इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी प्रबंधन स्कूलों से सिविल सेवकों की नियुक्ति पर विचार कर सकते हैं। मूर्ति ने एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान कहा कि पीएम मोदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने के मामले में अब तक शानदार काम किया है, लेकिन सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा ( IAS ) के लिए UPSC परीक्षा पर निर्भर रहने के बजाय प्रबंधन स्कूलों से सिविल सेवा अधिकारियों का चयन करने पर विचार कर सकती है। वर्तमान में यूपीएससी द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में छात्र तीन या चार विषयों की परीक्षा देकर भाग लेते हैं।
मैनेजमेंट स्कूल का उपयोग करने की आवश्यकता
नारायणमूर्ति ने कहा कि सरकार को आईएएस प्रतिभाओं को खोजने के लिए मौजूदा व्यवस्था के बजाय मैनेजमेंट स्कूल का उपयोग करने की आवश्यकता है। मौजूदा व्यवस्था में, जब कोई उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा पास करता है और उसका चयन होता है, तो उसे प्रशिक्षण के लिए मसूरी (लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी) ले जाया जाता है। वहां उसे कृषि, रक्षा या विनिर्माण जैसे विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाएगा। यह सामान्य प्रशासक बनाने की मौजूदा व्यवस्था से अलग होगा।
अर्थव्यवस्था को गति देने में बहुत अच्छा काम
नारायणमूर्ति ने यह भी कहा कि प्रबंधन विद्यालयों से चुने गए उम्मीदवारों को प्रशिक्षण के लिए मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ले जाया जाना चाहिए। वहां उन्हें कृषि, रक्षा या विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा सकता है। यह सामान्य प्रशासक बनाने की मौजूदा पद्धति से बिल्कुल अलग होगा।
इंफोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को गति देने में बहुत अच्छा काम किया है। अब वे इस बात पर विचार कर सकते हैं कि हमें सरकार में प्रशासकों के बजाय अधिक प्रबंधकों की आवश्यकता है या नहीं।
70 घंटे काम के बयान पर ये बोले...
मूर्ति ने कहा कि किसी भी देश में सरकारी हस्तक्षेप, कार्रवाई में सुस्ती और अकुशलता को कम करने की जरूरत है। सप्ताह में 70 घंटे काम करने उनके विवादित बयान के बारे में पूछे जाने पर मूर्ति ने कहा कि वह बयान पर कायम हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी भी सप्ताह में 100 घंटे काम करते हैं। जब 1986 में इंफोसिस में सप्ताह में पांच दिन काम किया जाने लगा तो उन्हें निराशा हुई। लेकिन वह खुद सप्ताह में साढ़े छह दिन यानी 14 घंटे काम करते थे। उन्होंने 2014 में कंपनी में कार्यकारी पद छोड़ दिया था।
प्रशासनिक रवैया बदलने की जरुरत
नारायणमूर्ति ने कहा कि सफल अभ्यर्थी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद विषय विशेषज्ञ बनेंगे और अपने-अपने क्षेत्रों में 30-40 साल तक देश की सेवा करेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रशासनिक रवैया 1858 से जुड़ा है। इसे बदलने की जरूरत है। इंफोसिस के सह-संस्थापक ने लोगों की मानसिकता बदलने की अपील करते हुए कहा, 'मुझे उम्मीद है कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बनेगा जो सिर्फ प्रशासन उन्मुख होने के बजाय प्रबंधन उन्मुख होगा।' मूर्ति ने निजी क्षेत्र में काम करने वाले बुद्धिजीवियों को कैबिनेट मंत्रियों के स्तर के बराबर की समितियों का अध्यक्ष नियुक्त करने और मंत्रियों और नौकरशाहों के हर बड़े फैसले को मंजूरी देने का भी सुझाव दिया।
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