बदलने के रास्ते पर चल पड़ी है। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि मार्च 2026 तक रेलवे से वीआईपी कल्चर पूरी तरह से हटा दिया जाएगा।

अब रेल मंत्री, सांसद और बड़े अफसरों को मिलने वाली एक्स्ट्रा सुविधाएं बंद होंगी। ये कदम ब्रिटिश काल से चली आ रही पुरानी प्रथाओं को हटाने के लिए उठाया गया है। आइए जानें...

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आम यात्रियों की तरह ही मिलेंगी सुविधाएं

रेलवे बोर्ड ने साफ कर दिया है कि अब कोई भी अफसर खुद को खास नहीं समझेगा। अब कोई भी अफसर इंस्पेक्शन के लिए आलीशान सैलून कोच का इस्तेमाल नहीं करेंगे। सभी को आम यात्रियों की तरह ही सुविधाएं मिलेंगी। 

अब तक रेलवे के बड़े अधिकारी निरीक्षण के नाम पर लग्जरी सलून कोच का यूज करते थे। सरकार ने अब इन वीआईपी सलून कोचों के यूज पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।

इन डिब्बों को अब आम जनता के लिए यात्री कोचों में बदला जा रहा है। वहीं, स्टेशन पर बड़े अफसरों के स्वागत के लिए जूनियर कर्मचारियों की फौज भी खड़ी नहीं होगी।

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अफसरों के लिए नई गाइडलाइंस

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ministry of Indian Railways) ने अफसरों को साफ निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब अफसरों को कम्फर्टेबल एग्जीक्यूटिव क्लास में सफर करना छोड़ना होगा। सभी बड़े अफसरों को अब स्लीपर और थर्ड एसी कोच में सफर करना होगा।

इससे अधिकारी यात्रियों के साथ घुल-मिल सकेंगे। रेलवे बोर्ड के सदस्यों और जनरल मैनेजर्स को इस नियम का पालन करना होगा। 50 डिविजनों के मैनेजर भी अब सामान्य डिब्बों में जनता के साथ यात्रा करेंगे।

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रेलवे का वीआईपी कल्चर होगा खत्म - India TV Hindi

पहले के नियम क्या थे

पहले के प्रोटोकॉल के मुताबिक, अफसरों को रिसीव करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। 1981 के नियमों के मुताबिक जनरल मैनेजर को एयरपोर्ट तक जाना पड़ता था।

अब इस तरह की सारी प्रथाओं को पूरी तरह से बैन किया जाएगा। रेल मंत्री का मानना है कि रेलवे का ध्यान यात्रियों की सुविधा होना चाहिए। जब अफसर खुद स्लीपर में बैठेंगे, तभी उन्हें कोच की कमियां नजर आएंगी।

भारतीय रेलवे में DRM के लिए सुविधाएं...

भारतीय रेलवे में DRM (Divisional Railway Manager) एक बहुत ही पावरफुल पद होता है। एक DRM अपने पूरे डिवीजन का राजा माना जाता है। 

  • आलीशान बंगला (Luxurious Bungalow): DRM को रहने के लिए शहर के सबसे पॉश इलाके में एक बहुत बड़ा और भव्य सरकारी बंगला मिलता है। इस बंगले के साथ बड़ा बगीचा और घर के कामकाज के लिए कई सारे स्टाफ भी दिए जाते हैं।

  • पर्सनल सैलून या वीआईपी कोच (Private Saloon): निरीक्षण के लिए DRM को एक स्पेशल वीआईपी ट्रेन कोच मिलता है। इसे सैलून कहते हैं। इसमें बेडरूम, किचन और मीटिंग रूम जैसी सारी लग्जरी सुविधाएं होती हैं, ताकि वे सफर के दौरान आराम से काम कर सकें।

  • सरकारी गाड़ी और ड्राइवर (Official Car with Driver): DRM को चौबीसों घंटे एक शानदार सरकारी गाड़ी और पर्सनल ड्राइवर की सुविधा मिलती है। इस गाड़ी के ऊपर अक्सर Railway की प्लेट लगी होती है, जो उनकी पावर और पहचान को दर्शाती है।

