अब कोई भी किसी भी भाषा में लिखी गई किताब को पढ़ सकता है। किसी भी भाषा में निर्मित की गई फिल्म को समझ सकता है। साथ ही दूसरे लोगों की भाषा में उन्हें अपनी बात समझ सकता है। भले ही उसे वह भाषा आती ना हो। यह सब मुमकिन हो पाता है ट्रांसलेशन की वजह से अब लोगों को अगर कोई चीज समझ में नहीं आती तो तुरंत उसे गूगल पर ट्रांसलेट कर लेते हैं।
अब आप ये सोच रहे होंगे की हम आपको ट्रांसलेशन के बारे में इतना क्यों बता रहे हैं। दरअसल पूरी दुनिया में आज यानी 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ट्रांसलेशन दिवस मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है। ट्रांसलेशन दिवस।
क्यों मनाया जाता है ट्रांसलेशन दिवस
दुनिया भर में 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे ( international translation day ) यानी अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया जाता है। ट्रांसलेटर के रूप में दुनिया में बहुत से लोग काम कर रहे हैं। यह दिन उन सभी को भी सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। वहीं इसके इतिहास की बात की जाए तो सेंट जेरोम ( st jerome ) की पुण्यतिथि के रूप में इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। आपको बता दें कि सेंट जेरोम बाइबल के अनुवादक हैं। इन्हें अनुवादकों के संरक्षक संत के रूप में पहचाना जाता है और इन्हीं की याद में उनकी पुण्यतिथि के दिन इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे मनाया जाता है।
कौन थे सेंट जेरोम
बता दें कि सेंट जेरोम नॉर्थ ईस्ट इटली के एक पुजारी थे, उन्होंने बाइबल की बहुत सी पांडुलिपियों को लैट्रिन से ग्रीक में ट्रांसलेट किया था। उन्होंने हिब्रू गोस्पेल के कुछ पार्ट्स को भी ग्रीक में ट्रांसलेट किया था।
कब से मनाया जाने लगा ट्रांसलेशन डे
इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ ट्रांसलेटर्स यानी एफआईटी ने दुनिया भर के ट्रांसलेटर की कम्युनिटी को एकजुट करने के लिए इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। जानकारी के मुताबिक साल 1953 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेटर यानी एफआईटी की स्थापना हुई थी।
24 मई साल 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस यानी इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे को मनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद से ही पूरी दुनिया में 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे मनाया जाता है।
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