एक-दो घंटे नहीं, लगभग 4 साल लेट हुई भारत की ये ट्रेन

भारत में भारतीय रेलवे की एक मालगाड़ी को अपनी यात्रा पूरी करने में लगभग चार साल लगे, जो कि भारतीय रेलवे की अब तक की सबसे विलंबित ट्रेन यात्रा मानी जाती है। इसमें डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक की 1,316 बोरी थी, जो बस्ती (यूपी) तक पहुंचनी थी।

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Raj Singh
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भारतीय रेलवे के इतिहास में एक अनोखी घटना घटी, जब विशाखापत्तनम से बस्ती (उत्तर प्रदेश) तक एक मालगाड़ी को अपनी यात्रा पूरी करने में लगभग चार साल लग गए। इस ट्रेन ने 3 साल, 8 महीने और 7 दिन में अपनी यात्रा पूरी की, जो अब तक की सबसे विलंबित ट्रेन यात्रा मानी जाती है।

DAP भरकर निकली थी विशाखापत्तनम से 

यह ट्रेन 10 नवंबर 2014 को विशाखापत्तनम से रवाना हुई थी। इसमें डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक की 1,316 बोरी लदी थी, जिसे उत्तर प्रदेश के बस्ती पहुंचाना था। हालांकि, यह ट्रेन अपने निर्धारित समय के मुताबिक बस्ती नहीं पहुंच सकी और समय पर 42 घंटे में तय की जाने वाली यात्रा में 3.5 साल से अधिक का समय लग गया।

और रास्ते में ही लापता हो गई 

बस्ती के व्यवसायी रामचंद्र गुप्ता ने यह माल मंगवाया था, और 14 लाख रुपये से अधिक का सामान लेकर ट्रेन निर्धारित समय पर रवाना हुई थी। लेकिन जब ट्रेन बस्ती नहीं पहुंची, तो रामचंद्र ने रेलवे अधिकारियों से कई बार संपर्क किया और लिखित शिकायतें दर्ज कराईं। इसके बावजूद रेलवे अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बाद में पता चला कि ट्रेन रास्ते में ही लापता हो गई थी।

14 लाख रुपए का DAP हो गया बेकार

पूर्वोत्तर रेलवे जोन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "कभी-कभी जब कोई वैगन या बोगी ढोने के लिए अयोग्य हो जाती है, तो उसे यार्ड में भेज दिया जाता है। ऐसा ही इस मामले में हुआ हो सकता है।" ट्रेन के लापता होने के बाद, आखिरकार जुलाई 2018 में यह बस्ती स्टेशन पर पहुंची। हालांकि, इस विलंब के कारण ट्रेन कहां, कैसे और क्यों लापता हुई, इसका कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका। इस विलंब के कारण उर्वरक का 14 लाख रुपये का सामान बेकार हो गया।

इतिहास में सबसे विलंबित ट्रेन यात्रा

यह घटना भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे विलंबित ट्रेन यात्रा के रूप में दर्ज की गई है। रेलवे की इस अजीब घटना ने न केवल रेलवे अधिकारियों को हैरान किया, बल्कि यात्रा के दौरान हुई देरी ने उर्वरक के व्यवसायी को भी भारी नुकसान उठाने पर मजबूर किया।

FAQ

यह ट्रेन कितने दिन देरी से बस्ती पहुंची?
यह ट्रेन 3 साल, 8 महीने और 7 दिन बाद बस्ती पहुंची।
इस ट्रेन का मूल कारण क्या था?
ट्रेन का लापता होना और बोगी का ढोने योग्य न होना विलंब का कारण बन सकता है।
यह ट्रेन किस प्रकार के माल लेकर चल रही थी?
ट्रेन में डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक की 1,316 बोरी लदी थी।
क्यों यह ट्रेन भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे विलंबित मानी जाती है?
इस ट्रेन को 42 घंटे में तय होने वाली यात्रा को 3.5 साल से अधिक का समय लगा, जो एक रिकॉर्ड है।
क्या इस विलंब के कारण उर्वरक का नुकसान हुआ?
हां, इस विलंब के कारण 14 लाख रुपये का उर्वरक बेकार हो गया।

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