  • बड़ी टीम और स्टाफ (Large Team of Staff): DRM के अंडर हजारों रेल कर्मचारी काम करते हैं। उनकी सुरक्षा और मदद के लिए हमेशा रेलवे सुरक्षा बल के जवान और कई पर्सनल सेक्रेटरी तैनात रहते हैं, जो उनके हर काम को आसान बनाते हैं।

  • विशेषाधिकार और प्रोटोकॉल (Special Privileges): जब भी DRM किसी स्टेशन पर जाते हैं, तो पूरा स्टेशन स्टाफ उनके स्वागत के लिए अलर्ट रहता है। उनके पास अपने डिवीजन में किसी भी काम को तुरंत रोकने या शुरू करने की बड़ी प्रशासनिक पावर्स होती हैं।

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2017 से शुरू हुई थी कैंपेन

बता दें कि, वीआईपी कल्चर (भारतीय रेलवे बदलाव) खत्म करने की ये मुहिम साल 2017 में ही शुरू हुई थी। मोदी सरकार ने गाड़ियों से लाल बत्ती हटाकर इस मिशन की शुरुआत की थी। हालांकि, हर दिन हजारों सीटें वीआईपी कोटे में रहती थीं।

वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घंटी बजाने जैसी पुरानी रीतियों को भी बंद किया है। साल 2025 में रेलवे ने 9000 HP के शक्तिशाली इंजन भी लॉन्च किए हैं। इसके साथ ही Railvan जैसा ऑल-इन-वन ऐप भी यात्रियों के लिए पेश किया गया है।

रेलवे का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक बदलाव नजर आने लगेंगे। यात्रियों को अब कंफर्म टिकट मिलने में पहले से ज्यादा आसानी होने की उम्मीद है।

पुरानी फाइलों और गैर-जरूरी प्रोटोकॉल को हटाकर सिस्टम को बहुत ट्रांसपेरेंट बनाया जा रहा है। रेलवे (भारतीय रेलवे अपडेट) अब एक नई और आधुनिक छवि के साथ दुनिया के सामने आएगी।

रेलवे सैलून कोच के प्रोटोकॉल क्या है

In a first, Railways to allow commercial use of luxury saloon coaches

  • भारतीय रेलवे के सैलून कोच मुख्य रूप से उच्च अधिकारियों के निरीक्षण या विशेष कार्यों के लिए आरक्षित रहते हैं। हालांकि अब IRCTC के माध्यम से आम जनता भी इन्हें चार्टर कर सकती है। उपयोग का प्रोटोकॉल बुकिंग प्रक्रिया, भुगतान और संचालन नियमों पर आधारित है।

बुकिंग प्रक्रिया

  • सैलून कोच बुक करने के लिए स्टेशन मैनेजर से आवेदन करें। आवेदन में गंतव्य, मार्ग, स्टॉपेज और ट्रेन का विवरण दें। यह आवेदन जोनल रेलवे के चीफ पैसेंजर ट्रैफिक मैनेजर को भेजा जाएगा।

  • आवेदन यात्रा से कम से कम 30 दिन पहले और अधिकतम 6 महीने पहले जमा करें। शॉर्ट नोटिस के लिए विशेष अनुमति जरूरी है। IRCTC के FTR पोर्टल (ftr.irctc.co.in) पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर यात्रा विवरण भरें या स्टेशन काउंटर पर चीफ रिजर्वेशन सुपरिंटेंडेंट से संपर्क करें।

उपयोगकर्ता श्रेणियां

  • पहले ये कोच केवल रेल अधिकारियों के लिए थे। वहीं, अब व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध हैं। सिवाय सुरक्षा/परिचालन आवश्यकताओं के। IRCTC पर्यटन के जरिए लग्जरी सैलून चार्टर करें, जिसमें लिविंग रूम, बेडरूम, पैंट्री और बाथरूम होते हैं।

शुल्क और नियम

  • न्यूनतम दूरी 500 किमी प्रति यात्रा है; IRCTC को प्रति सैलून सालाना 10.1 लाख रुपये का गारंटी शुल्क देना पड़ता है। अधिकतम 18 यात्री प्रति कोच; बुकिंग 6 महीने पहले खुलती है और 30 दिन पहले बंद।

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