आम आदमी को हेल्थ इंश्योरेंस ( health insurance ) की अहमियत समझ में आने लगी है। वहीं इस सेक्टर को रेग्युलेट करने वाला बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ( इरडा ) भी लगातार ग्राहकों को मजबूत करने का काम कर रहा है, ताकि बीमा कंपनियां ( insurance companies ) अपनी मनमानी नहीं कर सकें। इरडा ने बुधवार यानी 29 मई को हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ा एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है। इसमें बीमा कंपनियों को दो टूक कह दिया गया है कि अगर हॉस्पिटल किसी मरीज के कैशलेस इलाज ( cashless treatment ) की रिक्वेस्ट जेनरेट करते हैं, तो उन्हें महज एक घंटे में इसका अप्रूवल देना होगा। चलिए समझते हैं और क्या-क्या फायदे आपको मिलने जा रहे हैं…
सिर्फ एक घंटे में फैसला करना होगा
मान लीजिए आपके पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है और आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। इस स्थिति में आपका इलाज कैशलेस होगा या नहीं, इसके लिए हॉस्पिटल एक रिक्वेस्ट जेनरेट करके बीमा कंपनियों को भेज देते हैं। अब इरडा के नियमों में बदलाव के बाद बीमा कंपनियों को ऐसी रिक्वेस्ट पर सिर्फ एक घंटे के भीतर ही फैसला करना होगा और इस रिक्वेस्ट पर अपना अप्रूवल या डिसअप्रूवल देना होगा। अभी इसे लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं थी।
3 घंटे में बीमा कंपनियां सेटल करेंगी क्लेम
बीमा नियामक इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम से जुड़े नियमों में एक और बड़ा बदलाव किया है। अब बीमा कंपनियों को हॉस्पिटल से जैसे ही मरीज के डिस्चार्ज की रिक्वेस्ट रिसीव होगी, उसके तीन घंटे के भीतर ही बीमा कंपनियों को उस पर अपना फाइनल अप्रूवल देना होगा। यानी एक तरह से बीमा कंपनियों को डिस्चार्ज की रिक्वेस्ट के बाद 3 घंटे के अंदर ही क्लेम सेटल करना होगा।
आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा
बीमा कंपनियों के कैशलेस इलाज के लिए 1 घंटे अप्रूवल में देने से आम आदमी का अस्पताल में जल्द से जल्द इलाज शुरू हो सकेगा। इतना ही नहीं, मरीज के परिवार वालों को इलाज की शुरुआत में अस्पताल के कहने पर पैसे जुटाने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी। वहीं डिस्चार्ज की रिक्वेस्ट मिलने पर क्लेम सेटलमेंट के लिए 3 घंटे में फाइनल अप्रूवल मिलने से लोगों के साथ डिस्चार्ज के समय अस्पताल में होने वाली प्रताड़ना पर रोक लगेगी और अस्पताल भी जल्द से जल्द मरीज को डिस्चार्ज करके अपना बिल सेटलमेंट कर सकेंगे।
पुराने सारे सर्कुलर अब मान्य नहीं
इरडा ने इस नए मास्टर सर्कुलर को रिलीज कर साफ कर दिया है कि हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े पुराने सभी 55 सकुर्लर को अब निरस्त कर दिया गया है। उन सभी को इसमें समाहित करके ही ये कॉम्प्रिहेंसिव सर्कुलर जारी किया है। इरडा का कहना है कि इस सर्कुलर का मकसद हेल्थ इंश्योरेंस ग्राहकों को अधिक सशक्त बनाना और उन्हें बेहतर विकल्प उपलब्ध कराना है। नो क्लेम बोनस से टेक्नीकल सॉल्युशंस तक पर बात। इस सर्कुलर में इरडा ने ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा बेनेफिट देने पर जोर दिया गया है। जैसे किसी ग्राहक के पॉलिसी पीरियड में कोई क्लेम नहीं करने पर उसे या तो सम एश्योर्ड में बढ़ोतरी या प्रीमियम में डिस्काउंट देने की बात कही गई है। इस सर्कुलर का असली मकसद हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर को 100 प्रतिशत कैशलेस क्लेम सेटलमेंट को समय सीमा में पूरा करना है।
सेटलमेंट के लिए ग्राहकों को नहीं जमा करने होंगे पेपर्स
वहीं सर्कुलर बीमा कंपनियों को निर्देश देता है कि वह ग्राहकों को ऑनबोर्ड करने से लेकर पॉलिसी के रीन्युअल, पॉलिसी से जुड़ी सर्विसेस और विवादों इत्यादि के लिए एंड-2-एंड टेक्नीकल सॉल्युशंस देने की दिशा में काम करें। इसमें कहा गया है कि क्लेम सेटलमेंट के लिए पॉलिसी होल्डर कोई डॉक्युमेंट जमा नहीं करेगा, बल्कि बीमा कंपनियों को ये अस्पताल से ही कलेक्ट करने होंगे। सर्कुलर में बीमा पोर्टेबिलिटी को आसान बनाने की बात कही गई है। साथ ही विवाद की स्थिति में अगर बीमा लोकपाल बीमा कंपनी के खिलाफ कोई फैसला सुनाता है और वह 30 दिन में लागू नहीं होता है। तब बीमा कंपनी पॉलिसी होल्डर को हर दिन 5,000 रुपए मुआवजा देगी।