New Delhi: किसी की तबीयत खराब हो जाए और डॉक्टर गोली-सिरप आदि से उसे ठीक कर दे तो बड़ी राहत की बात मानी जाती है। लेकिन डॉक्टर इंजेक्शन लगाने की बात करने लगे तो अनेको लोग तनाव में आ जाते हैं। उनके शरीर में झुरझरी पैदा होने लगती है और कुछ तो आंय-बांय बोलने भी लग जाते हैं। क्या यह संभव है कि इंजेक्टशन की सुई से छुटकारा मिल जाए और दवा सुई के बजाय किसी ओर तरीके से शरीर में प्रवेश करा दी जाए? तो हम कहेंगे जी हां यह संभव है। इंजेक्शन की जगह अब त्वचा (Skin) पर लगाए जाने वाले पैच (चैपी) और नाक के जरिए डाले जाने वाले स्प्रे (Nasal Spray) का विकल्प उपलब्ध हो रहा है। अमेरिकी ने एक नेजल स्प्रे वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिसे मेडिकल स्टोर्स से खरीदा जा सकता है।
कोरोना काल में सुई ने बहुत दर्द दिया था
आपको याद होगा कि दो-तीन साल पूर्व ही कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया को इसके बचाव के लिए टीका लगाना पड़ा था। इस रोग से पूरी तरह बचाव के लिए तीन बार इंजेक्शन से टीके लगाने का प्रावधान रखा गया था। उस दौरान सोशल मीडिया पर ऐसे हजारों-लाखों वीडियो देखे जा रहे थे, जिनमें लोगों को कोरोना का टीका लगाते समय रोते-धोते या अजीब हरकतें देखा गया था। बच्चों की तो डरावनी हरकतों ने लोगों को खासी परेशानी में डाल दिया था। यानी टीके की सुई ने विश्व स्तर पर ‘कोहराम’ मचाया था और लोग सोचने लगे थे कि क्या कभी इंजेक्शन की इस सुई से कभी निजात मिलेगी और क्या कोई ऐसा सिस्टम ईजाद कर लिया जाएगा, जिससे बिना किसी दर्द और तनाव के दवा को शरीर कें डाल जा सके? अब ऐसा संभव है। हाल ही में अमेरिकी FDA (United States Food and Drug Administration) ने FluMist नाम की एक नेजल स्प्रे वैक्सीन को मंजूरी दी है। अगले साल तक इसे डॉक्टर के पर्चे से मेडिकल स्टोर्स से खरीदकर घर पर ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। अब न अस्पताल जाने की जरूरत, न सुई, न दर्द।
दर्द खत्म करने की कई तकनीक
इस मामले पर एफडीए के वैक्सीन सेंटर के निदेशक डॉ. पीटर मार्क्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स को खास जानकारी दी और बताया कि यह यह एक नया और सुविधाजनक विकल्प प्रदान करता है, जो लोगों और परिवारों के लिए सुरक्षित और प्रभावी मौसमी फ्लू वैक्सीन तक पहुंच को आसान बनाता है। माना जा रहा है कि इस प्रकार की तकनीक भविष्य में लोगों के ‘दुख’ को कम कर देगी और वे आसानी से बीमारी का बचाव कर सकेंगे। यह तकनीक लोगों को बीमारी के डर से भी मुक्ति दिलाएगी साथ ही इजेक्शन की सुई के दर्द से भी निजात दिलाएगी।
बच्चों के खिलौने जैसी इंजेक्शन गन
नेज़ल स्प्रे केवल एकमात्र विकल्प नहीं है। टेक्सास यूनिवर्सिटी, डलास के शोधकर्ताओं ने MOF-Jet नामक तकनीक विकसित की है, जो दबाव वाली गैस का उपयोग करके त्वचा के माध्यम से पाउडर के रूप में वैक्सीन को पहुंचाती है। इसे महसूस करना नर्फ गन (बच्चों का खिलौना) छूने जैसा है। असल में कोरोना महामारी के दौरान मुख्य शोधकर्ता जेरमिया गैसेन्समिथ ने इस विचार पर काम शुरू किया। उन्होंने लैब में गैस-पावर्ड जेट इंजेक्शन सिस्टम बनाया, जिसे उनके छात्र यालिनी विजेसुंदर ने विकसित किया। विजेसुंदर ने Euro News को बताया कि यह तकनीक सस्ती है, बायोलॉजिकल सामग्री को सुरक्षित रखती है और वैक्सीन को पाउडर के रूप में कमरे के तापमान पर स्टोर करने की सुविधा देती है।
अल्ट्रासाउंड वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डार्सी डन-लॉलेस और उनकी टीम ने एक नई तकनीक विकसित की है, जो अल्ट्रासाउंड के जरिए वैक्सीन को त्वचा में पहुंचाती है। चूहों पर किए गए अध्ययन में वैक्सीन को त्वचा पर लगाया गया और अल्ट्रासाउंड की मदद से इसे त्वचा की ऊपरी परतों में भेजा गया। यह तकनीक न केवल दर्दरहित है, बल्कि अधिक एंटीबॉडी उत्पन्न करती है।
पेनलेस पैच या चेपी
पश्चिम अफ्रीका के गाम्बिया में किए गए एक हालिया वैक्सीन ट्रायल ने दिखाया है कि माइक्रोनीडल्स वाले त्वचा पैच बहुत प्रभावी हो सकते हैं। यह पैच दिखने में एक छोटे बैंडेज जैसा है और आसानी से बच्चों को बिना दर्द के टीका लगाया जा सकता है। एक अध्ययन में यह पाया गया कि 200 शिशुओं और छोटे बच्चों में से 90 फीसदी से अधिक को पहले ही डोज से सुरक्षा मिली। इन नई तकनीकों से टीकाकरण की प्रक्रिया को दर्दरहित और अधिक सुलभ बनाया जा रहा है, जो दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए क्रांतिकारी कदम है। यानी आने वाले समय में इंजेक्शन की सुई बीते जमाने की बात हो जाएगी।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक